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मानव जीवन पर नौ ग्रहों का प्रभाव
मानव जीवन नव ग्रहों का खिलौना है ,मानव शरीर से लेकर धरती का हर कण नव ग्रहों से प्रभावित होता है। मानव शरीर का अंग किसी न किसी ग्रह से प्रभावित है ,जीवन के समय का प्रत्येक हिस्सा किसी न किसी ग्रह से संचालित होता है,ग्रहों का जीवन पर एवं पृथ्वी पर इतना अधिक प्रभाव होता है कि सूर्य से प्राप्त ऊर्जा का पृथ्वी पर रिफ्लेक्शन करने वाला चन्द्रमा ग्रह समुद्र को उथल पुथल कर देता है। चन्द्रमा को मन का स्वामी कहा जाता है। समुद्र तरह चन्द्रमा मन को भी उथल पुथल कर देता है ,चन्द्रमा का प्रभाव चन्द्रमा की बढ़ती कला अर्थात पूर्णिमा के आस पास मानव मन का मंथन कर अनेको से आत्महत्या करवा लेती है। एक अध्ययन के अनुसार जितनी आत्महत्याएं होती हैं वे अक्सर पूर्णिमा से पांच दिन पहले या पांच दिन बाद होती हैं लगभग अस्सी प्रतिशत आत्महत्याएं इसी समय होती हैं। इसलिए जो लोग ये कहते हैं कि ग्रहों का कोई प्रभाव नहीं होता उन्हें ये मानना चहिये कि ग्रहों का नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता हैं।मानव ही नहीं प्रकृति की तमाम वस्तुओं पर ग्रहों का प्रभाव होता है कुछ वृक्ष एवं वनस्पतियां तो ग्रहों का पूर्ण प्रतिनिधित्व करती हैं। यदि उनका सानिध्य एवं यज्ञ में प्रयोग किया जाय तो ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव समाप्त ही नहीं सकारात्मक भी हो सकता है। ग्रहों निगेटिव अर्थात नकारात्मक प्रभाव पड़ते ही मानव जीवन तहस नहस होने लगता है इसीलिये उसे शांत करना या करवाना जरूरी होता है। आचार्य राम शंकर मिश्र