वाह केजरीवाल – आह योगीराज
दिल्ली में राज करने वाले अरविन्द केजरीवाल ने गरीबों की बिजली का बिल माफ़ करके व रोज आने जाने वाली महिलाओं का किराया माफ़ करके गरीबों को जो राहत दिया। वह काम मोदी की वह सरकार न कर सकी जो चुनाव से पहले किसानों की आय दुगनी करने की कसमें खा रही थी। गरीबों को आय बढ़ाने का झांसा देने वाली सरकार ने हर गरीब के घर में बिजली लगा दिया एवं हर घर को गैस सिलेंडर पंहुचा दिया। गरीबों को प्रसन्नता भी हुई एवं सरकार की प्रसंसा भी हुई। परन्तु बढ़ते हुए गैस सिलिंडर के दामों ने घरों के चूल्हे बुझाने शुरू कर दिए हैं।
अब बिजली विभाग के रवैये एवं विभागीय कर्मचारियों की तानाशाही ने बिल वसूली के नाम पर रिश्वतखोरी व तानाशाही के कारण गरीबों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया है। सुदूर ग्रामीण अंचलों में बिजली विभाग का कोई मीटर रीडर नहीं जाता है। अधिकारी ऑफिस में बैठे बैठे मीटर वाच कर कई गुना बिजली का बिल कम्प्यूटर से निकाल कर भेज देते हैं। वह बिल जब गरीबों के पास जाता है। और गरीब को पता चलता है कि बिजली का कनेक्शन तो गरीबी रेखा के नीचे वाला है। लेकिन बिल 61000 आया है तो उसे हार्ट अटैक होने लगता है। बिल वसूली के कर्मचारी उसे डाटने फटकारने एवं गालियां तक देने लगते हैं। और उसका कनेक्शन काट देते हैं।
अधिकारी से बिल अधिक होने की शिकायत करने पर अधिकारी कहते हैं कि बिल ऑफिस आकर ठीक करवा लेना। यह कम्प्यूटर की गलती है। इतना प्रकरण होते होते उस गरीब का हजारों रूपये हार्ट अटैक होने वाली दवा में खर्च हो जाता है। बिजली विभाग के अधिकारी ऐसी तानाशाही दिखाते हैं। जिस प्रकार इंदिरा सरकार में होने वाले परिवार नियोजन कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग एवं पुलिस विभाग दोनों मिलकर अरहर के खेत में किसी का भी परिवार नियोजन कर डालते थे।
ऐसा ही प्रकरण बाराबंकी जिले के तहसील राम सनेही घाट के ग्राम सिल्हौर के मजरे खाले के पुरवा में हुआ जंहा के बिजली विभाग के सूरजपुर फीडर के जेई अपने दल बल के साथ पहुंचे और घोषणा करवा दी कि मै रिश्वत नहीं लेता जिसका भी बिजली का बिल बाकि होगा उसका कनेक्शन काट दिया जायेगा। और हुआ वही ग्रामीण चिल्लाते रहे कि मेरा मीटर रीड करके बिल बताइये लेकिन अधिकारी कहते रहे कि इसके लिए ऑफिस आइये वंही देंखेंगे। और इतना कहकर सभी के कनेक्शन कटवाते गए। जुर्माना देने वाली लाल पर्ची पर दस्तखत करवाते गए। जिसने उसके बारे में कुछ पूछना चाहा उसे एफआईआर करा देने की धमकी देते रहे और डांट फटकार करते रहे। जिससे लोगों ने मरे डर के पर्ची पर दस्तखत कर दिया। और वे विभागीय अधिकारीयों को दिखने के लिए एपीआई पीठ ठोकते हुए विजयी होकर लौट गए।
यदि बिजली विभाग का यही रवैया रहा तो लोग ऐसी सरकार चाहेंगे कि जिस सरकार में कम से कम अधिकारी किसी गरीब को बेज्जत न करें।
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