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सरकार की नारी सशक्तिकरण को मुँह चिढ़ाती घटनाएं

जन्मदात्री माँ द्वारा जन्म के दो घंटे के बाद बच्ची का गाला घोट देना। नवजात बच्ची को कूड़े में फेक देना वर्तमान समाज के मुँह पर एक तमाचा है। एवं सरकार की नारी शशक्तिकरण को मुँह चिढ़ाती घटनाएं हैं. भारतीय समाज आदि काल से नारियों की पूजा अर्थात सम्मान देता आ रहा है। शास्त्रों की माने तो “यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता” का सन्देश आ रहा है। उसी के प्रतीक रूप में हर नवरात्री में कुमारी पूजन देवताओं से ज्यादा देवियों की पूजा होते आ रही है. बड़ी विडंबना है की जिस समाज में ऐसी मान्यताएं घर घर में व्याप्त हों वंही मन के गर्भ में आनेवाली आने वाली कन्याओं गर्भपात एवं जन्म के बाद फेंकना गला घोंटने जैसी घटनाएँ हो रही हैं यह एक सभ्य समाज के लिए बड़ी शर्मनाक बात है।
सरकार जंहा एक ओर नारियों को धरती से आसमान तक पदस्थापित करने में लगी है वंही नारी सशक्तिकरण के लिए बने कानून खोखले होते दिख रहे हैं। बच्चियों के अवमूल्यन का सबसे बड़ा कारण “दहेज प्रथा ” है। जिसे रोंकने के लिए कानून बनाये गएँ हैं. लेकिन वो केवल किताबों तक ही सीमित हैं। सरकारके वे कानून जो जिससे समाज में व्यापक असर पड़ता है। सरकार एवं उनके कर्मचारियों के ढुलमुल रवैये के कारण लागू नहीं हो पाता क्योंकि उससे सरकार के वोटर व सपोटर प्रभावित होते हैं।
ऐसे में समाज के जिम्मेदार लोगों की जिम्मेदारी बनती है की नारी सशक्तिकरण बने कानूनों एवं शास्त्र की मान्यतों को दृढ़ प्रतिज्ञ होकर समाज में लागू करवाई जाय नही तो नारियों के साथ हो रहे अत्याचारों से एक दिन यह समाज जायेगा। न रहेगी नारी न रहेगा परिवार। फिर समाज की परिकल्पना का आधार नहीं होगा। : आचार्य रामशंकर मिश्र