मध्य प्रदेश विधानसभा 26 मार्च तक स्थगित

भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी 107 विधायकों की राज्यपाल के सामने परेड करवाई और समर्थन की सूची सौंपी. इस दौरान राज्यपाल ने विधायकों को भरोसा दिया कि वह संविधान के अनुसार कार्रवाई करेंगे.

भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के राजभवन पहुंचने से पहले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की. दिग्विजय सिंह ने कहा कि मेरे राज्यपाल से अच्छे संबंध हैं, हमने राजनीति पर कोई बात नहीं की.

मध्य प्रदेश में बहुमत परीक्षण मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, शिवराज सिंह चौहान की तरफ से दाखिल की गई याचिका, तत्काल फ्लोर टेस्ट कराने की मांग पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘हम राज्यपाल से मिलकर निर्णय लेंगे. राज्यपाल के सामने विधायकों की परेड कराएंगे.’ इसके बाद बीजेपी के सभी विधायक बस में राजभवन के लिए निकल गए.

मध्य प्रदेश विधानसभा 26 मार्च तक स्थगित होने से मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार की 10 दिन जीवनरेखा बढ़ गई है। विधानसभा अध्यक्ष ने 26 मार्च तक के लिए कार्यवाही को स्थगित कर दिया है। राज्यपाल के निर्देश के अनुसार आज फ्लोर टेस्ट होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन अब विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा की कार्यवाही को 26 मार्च तक के लिए टाल दिया है. मध्य प्रदेश विधानसभा 26 मार्च तक स्थगित होने से राज्यपाल और कमलनाथ सरकार आमने सामने आ गई है। बता दें कि कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है जिसके बाद से कमलनाथ सरकार पर संकट बरकरार है.

बतादें कि इससे पहले राज्यपाल लालजी टंडन तबीयत खराब होने की वजह से राज्यपाल ने अपना पूरा भाषण नहीं पढ़ा, वह सिर्फ अभिभाषण की पहली और आखिरी लाइन ही पढ़ पाए. अभिभाषण के बाद राज्यपाल लालजी टंडन बोले कि सभी सदस्यों को शुभकामना के साथ सलाह देना चाहता हूं कि प्रदेश की जो स्थिति है, उसमें अपना दायित्व शांतिपूर्ण तरीके से निभाएं.

बतादें कि मध्य प्रदेश के राजनितिक उठापटक के बीच रविवार को राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को विधानसभा पटल पर बहुमत साबित करने को कहा था। उन्होंने आधीरात को पत्र लिख कर मुख्यमंत्री कमलनाथ को विधानसभा पटल पर 16 मार्च को सदन में बहुमत साबित करने को कहा के निर्देश दिए थे.

राज्यपाल लालजी टंडन ने अपने पत्र में लिखा था कि मुझे जानकारी मिली है कि 22 विधायकों ने मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. उन्होंने इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया को भी इसकी जानकारी दी है. मैंने इस बावत मीडिया कवरेज को भी देखा है.” इससे प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि कमलनाथ की सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है और ये सरकार अब अल्पमत में आ गयी है. राज्यपाल ने आगे लिखा है कि इस स्थिति को देखते हुए सीएम कमलनाथ 16 मार्च को सदन में बहुमत साबित करें.

बतादें कि राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद कमलनाथ सरकार को सदन में विश्वास मत पर मतदान कराने के निर्देश दिए थे। उन्होंने आगे कहा था कि की विश्वास मत वोट के बंटवारे के आधार पर बटन दबाकर होगा और इस पूरी प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग विधानसभा द्वारा स्वतंत्र व्यक्तियों से कराई जाएगी. उन्होंने किखा है कि आप की सरकार अब अल्पमत में है और हरहाल में आप अपना बहुमत 16 मार्च को सदन में साबित करें।

बतादें कि कई दिनों से राज्य में राजनितिक हलचल जारी है। 10 मार्च को जबसे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से स्तीफा दिया और वो बीजेपी में शामिल हुए हैं। जिसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 22 विधायकों ने स्तीफा दे दिया और वे सारे विधायक बेंगलुरु में हैं.