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मोदी से बैर लेना इस नेता को पड़ा भारी, संकट में घिरी पार्टी

एनडीए के घटक टीपीडी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने लोकसभा चुनाव से पहले भाजपानीत केंद्र सरकार से अलग होकर चुनाव लड़ा था। इतना ही नहीं, मोदी और केंद्र सरकार पर कई गंभीर आरोप भी लगाए थे, लेकिन आंध्रप्रदेश में विधानसभा और लोकसभा दोनों चुनाव में नायडू की पार्टी को करारी शिकस्त मिली। इस हार के बाद पार्टी में भगदड़ सी मच गई है।
टीडीपी के चार राज्यसभा सदस्यों के भाजपा में शामिल होेने के बाद अब विधायक भी भगवा पार्टी में जाने का मन बना रहे हैं। पार्टी के नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी से बैर लेना चुनाव में भारी पड़ गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आंध्रप्रदेश में टीडीपी के 16 से 17 विधायक है, जो भाजपा के संपर्क में है। आंध्र प्रदेश के राज्य प्रभारी और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर ने कहा कि टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और उनके परिवार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं और पार्टी का गढ़ ढहता दिख रहा है। उन्होंने कहा कि टीडीपी के कई विधायक भाजपा के संपर्क में हैं, लेकिन उन्होंने संख्या साझा करने से इनकार कर दिया।
देवधर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि टीडीपी अब एक ऐसी पार्टी है, जिसका कोई भविष्य नहीं है, क्योंकि नायडू का भ्रष्टाचार सामने आ चुका है। देवधर का कहना है कि ‘कैश-फॉर-वोट घोटाले से लेकर विभिन्न विवादास्पद सरकारी अनुबंधों के उनकी (टीडीपी) सरकार द्वारा दिए जाने से नायडू गले तक भ्रष्टाचार में डूबे हैं। यही वजह है कि अधिकांश विधायक और सहयोगी भी पार्टी को छोड़ रहे हैं।
पूर्व सीएम को भवन ‘प्रजा वेदिका‘ तोड़ा
इधर, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश सरकार ने पूर्व सीएम नायडू के सरकारी आवास ‘प्रजा वेदिका‘ का विवादित हिस्सा तोड़ दिया गया है। भवन का विवादित हिस्सा नायडू के बंगले से लगा है। इसे वो अपने मुख्यमंत्री काल में कार्यालय की तरह उपयोग करते थे।
बताया जा रहा है कि प्रदेश की जगनमोहन रेड्डी सरकार ने इस भवन को ‘ग्रीन‘ नियमों के खिलाफ माना है, इसलिए भवन को तोड़ने की कार्रवाई की। हालांकि कार्रवाई से पहले चंद्रबाबू नायडू ने ‘प्रजा वेदिका‘ को विपक्ष के नेता का सरकारी आवास घोषित करने की मांग की थी, लेकिन सीएम जगन मोहन रेड्डी ने मांग को ठुकरा दिया था।
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