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आपका भाग्य आप की मुठ्ठी में
आपका भाग्य आप की मुठ्ठी में है यह कहावत अक्षरशः सत्य है कि मनुष्य का भाग्य उसके हाथों में होता है। इसका एक कारण तो यह है कि मनुष्य अपने हाथों द्वारा कर्म करके अपने भाग्य का निर्माण करता है। आज हम जो कुछ प्रारब्ध सुख दुःख के रूप में भोग रहे हैं। वह भी हमारे पूर्व जन्मो में किये गए कार्यों के परिणाम हैं। दूसरा कारण यह है कि पूर्व कृत प्रारब्ध का जो भी फल हमारे जीवन में सुख दुःख उत्थान पतन के रूप में मिलने वाला है वह सब हमारे हाथों की रेखाओं के रूप में अंकित रहता है। जिसे जानकर व्यक्ति दुःख और पतन की संभावनाओं से सावधान रहते हुए जीवन का सुधार कर सकता है। यद्यपि यह तो निश्चित है कि जीवन में पतन की ओर जाने वाली संभावित कष्टप्रद परिस्थितियां सामान्य उपचार से बदली तो नहीं जा सकती परन्तु उसके लिए उसके अनुरूप उपचार करके उनसे निजात पाई जा सकती है। मानस कार कहते हैं कि “जौ तप करै कुमारि तुम्हारी। भाविव मेटि सकहिं त्रिपुरारी।” इससे यह सिद्ध होता है कि मनुष्य अपने भाग्य निर्माता स्वयं है। आपका भाग्य आप की मुठ्ठी में है .
आज के इस विज्ञान के युग में संसार जंहा एक ओर विज्ञान के द्वारा अनेक प्रकार की सुख सुविधाएँ प्राप्त करता जा रहा है वंही दूसरी ओर जीवन के रोग एवं दुर्घटनाएं विज्ञान को अंगूठा दिखाते हुए मानव को हिलाकर रख देती हैं। तब मनुष्य वैज्ञानिकीय सुविधाओं के कारण ईश्वर एवं कर्म फल को भूल चूका था उसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण लेकर भारतीय संस्कृति की तरफ लौटना पड़ रहा है। भारतीय संस्कृति का का हर पहलू इस समय समस्त वैज्ञानिक चुनौतियों को स्वीकार कर रही हैं। क्योंकि वह स्वयं विज्ञान सम्मत ही नहीं विज्ञान ही है। वह जिसे चिर पुरातन विज्ञान कहा गया है। आज के समय भारतीय ज्योतिष की ओर संसार के प्रबुद्ध वर्ग के लोग आकर्षित हो रहे हैं तथा इसके जिज्ञासु इसमें पूरी सफलता पा रहे हैं।
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