देखिये हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि पर क्या बोले पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज स्वर्गीय हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि पर एक कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज, हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा लोकतान्त्रिक दिन भी है। आज हमारी नई राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण हुआ है। आजादी के बाद पहली बार आदिवासी समाज से एक महिला राष्ट्रपति देश का नेतृत्व करने जा रही हैं। लोहिया जी के विचारों को उत्तर प्रदेश और कानपुर की धरती से हरमोहन सिंह यादव जी ने अपने लंबे राजनैतिक जीवन में आगे बढ़ाया। उन्होंने प्रदेश और देश की राजनीति में जो योगदान किया, समाज के लिए जो कार्य किया, उनसे आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन मिल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हरमोहन सिंह यादव जी ने न केवल सिख संहार के खिलाफ राजनैतिक स्टैंड लिया, बल्कि सिख भाई-बहनों की रक्षा के लिए वो सामने आकर लड़े। अपनी जान पर खेलकर उन्होंने कितने ही सिख परिवारों की, मासूमों की जान बचाई। देश ने भी उनके इस नेतृत्व को पहचाना, उन्हें शौर्य चक्र दिया गया। दलों का अस्तित्व लोकतन्त्र की वजह से है, और लोकतन्त्र का अस्तित्व देश की वजह से है। हमारे देश में अधिकांश पार्टियों ने, विशेष रूप से सभी गैर-काँग्रेसी दलों ने इस विचार को, देश के लिए सहयोग और समन्वय के आदर्श को निभाया भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आपातकाल के दौरान जब देश के लोकतन्त्र को कुचला गया तो सभी प्रमुख पार्टियों ने, हम सबने एक साथ आकर संविधान को बचाने के लिए लड़ाई भी लड़ी। चौधरी हरमोहन सिंह यादव जी भी उस संघर्ष के एक जुझारू सैनिक थे। यानी, हमारे यहाँ देश और समाज के हित, विचारधाराओं से बड़े रहे हैं। हालांकि, हाल के समय में विचारधारा या राजनीतिक स्वार्थों को समाज और देश के हित से भी ऊपर रखने का चलन शुरू हुआ है। कई बार तो सरकार के कामों में विपक्ष के कुछ दल इसलिए अड़ंगे लगाते हैं क्योंकि जब वो सत्ता में थे तो अपने लिए फैसले वो लागू नहीं कर पाए। ये हर एक राजनैतिक पार्टी का दायित्व है कि दल का विरोध, व्यक्ति का विरोध देश के विरोध में न बदले। विचारधाराओं का अपना स्थान है, और होना चाहिए। राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं, तो हो सकती हैं। लेकिन, देश सबसे पहले है, समाज सबसे पहले है। राष्ट्र प्रथम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि समाज की सेवा के लिए ये भी आवश्यक है कि हम सामाजिक न्याय की भावना को स्वीकार करें, उसे अंगीकार करें। आज जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है, तो ये समझना और इस दिशा में बढ़ना बहुत जरूरी है। सामाजिक न्याय का अर्थ है- समाज के हर वर्ग को समान अवसर मिलें, जीवन की मौलिक जरूरतों से कोई भी वंचित न रहे। दलित, पिछड़ा, आदिवासी, महिलाएं, दिव्यांग, जब आगे आएंगे, तभी देश आगे जाएगा। हरमोहन जी इस बदलाव के लिए शिक्षा को सबसे जरूरी मानते थे।
बतादें कि हरमोहन सिंह यादव (18 अक्टूबर, 1921 – 25 जुलाई, 2012) एक महान व्यक्ति और यादव समुदाय के नेता थे। हरमोहन सिंह यादव लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे और उन्होंने एमएलसी, विधायक, राज्यसभा सदस्य और ‘अखिल भारतीय यादव महासभा’ के अध्यक्ष के रूप में विभिन्न पदों पर कार्य किया। उन्होंने अपने बेटे सुखराम सिंह की मदद से कानपुर और इसके आसपास कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1984 के सिख-विरोधी दंगों के दौरान कई सिखों के जीवन की रक्षा करने में वीरता का प्रदर्शन के लिए हरमोहन सिंह यादव को 1991 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।