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देखिये अपने विदाई समारोह क्या बोले रामनाथ कोविंद
देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के केंद्रीय हॉल में आयोजित अपने विदाई समारोह में कहा, भारत की जनता ने, आप सबके माध्यम से, मुझे राष्ट्रपति के रूप में चुनकर देश की सेवा करने का अवसर प्रदान किया। इसके लिए मैं देशवासियों का सदैव आभारी रहूंगा। उन्होंने आगे कहा कि मैं राष्ट्रपति पद के लिए नव-निर्वाचित, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। सर्वोच्च संवैधानिक पद पर उनका चुनाव महिला सशक्तीकरण को बढ़ाने के साथ-साथ समाज के संघर्षशील लोगों में महत्वाकांक्षा का संचार करने वाला है। मुझे पूरा विश्वास है कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के अनुभव, विवेक और व्यक्तिगत आदर्श से पूरे देश को प्रेरणा मिलेगी और मार्गदर्शन भी।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि राजनीतिक प्रक्रियाएं, राजनीतिक दलों के अपने तंत्रों के माध्यम से संचालित होती हैं, लेकिन पार्टियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना से यह विचार करना चाहिए कि देशवासियों के विकास और कल्याण के लिए कौन-कौन से कार्य आवश्यक हैं। हमारे नागरिकों को अपनी मांगों के लिए दबाव बनाने का तथा विरोध करने का संवैधानिक अधिकार उपलब्ध है, लेकिन मेरे विचार से, इस अधिकार का प्रयोग हमेशा गांधीवादी तौर-तरीकों के अनुरूप शांतिपूर्ण ढंग से किया जाना चाहिए। पिछले दो वर्षों की विभीषिका ने यह भी याद दिलाया है कि पूरी मानवता वास्तव में एक ही कुटुंब है और सभी का अस्तित्व आपसी सहयोग पर निर्भर करता है।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि कोविड का सामना करने में भारत के प्रयासों की विश्वव्यापी सराहना हुई है। सबके प्रयास से हमने केवल 18 महीने में ही 200 करोड़ वैक्सीन लगाने का लक्ष्य प्राप्त किया है। जलवायु परिवर्तन अब वाद-विवाद का विषय नहीं रह गया है, बल्कि इसके परिणाम हमारे जीवन को सीधे-सीधे प्रभावित करने लगे हैं। प्रकृति के प्रति सम्मान का भाव तथा मानवता की साझा नियति में विश्वास, पर्यावरण की रक्षा करने में हमारी मदद कर सकता है।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि जब मैं जन-सेवक के रूप में अपने और सरकारों के प्रयासों के बारे में सोचता हूं, तो हमें यह स्वीकार करना पड़ता है कि समाज के हाशिए पर जीवन-यापन करने वाले लोगों के जीवन-स्तर को बेहतर बनाने के लिए, हालांकि बहुत कुछ किया गया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। मैं मिट्टी से बने एक कच्चे घर में पला-बढ़ा हूं, लेकिन अब ऐसे बच्चों की संख्या बहुत कम हो गयी है जिन्हें आज भी उन कच्चे घरों में रहना पड़ता है जिनमें छत से पानी टपकता हो। आज, बड़ी तादाद में हमारे गरीब भाई-बहनों के पास भी पक्के घर हैं।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि अब हमारी बहुत सी बेटियों और बहनों को पीने का पानी लाने के लिए मीलों पैदल नहीं चलना पड़ता है, क्योंकि हमारा प्रयास है कि हर घर नल से जल पहुंचे। हमने घर-घर में टॉयलेट्स भी बनवाए हैं जो एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत के निर्माण की नींव डाल रहे हैं। सूर्यास्त के बाद लालटेन या दिया जलाने की यादें भी पुरानी हो रही हैं क्योंकि लगभग सभी गांवों तक बिजली का उजाला पहुंच गया है। महिलाओं में सशक्तीकरण की भावना को निरंतर मजबूत होते देखकर मुझे विशेष संतोष का अनुभव होता है। यह सशक्तीकरण युवा पीढ़ी की हमारी बेटियों को और आगे बढ़ा रहा है। मेरा मानना है कि आने वाले वर्षों में महिला सशक्तीकरण से हमारा समाज और अधिक मजबूत होगा।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान दो अत्यंत महत्वपूर्ण आयोजन किए गए हैं – ‘राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती’ तथा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’। मैं इन दोनों ऐतिहासिक अवसरों से जुड़े अत्यंत प्रभावशाली आयोजनों के लिए देश की जनता व सरकार को बधाई देता हूं। राष्ट्रपति के पद को आप सबने जिस प्रकार निरंतर सम्मान दिया है, उसकी मैं सराहना करता हूं। मेरी शुभकामना है कि आप सब, समाज व राष्ट्र को और अधिक मजबूत बनाने के अपने प्रयासों में, सफलता प्राप्त करें।