अब दुनिया को अपनी धरोहर दिखाने का वक्त आ गया : पीएम मोदी

आज दो दिवसीय दौरे पर कोलकाता पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी । बंगाल पहुंच वहां के राजभवन में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। इसके बाद दिन में पीएम मोदी सीआईआई के प्रतिनिधिमंडल से भी मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल की संस्कृति व इतिहास के जरिए प. बंगाल में राष्ट्रवादी अभियान का बिगुल फूंकते हुए कहा कि आजादी के पहले और बाद से अब तक इतिहासकारों ने हमारी धरोहरों की खूब अनदेखी है। लेकिन अब दुनिया को अपनी धरोहर दिखाने का वक्त आ गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संस्कृति और साहित्य की तरंग और उमंग से भरे कोलकाता के इस वातावरण में आकर मन और मस्तिष्क आनंद से भर जाता है।
ये एक प्रकार से मेरे लिए खुद को तरोताज़ा करने का और बंगाल की वैभवशाली कला और सांस्कृतिक पहचान को नमन करने का अवसर है, उन्होंने कहा कि अभी जब प्रदर्शनी देखी, तो ऐसा लगा था जैसे मैं उन पलों को स्वयं जी रहा हूं जो उन महान चित्रकारों, कलाकारों, रंगकारों ने रचे हैं, जीए हैं। बांग्लाभूमि की, बंगाल की मिट्टी की इस अद्भुत शक्ति, मोहित करने वाली महक को मैं नमन करता हूं। भारत की कला, संस्कृति और अपनी हैरिटेज को 21वीं सदी के अनुसार संरक्षित करने और उनको Reinvent, Rebrand, Renovate और Rehouse करने का राष्ट्रव्यापी अभियान आज पश्चिम बंगाल से शुरु हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि केंद्र सरकार का ये प्रयास है कि भारत के सांस्कृतिक सामर्थ्य को दुनिया के सामने नए रंग-रूप में रखे, ताकि भारत दुनिया में हैरिटेज टूरिज्म का बड़ा सेंटर बनकर उभरे। ये भी तय किया गया है कि देश के 5 Iconic Museums को International Standard का बनाया जाएगा। इसकी शुरुआत विश्व के सबसे पुराने म्यूजियम में से एक, Indian Museum Kolkata से की जा रही है.

उन्होंने कहा कि बिप्लॉबी भारत नाम से म्यूज़ियम बने, जिसमें नेताजी सुभाषचंद्र बोस, ऑरबिंदो घोष, रास बिहारी बोस, खुदी राम बोस, देशबंधु, बाघा जतिन, बिनॉय, बादल, दिनेश, ऐसे हर महान सेनानी को यहां जगह मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब आज़ाद हिंद सरकार के 75 वर्ष पूरे हुए तो लाल किले में ध्वजारोहण का सौभाग्य मुझे खुद मिला। नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग भी बरसों से हो रही थी, जो अब पूरी हो चुकी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अभी हम सभी ईश्वर चंद्र विद्यासागर जी की 200वीं जन्मजयंति मना रहे हैं। इसी तरह 2022 में जब भारत की आज़ादी के 75 वर्ष होंगे, तब एक और सुखद संयोग बन रहा है। साल 2022 में महान समाज सुधारक और शिक्षाविद राजा राममोहन राय की 250वीं जन्मजयंति आने वाली है।
उन्होंने कहा कि ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि अंग्रेजी शासन के दौरान और स्वतंत्रता के बाद भी देश का जो इतिहास लिखा गया, उसमें इतिहास के कुछ अहम पक्षों को नजरअंदाज कर दिया गया।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि गुरुदेव ने अपने एक लेख में एक बहुत महत्वपूर्ण उदाहरण भी दिया था आंधी और तूफान का। उन्होंने लिखा था कि “चाहे जितना भी तूफान आए, उससे भी ज्यादा अहम होता है कि संकट के उस समय में, वहां के लोगों ने उस तूफान का सामना कैसे किया” . भारत को आदि शंकराचार्य, थिरुनावुक्कारासार जैसे कवि संतों का आशीर्वाद मिला। अंदाल, अक्का महादेवी, भगवान बशवेश्वर, गुरु नानक देव जी द्वारा दिखाया गया मार्ग, आज भी हमें प्रेरणा देता है।

प्रधान मंत्री मोदी ने आगे कहा कि राजनीतिक और सैन्यशक्ति तो अस्थाई होती है, लेकिन कला और संस्कृति के जरिए जो जनभावनाएं अभिव्यक्त होती हैं, वो स्थाई होती हैं। और इसलिए, अपने समृद्ध इतिहास को, अपनी धरोहर को संजोकर रखना, उनका संवर्धन करना भारत के लिए, हर भारतवासी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हम सभी को स्वामी विवेकानंद जी की वो बात हमेशा याद रखनी है, जो उन्होंने मिशिगन यूनिवर्सिटी में कुछ लोगों से संवाद के दौरान कही थी। स्वामी विवेकानंद ने उन्हें कहा था- “अभी वर्तमान सदी भले ही आपकी है, लेकिन 21वीं सदी भारत की होगी”