राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ का उद्देश्य है ‘सेवा के माध्यम से शिक्षा’

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी स्वयं-सेवकों को हार्दिक बधाई! यह मेरे लिए बहुत हर्ष का विषय है कि आज इस समारोह द्वारा, मैं सेवा-भावना और सामाजिक प्रतिबद्धता से भरपूर युवाओं से बात कर रहा हूं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने केवल मानवता ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों और प्रकृति के प्रति भी सेवा और करुणा की भावना पर बल दिया था और अपना सम्पूर्ण जीवन, सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। बापू ने कहा था, “ईश्वर की पहचान सेवा से ही होगी, यह मानकर मैंने सेवा-धर्म स्वीकार किया था।” गांधी जी के आदर्शों से युवा पीढ़ी को जोड़ने के लिए ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ की शुरुआत, उनकी जन्म-शताब्दी के उपलक्ष में सन् 1969 में की गयी थी। यह योजना, आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी पांच दशक पहले थी।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ का उद्देश्य है ‘सेवा के माध्यम से शिक्षा’।सेवा के द्वारा युवा स्वयं-सेवकों के चरित्र का निर्माण तथा व्यक्तित्व का विकास होता है। इस योजना का आदर्श वाक्य है “Not me but you” यानि “मैं नहीं, बल्कि आप” इसका भाव है, अपने हित की जगह दूसरे के हित पर ध्यान देना। यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अनेक तकनीकी संस्थानों, कॉलेजों तथा विश्‍वविद्यालयों के लगभग 40 लाख युवा विद्यार्थी ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ से जुड़कर, समाज और राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। अब तक लगभग सवा चार करोड़ विद्यार्थी ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के माध्यम से अपना योगदान दे चुके हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के विरुद्ध संघर्ष में ‘राष्ट्रीय सेवा योजना’ के स्वयं-सेवकों ने सोशल-डिस्टेन्सिंग तथा मास्क के प्रयोग के लिए जागरूक बनाया है। क्वारंटीन के दौरान लोगों तक खाद्य-सामग्री एवं अन्य उपयोगी वस्तुएं पहुंचाने में योगदान दिया है। इन युवाओं ने कोविड-19 के कारणों और उसकी रोकथाम के सम्बन्ध में जानकारी का प्रचार-प्रसार करने में सरकार एवं गैर सरकारी संगठनों को अनेक प्रकार से सहायता प्रदान की है।
इन स्वयं-सेवकों ने जन-सेवा की नई मिसाल प्रस्तुत की है। यह सराहनीय है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भूकम्प और बाढ़ जैसी राष्‍ट्रीय आपदाओं के दौरान ‘राष्‍ट्रीय सेवा योजना’ के स्‍वयं-सेवक और कार्यकर्ता समाज की सहायता के लिए सदा तत्पर रहे हैं। विगत कुछ वर्षों में उन्‍होंने बाढ़ एवं जलभराव के दौरान राहत, बचाव और पुनर्वास कार्यक्रमों को कार्यान्‍वित करने में अथक प्रयास किए हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मेरे लिए, आज के पुरस्कारों से जुड़ा एक तथ्य विशेष रूप से संतोषप्रद है। वर्ष 2018-19 के 42 पुरस्कार विजेताओं की सूची में 14 बेटियों के नाम भी शामिल हैं। इन बेटियों ने अपनी असाधारण निष्ठा, सेवा-भावना और साहस का परिचय दिया है। इन्होंने यह सिद्ध किया है कि हमारी बेटियां भी राष्ट्र-सेवा में अमूल्य योगदान देती हैं। हमारी ये बेटियां उस परंपरा की याद दिलाती हैं जिसमें सावित्री-बाई फुले, कस्तूरबा गांधी और मदर टेरेसा जैसे सेवा-भावना के महान और प्रेरक उदाहरण मौजूद हैं।