- ठाकुर ब्राह्मण वाद में फंस गया ब्राह्मण
- हाईकोर्ट ने निकाय चुनावों को बिना ओबीसी आरक्षण के कराने को कहा योगी बोले आरक्षण के बाद होंगे चुनाव
- नई दिल्ली में वीर बाल दिवस कार्यक्रम में जानिए क्या बोले पीएम मोदी
- प्रधानमंत्री ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से बात की
- अखिलेश यादव ने झांसी जिला कारागार में पूर्व विधायक दीपक यादव से मुलाकात की
कौन हो युवाओं का आदर्श ?

युवा आदर्श कौन? इस सवाल के सबके अपने- अपने जवाब हैं। फिर भी सही जवाब गायब है। यूँ कहने को तो युवक- युवतियों ने किसी न किसी फिल्मी सितारे, क्रिकेटर, फुटबाल या किसी टेनिस खिलाड़ी को अपना आदर्श बना रखा है। इनमें से किसी की वेश- भूषा उनके दिलों को छूती है, तो किसी की चाल- ढाल या हाव- भाव उन्हें भाते हैं। किसी के रन बनाने अथवा फिर किसी की फुटबाल के साथ कलाबाजी एवं गोल दागने के अंदाज उन्हें भाते हैं। किसी का खेल या किसी की कला उन्हें दीवाना बनाती है और ये सपने देखते हैं। कुछ वैसा ही बनने की कोशिश करते हैं, कुछ वैसा ही दिखने की। लेकिन ये सारे सपने- कोशिशें उनमें कोई गुणात्मक परिवर्तन नहीं ला पाती हैं। न उनका चिंतन बदल पाता है और न चरित्र, बस बदलती है तो केवल चाल और चेहरा।
आदर्श तो हमेशा ऐसा होता है, जिसमें जीवन की चरम गुणवत्ता झलकती हो, जिसमें जिन्दगी के शिखर की झलक निहारी जा सके। ऐसा न हो पाने पर केवल बाहरी चमक- दमक या आकर्षण से बात नहीं बनती। मानने या न मानने पर भी सच यही है कि कागज की नावों के सहारे महासागर नहीं पार किये जा सकते, काठ के बर्तनों को आग में देर तक नहीं चढ़ाया जा सकता। ठीक इसी तरह जिन्दगी की मुश्किल मंजिलें फिल्मी संवादों के बूते नहीं हासिल की जा सकतीं। आदर्श तो हमेशा कुछ ऐसा होता है, जो प्रेरक हो—मार्गदर्शक हो। जिसकी जीवनशैली, जीवन प्रसंग में इतना प्रकाश हो कि वे अपना अनुगमन करने वालों के अँधियारे जीवन में उजाला भर सकें। इससे कम सामर्थ्य में किसी को आदर्श के रूप में स्वीकार करना बड़ी नासमझी की बात है।
जब बात युवा आदर्श की चले तो यह जरूर ध्यान रखना होगा कि युवा आदर्श वही हो सकता है, जो स्वयं साहस और संवेदना से युवा हो। जिसमें जमाने की हवा को आदर्शों की राह पर बलात् चला देने का दम- खम हो। जिसमें युवा जीवन की चरम सम्भावनाएँ साकार दिखती हों। जिसे देखते ही युवा आदर्श के पथ पर चलने की प्रेरणा प्राप्त कर सके। जिसके सान्निध्य में युवा की ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन हो और पवित्र- परिष्कृत जीवन जीने की प्रेरणा मिले। जिसको देखकर, जिसे सुनकर युवाओं के जीवन का बहकाव- बिखराव सिमटने लगे और जीवन की दिशा स्पष्ट होती चले। जिससे युवाओं को कर्त्तव्य पथ की कठिन डगर पर आगे बढ़ने का साहस एवं धीरज मिले। जिसके जीवन एवं चिंतन से युवाओं में समाज, संस्कृति, देश एवं मानवता के लिए कुछ कर गुजरने का भाव उफन उठे। जिसके वैचारिक अहसास से युवक- युवतियाँ स्वार्थ- अहं से ऊपर उठकर जीवन के परम तत्त्व की ओर बढ़ने लगें, उनमें कुछ ऐसा ही सोच- सूझ एवं साहस पैदा हो।