आज देश में मनाया जा रहा शिक्षक दिवस प्रधानमंत्री समेत कई नेताओं ने शिक्षकों के प्रति प्रगट किया आभार

आज पूरे देश में शिक्षक दिवस को एक पर्व के रूप में मनाया है। शिक्षक दिवस देश के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन है और उन्हीं के सम्मान में इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन को प्रख्यात शिक्षाविद्, महान दार्शनिक थे। उन्हें भारत सरकार ने सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था।

शिक्षक दिवस अवसर पर प्रधानमंत्री समेत कई नेताओं ने शिक्षकों के प्रति आभार प्रगट किया है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा है कि मन को आकार देने और हमारे राष्ट्र के निर्माण में योगदान देने के लिए हम परिश्रमी शिक्षकों के प्रति आभारी हैं। शिक्षक दिवस पर, हम अपने शिक्षकों को उनके उल्लेखनीय प्रयासों के लिए आभार व्यक्त करते हैं। हम डॉ एस राधाकृष्णन को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हैं।”

“हमारे देश के गौरवशाली इतिहास से हमारा जुड़ाव गहरा करने के लिए हमारे विद्वान शिक्षकों से बेहतर कौन है। हाल के मनकीबात के दौरान, हमारे महान स्वतंत्रता संघर्ष के कम ज्ञात पहलुओं के बारे में छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के सम्बन्ध में मैंने एक विचार साझा किया था।”

उपराष्ट्रपति ने ट्वीट में लिखा शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी गुरुजनों का अभिनन्दन! आज हम सब मिलकर देश के उन सभी शिक्षकों को धन्यवाद दें जो इस महामारी के दौरान भी अपने विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए अनवरत प्रयास कर रहे हैं।

उत्तर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य का संबंध अद्भुत है, अनुपम है। गुरु ही, गोविंद तक पहुंचने का माध्यम हैं। शिक्षक दिवस के पुनीत अवसर पर सभी आदरणीय गुरुजनों के श्रीचरणों में सादर नमन। गुरुदेव अपने आशीष से हम सभी को अभिसिंचित रखें, हम सभी का जीवन पथ मंगलमय करें। यही कामना है।

भारतीय संस्कृति के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान, उत्कृष्ट वक्ता, महान दर्शनशास्त्री, दूरदर्शी विचारक, आजीवन शिक्षा के प्रति समर्पित, देश के पूर्व राष्ट्रपति आदरणीय डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को उनकी जयंती पर श्रद्धापूर्वक नमन।

अखिलेश यादव ट्वीट कर लिखा ‘शिक्षक दिवस’ की हार्दिक शुभकामनाएँ! उन सभी गुरुजनों को सादर प्रणाम जिन्होंने जीवन मूल्यों के अमूल्य पाठ पढ़ाए और सिखाया कि प्रेम, करुणा, सौहार्द, सद्भाव एवं दीन-हीन की सेवा-सहायता करना मानव होने का मूल है व विवेकशील, विचारशील और विज्ञानशील होना ही विकास के सच्चे मानक हैं.