पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने शोक व्यक्त किया

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का आज 84 साल की उम्र में दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया।उनके निधन की खबरआने के बाद से पूरे देश में शोक का लहर सी दौड़ गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और उप राष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने शोक व्यक्त किया है। भारत सरकार ने प्रणब मुखर्जी के निधन पर सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शोक जताया उन्होंने ट्वीट कर लिखा पूर्व राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी के स्वर्गवास के बारे में सुनकर हृदय को आघात पहुंचा। उनका देहावसान एक युग की समाप्ति है। श्री प्रणब मुखर्जी के परिवार, मित्र-जनों और सभी देशवासियों के प्रति मैं गहन शोक-संवेदना व्यक्त करता हूँ।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि असाधारण विवेक के धनी, भारत रत्न श्री मुखर्जी के व्यक्तित्व में परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम था। 5 दशक के अपने शानदार सार्वजनिक जीवन में, अनेक उच्च पदों पर आसीन रहते हुए भी वे सदैव जमीन से जुड़े रहे। अपने सौम्य और मिलनसार स्वभाव के कारण राजनीतिक क्षेत्र में वे सर्वप्रिय थे।

भारत के प्रथम नागरिक के रूप में, उन्होंने लोगों के साथ जुड़ने और राष्ट्रपति भवन से लोगों की निकटता बढ़ाने के सजग प्रयास किए। उन्होंने राष्ट्रपति भवन के द्वार जनता के लिए खोल दिए। राष्ट्रपति के लिए ‘महामहिम’ शब्द का प्रचलन समाप्त करने का उनका निर्णय ऐतिहासिक है।

उप राष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने आज पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। एक संदेश में उन्होंने कहा कि श्री मुखर्जी एक ऐसे नेता और भारत के महान बेटे थे,जिन्होंने गरिमा और शिष्टता के साथ सभी पदों की शोभा बढ़ाई। नायडू ने कहा,उनकी मृत्यु के साथ भारत ने एक शानदार नेता खो दिया है।

“पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के निधन पर मैं गहरा दुख प्रकट करता हूं। वे एक ऐसे नेता और भारत के महान बेटे थे,जिन्होंने छोटी सी शुरुआत की और कड़ी मेहनत,अनुशासन और समर्पण के दम पर देश से सबसे ऊंचे संवैधानिक पद तक पहुंचे।

श्री मुखर्जी ने अपनी लंबी और प्रतिष्ठित लोक सेवा के दौरान गरिमा और शिष्टता के साथ हर पद की शोभा बढ़ाई। अपने प्रशासनिक कौशल और भारत की संसदीय प्रणाली के प्रति गहरी समझ के लिए पहचाने जाने वाले श्री मुखर्जी ने वित्त मंत्री,रक्षा मंत्री,विदेश मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष सहित कई अहम पद संभाले। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने राष्ट्रपति भवन में नवाचार कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया।

वह संसदीय प्रक्रियाओं,समकालीन राजनीति और अन्य मामलों के इनसाइक्लोपीडिया (विश्वकोष)थे तथा उन्हें उनके विद्वतापूर्ण ज्ञान के लिए जाना जाता था। वह एक उत्कृष्ट सांसद थे और उन्हें उनके वक्तृत्व कौशल के लिए जाना जाता था। उनकी अभूतपूर्व स्मृति और मुद्दों पर पकड़ शानदार थी। उन्होंने लोकतंत्र और विभिन्न संस्थानों को मजबूत बनाने में खासी दिलचस्पी ली। वह निर्विवाद शख्सियतों में से एक थे और उन्हें राजनीति में हर किसी से संपर्क में उपयोग किया जाता था।

उनकी मृत्यु के साथ,भारत ने एक बेहतरीन नेता खो दिया। मैं उनके शोक संतप्त परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता हूं और प्रार्थना करता हूं कि भगवान उन्हें इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे।”