नहीं रहे धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव

समाजवादी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का लंबी बीमारी के बाद आज सुबह 8:16 बजे गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। इसी के साथ उत्तर प्रदेश के एक बहुत बड़े नेता के एक युग का समापन हो गया। मुलायम सिंह यादव की खबर से पुरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। सभी उनको भाव भरी श्रद्धांजलि समर्पित कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल जायेंगे। नहीं रहे धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव .

उत्तर प्रदेश सरकार ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार उत्तर प्रदेश में उनके पैतृक गांव सैफई में होगा।

मुलायम सिंह यादव के निधन पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि मुलायम जी का निधन बेहद दुखद है। उनका इलाज चल रहा था सब इस आस में थे कि वे वापस इलाज करवाकर लौटेंगे लेकिन यह खबर आई। राजनीतिक दृष्टि से यह एक युग का अंत है।

सपा नेता मुलायम सिंह यादव के निधन पर नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फ़ारुख़ अब्दुल्ला ने कहा कि वह बड़े नेता थे जिसे देश को जरूरत थी। वह ज़मीन और लोगों से जुड़े नेता थे। वह संसद में ऐसी बातें बोलते थे जो हुकूमत सुन सकती थी। उन्होंने गरीबों को उठाने और उनकी बदहाली दूर करने के लिए अपनी ज़िंदगी दी।

नहीं रहे धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव . मुलायम सिंह यादव के बारे में जाने

समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफर काफी लंबा रहा. देश राजनीति में नेताजी के नाम से पहचाने जाने वाले मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 हुआ. वह 1967 में पहली बार विधानसभा के सभा के सदस्य के रूप में चुने गए थे. हालांकि, राजनीति में आने से पहले उनका इरादा पहलवान बनने का था. 60 के दशक में उन्होंने भारतीय समाजवादी राम मनोहर लोहिया के बारे में जाना, पढ़ा और उनसे प्रेरित होकर राजनीति में जाने का मन बना लिया. उत्तर प्रदेश के इटावा में जब भी समाजवादियों की रैली होती थी तो इन रैलियों में नेताजी जरूर शामिल होते थे. समाजवादी विचारधारा से वह इस कदर प्रेरित थे कि अखाड़ों के अलावा उन्हें रैलियों में भी देखा जाने लगा था.

मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1967 से हुई. उस वक्त वह महज 28 साल के थे. इस साल विधानसभा चुनाव हो रहे थे. मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह तब जसवंतनगर से विधायक थे. उन्होंने अपनी सीट से मुलायम सिंह को उतारने का फैसला किया. इसके बाद वह जसवंतनगर से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बन गए. कहा जाता है कि इस दौरान चुनाव प्रचार के लिए उनके पास कोई संसाधन नहीं था. इसलिए उन्होंने और उनके दोस्त ने मिलकर एक वोट एक नोट का नारा दिया. वह चंदे में एक रुपया मांगते और उसे ब्याज समेत लौटाने का वादा करते. इस बीच उन्होंने चुनाव प्रचार के लिए एक पुरानी अंबेस्डर कार भी खरीदी. लेकिन इसमें तेल की व्यवस्था करनी थी. इसके लिए गांव वालों ने हफ्ते में एक दिन केवल एक वक्त का खाना खाया और बाकी बचे अनाज को बेचकर तेल की व्यवस्था की.

ऐसा रहा राजनीतिक सफर

साल 1967 में मुलायम सिंह यादव पहली बार विधायक और मंत्री बने. वह 5 दिसंबर 1989 को पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री ने. वह तीन बार मुख्यमंत्री रहे और केंद्र में रक्षा मंत्री भी रहे. वह 1989 से 1991 तक, 1993 से 1995 तक और साल 2003 से 2007 तक तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे.

इमरजेंसी के दौरान उन्होंने जेल की हवा भी खाई. 1975 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और लंबे समय तक जेल में रखा गया. उन्होंने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी की स्थापना की. इससे पहले 1977 में वह उत्तर प्रदेश के पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष चुने गए थे. वह एचडी देवगौड़ा की सरकार में देश के रक्षा मंत्री रहे और 1 जून 1996 से लेकर 19 मार्च 1998 तक ये पद संभाला.