अवध क्षेत्र को आध्यात्मिक क्षेत्र बनाने हेतु

सतयुग के प्रारम्भ में वैदिक मन्त्र द्रष्टा ऋषियों ने जिस भूमी पर तप करके वैदिक ऋचाओं  का दर्शन किया था। वह हमारा अवध क्षेत्र ही है। इसलिए सतयुग की पुनर्स्थापना के लिए भगवान श्री राम ने इस अवध क्षेत्र (अयोध्या ) में ही जन्म लेकर त्रेता युग में सतयुग की स्थापना की थी। क्योकि सतयुग की स्थापना के लिए उपयुक्त भूमि और और सतयुग के बीज इसी क्षेत्र में सुप्तावस्था में पड़े थे। “सब नर करहि परस्पर प्रीति चलहि स्वधर्म निरति श्रुति नीति ” का सिद्धांत मानव और प्रकृति के जीवन में यही फलित हो सकता था। दुष्टो और दुष्प्रवृतियों का संघार तो लंका में था। परन्तु सतयुग के स्थापना के कार्य के लिए अवध क्षेत्र ही उपयुक्त था। अवध क्षेत्र को आध्यात्मिक क्षेत्र बनाने हेतु यह कार्य हो रहा है।

अतः पुनः भारत जगत गुरु बनने की ओर अग्रसर है। पुनः नवयुग आगमन का केंद्र यह अपना अवध क्षेत्र बनने जा रहा है। जिसके लिए श्री हनुमत उपासक संघ ने समस्त हनुमान जी के भक्तों को आवाज लगाया है। और कहा जा रहा है कि फिर से धरती पर स्वर्ग रामराज्य की स्थापना के लिए श्री हनुमंतलाल जी का आश्रय लेकर खड़े हो जाओ और गांव गांव में घर घर में श्री हनुमान जी की उपासना का सबसे छोटा एवं प्रभावी कार्यक्रम श्री हनुमान चालीसा का पथ है। इस हनुमान चालीसा के पाठ से स्वयं की समस्याओं का समाधान करें और विश्व कल्याण की भावना करें। श्री हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ व्यक्तिगत, सामाजिक, राजनैतिक, एवं प्रकृति जैसी समस्त समस्याओं को बदल सकता है। जिसके लिए हनुमत उपासक संघ द्वारा गांव गांव में सामूहिक पाठ कराया जा रहा है। आप स्वयं या हनुमत उपासक संघ का सहयोग लेकर सामूहिक पाठ करवा सकते हैं। राम काज कछु मोर निहोरा श्री हनुमान जी ने ही पुरे देश में पर्वत पहाड़ों पर जा जा कर भगवान के काम के लिए बंदर भालुओं को एकत्रित किया था। वही कार्य हनुमत उपासक संघ कर रहा है।

अवध क्षेत्र को आध्यात्मिक क्षेत्र बनाने एवं श्री हनुमान जी की सर्वोच्च मूर्ति की स्थापना हेतु

इस परम पवन पुनीत कराय के लिए उस पौराणिक केंद्र को चुना गया है जंहा पर श्री भरत लाल जी ने चित्रकूट से अयोध्या आते समय गोमती नदी के किनारे विश्राम एवं ध्यान किया था। जिसका उल्लेख श्री रामचरित मानस के अयोध्या काण्ड में “सई उतरि गोमती नहाये। चौथे दिवस अवधपुर आये। के रूप में किया है। यह स्थान इस समय अयोध्या जिले के नैऋत्य कोण पर सिल्हौर घाट के नाम से प्रसिद्ध है। जंहा पर श्री लालेश्वर धाम राम गढ़ और राम घाट प्रसिद्ध स्थान है। इसी स्थान पर आज से सैकड़ो वर्ष पूर्व स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम तपस्वी तप किया करते थे। जिन्हे भगवत प्राप्त संत कहा जाता रहा है। उस भूमि का दर्शन एवं स्पर्श व गोमती नदी में स्नान कर लोग आज भी पूर्णकाम होकर जाते हैं।

श्री हनुमत उपासक संघ ने उसी पवित्र तीर्थ क्षेत्र भगवान लालेश्वर एवं सिल्हौर घाट के मध्य श्री स्वामी नारायण आश्रम जी की तपोभूमि पर श्री हनुमान जी की सबसे ऊँची मूर्ति की स्थापना का संकल्प लिया है। इसी क्षेत्र को “संकट मोचक तीर्थ” में विकसित किया जाना व राम राज्य शोध संस्थान एवं वैदिक संस्कृति विशवविद्यालय भी स्थापित किया जाना है।

अयोध्या के 125 किमी ० परिक्षेत्र को अवध क्षेत्र को आध्यात्मिक क्षेत्र बनाने हेतु उपयुक्त स्थान को केंद्र बनाकर अयोध्या के चारों और श्री हनुमत उपासना का वातावरण बनाना है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में श्री हनुमत उपासकों की 33 – 33 लोगों की टोलियां बनाकर श्री हनुमान चालीसा पथ करवाना है। इसके साथ ही श्री हनुमत उपासना महा यज्ञ के रूप में सवालाख हनुमान चालीसा का पाठ सामूहिक किया जाना है।

अतः इस पुनीत कार्य के लिए अवध क्षेत्र के समस्त जाति, धर्म, सम्प्रदाय, समुदाय के लोंगो से निवेदन है कि आप इस नैतिक सामाजिक कार्यक्रम में श्री हनुमान उपासना का सहयोग करके जीवन को कृतार्थ करें। व्यक्तिगत, सामूहिक उपासना, पाठ में किसी भी प्रकार की शंका या समस्या के समाधान के लिए 8172941808 पर संपर्क कर सकते हैं।