राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्‍यपालों के सम्‍मेलन सम्बोधित किया

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज वीडियो कांफ्रेंस के जरिए राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्‍यपालों के सम्‍मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। इस सम्मलेन का विषय था उच्‍च शिक्षा में परिवर्तन में राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भूमिका। इस सम्मलेन को सम्बोधित करते हुए राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, परामर्शों की अभूतपूर्व और लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार की गई है। मुझे बताया गया है कि इस नीति के निर्माण में, ढाई लाख ग्राम पंचायतों, साढ़े बारह हजार से अधिक स्थानीय निकायों तथा लगभग 675 जिलों से प्राप्त दो लाख से अधिक सुझावों को ध्यान में रखा गया है।

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, इक्कीसवीं सदी की आवश्यकताओं व आकांक्षाओं के अनुरूप देशवासियों को, विशेषकर युवाओं को आगे ले जाने में सक्षम होगी। यह केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षार्थियों एवं नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। 1968 की शिक्षा नीति से लेकर इस शिक्षा नीति तक, एक स्वर से निरंतर यह स्पष्ट किया गया है कि केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर सार्वजनिक शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी के 6 परसेंट निवेश का लक्ष्य रखना चाहिए। 2020 की इस शिक्षा नीति में इस लक्ष्य तक शीघ्रता से पहुंचने की अनुशंसा की गयी है।

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली ही जीवंत लोकतान्त्रिक समाज का आधार होती है। अतः सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों को मजबूत बनाना अत्यंत आवश्यक है। नई शिक्षा नीति में इस बात पर बल दिया गया है कि हम सबको भारतीय जीवन-मूल्यों पर आधारित आधुनिक शिक्षा प्रणाली विकसित करनी है। साथ ही यह भी प्रयास करना है कि सभी को उच्च गुणवत्ता से युक्त शिक्षा प्राप्त हो तथा एक जीवंत व समता-मूलक नॉलेज सोसाइटी का निर्माण हो।

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि शिक्षा के माध्यम से हमें ऐसे विद्यार्थियों को गढ़ना है जो राष्ट्र-गौरव के साथ-साथ विश्व-कल्याण की भावना से ओत-प्रोत हों और सही अर्थों में ग्लोबल सिटिजन बन सकें। वर्ष 2025 तक प्राथमिक विद्यालय स्तर पर सभी बच्चों को मूलभूत साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त कराना इस शिक्षा प्रणाली की सर्वोच्च प्राथमिकता तय की गई है। इसके आधार पर ही आगे की शिक्षा का ढांचा खड़ा हो सकेगा। शिक्षा व्यवस्था में किए जा रहे बुनियादी बदलावों में शिक्षकों की केन्द्रीय भूमिका रहेगी। इस शिक्षा नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि शिक्षण के पेशे में सबसे होनहार लोगों का चयन होना चाहिए तथा उनकी आजीविका, मान-मर्यादा और स्वायत्तता को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के आकलन के अनुसार, भारत में वर्कफोर्स के 5 परसेंट से भी कम लोगों ने औपचारिक व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त की थी। यह संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका में 52 परसेंट, जर्मनी में 75 परसेंट और दक्षिण कोरिया में 96 परसेंट थी। भारत में व्यावसायिक शिक्षा के प्रसार में तेजी लाने की आवश्यकता को देखते हुए यह तय किया गया है कि स्कूल तथा हायर एजुकेशन सिस्टम में वर्ष 2025 तक कम से कम 50 परसेंट विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। स्कूली शिक्षा को मजबूत आधार देने के लिए 2021 तक, इस शिक्षा नीति पर आधारित, टीचर्स एजुकेशन का एक नवीन और व्यापक पाठ्यक्रम तैयार करने का लक्ष्य है। टीचर्स एजुकेशन, उच्च शिक्षा का अंग है। अतः राज्य स्तर पर आप सबको टीचर्स एजुकेशन से जुड़े अत्यंत महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करना है

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि इस संदर्भ में शैक्षिक रूप से सुदृढ़, मल्टी-डिसिप्लिनरी और इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन कार्यक्रम शुरू करने का प्रावधान है। वर्ष 2030 तक इस क्षेत्र में केवल उच्च स्तरीय संस्थान ही सक्रिय रह जाएंगे। इस संदर्भ में शैक्षिक रूप से सुदृढ़, मल्टी-डिसिप्लिनरी और इंटीग्रेटेड टीचर्स एजुकेशन कार्यक्रम शुरू करने का प्रावधान है। वर्ष 2030 तक इस क्षेत्र में केवल उच्च स्तरीय संस्थान ही सक्रिय रह जाएंगे। इस नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा की शिक्षा का ही अंग समझा जाएगा और ऐसी शिक्षा को बराबर का सम्मान दिया जाएगा। इससे बच्चों और युवाओं में कौशल वृद्धि के साथ-साथ श्रम की गरिमा के प्रति सम्मान का भाव भी पैदा होगा।

शिक्षण पद्धति और बाल मनोविज्ञान की दृष्टि से सभी स्‍वीकार करते हैं कि आरंभिक शिक्षा का माध्‍यम मातृभाषा होनी चाहिए। इस सोच के अनुरूप नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा सूत्र की संस्‍तुति की गई है। इस शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं, कला और संस्‍कृति को प्राथमिकता दी गई है। इससे विद्यार्थियों में सृजनात्‍मक क्षमता विकसित होगी और भारतीय भाषाओं की ताकत और बढ़ेगी। विविध भाषाओं वाले हमारे देश की एकता को अक्षुण्ण बनाए रखने में इससे मदद मिलेगी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं, कलाओं और संस्कृति के संवर्धन को विशेष महत्व दिया गया है क्योंकि वे भारत की पहचान के साथ-साथ हमारी अर्थ-व्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वंचित क्षेत्रों में उच्च शिक्षा के लिए वर्ष 2030 तक प्रत्येक जिले में या उसके समीप कम से कम एक बड़ा मल्टी-डिसिप्लिनरी हायर एजुकेशन इन्स्टीट्यूशन उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। इसके लिए राज्य स्तर पर अनेक कदम उठाए जाने होंगे। ऐस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स तथा स्पेशल एजुकेशनल जोन्स में गुणवत्ता-पूर्ण उच्च शिक्षण संस्थानों की स्थापना की जानी है। यह सामाजिक तथा आर्थिक रूप से वंचित समूहों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह देखा गया है कि रिसर्च और इनोवेशन में निवेश का स्तर अमेरिका में जीडीपी का 2.8 परसेंट, दक्षिण कोरिया में 4.2 परसेंट और इज़राइल में 4.3 परसेंट है जबकि भारत में यह केवल 0.7 परसेंट है। भारत जैसी बड़ी और जीवंत अर्थ-व्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए ‘नॉलेज-क्रिएशन’ तथा रिसर्च को प्रोत्साहित करना जरूरी है। केंद्र व राज्य सरकारों को रिसर्च तथा इनोवेशन में निवेश का प्रतिशत बढ़ाना होगा।

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि सभी क्षेत्रों में गुणवत्ता युक्त शैक्षिक अनुसंधान को प्रेरित करने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फ़ाउंडेशन की स्थापना की जाएगी। शोध की संस्कृति को मजबूत बनाने के लिए सभी विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को राष्ट्रीय अनुसंधान फ़ाउंडेशन के साथ मिल कर काम करना होगा। टेक्नॉलॉजी के उपयोग और इंटीग्रेशन से शिक्षण प्रक्रिया में सुधार को गति मिलेगी तथा बेहतर परिणाम निकलेंगे। इसके लिए नेशनल एजुकेशनल टेक्नॉलॉजी फोरम – एन.ई.टी.एफ़. की स्थापना की जाएगी। एन.ई.टी.एफ़. द्वारा राज्य सरकार की एजेंसियों को भी परामर्श उपलब्ध कराया जाएगा।

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सफलता केंद्र तथा राज्य दोनों के प्रभावी योगदान पर निर्भर करेगी। भारतीय संविधान के अंतर्गत शिक्षा कनकरेंट लिस्ट का विषय है। अतः इसमें केंद्र और राज्यों द्वारा संयुक्त और समन्वयपूर्ण कार्रवाई की आवश्यकता है। उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में, इस शिक्षा नीति की अनुशंसाओं का समयबद्ध पालन सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालयों के कुलपतियों तथा शिक्षकों की वेकेन्सीज पर अतिशीघ्र सुयोग्य व्यक्तियों को नियुक्त करने की आवश्यकता है।

राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मैं चाहूंगा कि सभी राज्‍यपाल अपने राज्‍यों में नई शिक्षा नीति को कार्यरूप देने के लिए थीम आधारित वर्चुअल सम्‍मेलन करें। शिक्षा नीति के विभिन्‍न आयामों पर व्‍यापक विचार-विमर्श के उपरान्‍त आप अपने सुझाव केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भेज सकते हैं ताकि उनका देशव्यापी उपयोग किया जा सके। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की अनुशंसाओं को लागू करने की दिशा में आप सभी राज्यपालों तथा शिक्षा मंत्रियों का बहुत महत्वपूर्ण दायित्व है। मुझे विश्वास है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को कार्यरूप देने में योगदान करते हुए आप सब भारत को ‘नॉलेज-हब’ बनाने में अपनी प्रभावी भूमिका निभाएंगे।