उद्धव ठाकरे परिवार समेत सरकारी आवास ‘वर्षा’ छोड़ गए ‘मातोश्री’

महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संग्राम के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सरकारी आवास वर्षा खाली कर दिया है। और वो परिवार के साथ वो मातोश्री में चले गए हैं। अब वो अपना कामकाज मातोश्री से ही देखेंगे। हालांकि उन्होंने अभी सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया है। कुछ तीस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि सीएम उद्धव का सामान वर्षा बंगले से मातोश्री ले जाया जा रहा है। महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे अपनी मां रश्मि ठाकरे और भाई तेजस ठाकरे के साथ मुंबई में अपने आधिकारिक आवास से निकलकर मातोश्री चले गए हैं।

बतादें कि महाराष्ट्र में चल रहे सियासी संग्राम के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज शाम को फेसबुक लाइव के जरिये देश को सम्बोधित किया। अपने सम्बोधन के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुझे किसी पद से कोई मोह नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस समय मैं मुख्यमंत्री बना उस समय भी मेरे लिए ये पद अनापेक्षित था। इसलिए अगर मेरे किसी विधायक को लगता है कि मैं कुर्सी पकड़कर बैठने वाला हूं तो वो गलत हैं।

उद्धव ठाकरे ने अपने विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं चाहता हूं कि वो मेरे से बात करें. मुझे कहें कि हमे आने में संकोच हो रहा है लेकिन मैं आपको मुख्यमंत्री नहीं देखना चाहता. मैं ये पद छोड़ दूंगा लेकिन आप बात तो करें. पद पर बैठकर काम करना जरूरी है. जनता को आप पसंद आ रहे हैं या नहीं वो ज्यादा जरूरी है. जनता खुद कहती है कि जब मैं बात करता हूं तो मैं उनके घर जैसा लगता हूं. लेकिन अगर आपको लगता है कि मुझे सीएम नहीं रहना है तो आप मेरे मुंह पर कहिए.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि मेरी तबीयत खराब होने के चलते मैं लोगों से नहीं मिल रहा था लेकिन अब मैं लोगों से मिल रहा हूं। मैंने पहली कैबिनेट मीटिंग अस्पताल से की थी। शिवसेना कभी हिंदुत्व से दूर नही रही और ना कभी रहेगी।

उन्होंने कहा कि खबरें चल रही हैं कि शिवसेना के कुछ विधायक गायब हैं। आज सुबह कमल नाथ और शरद पावर का कॉल आया था और उन्होंने मुझपर विश्वास दिखाया है लेकिन मेरे लोग ही सवाल उठा रहे हैं तो मैं क्या करूँ? सूरत और दूसरी जगह जाने से अच्छा मेरे सामने आकर बोलते तो बेहतर था।

बतादें कि शिव सेना नेता एक नाथ सिंधे इस समय शिवसेना के कई विधायकों के साथ गुहाटी के एक होटल में रुके हुए हैं। उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर पार्टी से बगावत की है। उन्होंने कहा है कि वो बालासाहब के हिंदुत्व के रास्ते पर चल रहे हैं। जबकि शिवसेना उस रास्ते से भटक गई है।