प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कृषि मंडियां और MSP कभी समाप्त नहीं होंगा

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे देश में अब तक उपज और बिक्री की जो व्यवस्था चली आ रही थी, जो कानून थे, उसने किसानों के हाथ-पांव बांधे हुए थे। इन कानूनों की आड़ में देश में ऐसे ताकतवर गिरोह पैदा हो गए थे, जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे। आखिर ये कब तक चलता रहता? इसलिए, इस व्यवस्था में बदलाव करना आवश्यक था और ये बदलाव हमारी सरकार ने करके दिखाया है। नए कृषि सुधारों ने देश के हर किसान को ये आजादी दे दी है कि वो किसी को भी, कहीं पर भी अपनी फसल, अपने फल-सब्जियां अपनी शर्तों पर बेच सकता है। अब उसे अपने क्षेत्र की मंडी के अलावा भी कई और विकल्प मिल गए हैं। अब उसे अगर मंडी में ज्यादा लाभ मिलेगा, तो वहां मंडी में जाकर अपनी फसल बेचेगा। मंडी के अलावा कहीं और से ज्यादा पैसा मिलता है, लाभ मिलता है तो वहां जाकर बेचगा, उसके सारे बंधनों से मुक्ति दिलाने के कारण संभव होगा। अब सवाल ये कि आखिर इससे फर्क क्या पड़ेगा? आखिर इससे किसान को क्या फायदा होगा? आखिर ये फैसला, किस तरह किसानों की आर्थिक स्थिति को बदलने में बहुत मददगार साबित होगा? इन सवालों का जवाब भी अब ग्राउंड रिपोर्ट्स से ही मिल रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसानों को मिली इस आजादी के कई लाभ दिखाई देने शुरू भी हो गए हैं। क्‍योंकि इसका अध्‍यादेश कुछ महीने पहले निकाला गया था। ऐसे प्रदेश जहां पर आलू बहुत होता है, वहां से रिपोर्ट्स हैं कि जून-जुलाई के दौरान थोक खरीदारों ने किसानों को अधिक भाव देकर सीधे कोल्ड स्टोरेज से ही आलू खरीद लिया है। बाहर किसानों को आलू के ज्यादा दाम मिले तो इसकी वजह से जो किसान मंडियों में आलू लेकर पहुंचे थे, आखिर दवाब में आने के कारण, बाहर बड़ा ऊंचा मार्केट होने के कारण मंडी के लोगों को भी किसानों को ज्‍यादा दाम देना पड़ा। उन्हें भी ज्यादा कीमत मिली। इसी तरह मध्य प्रदेश और राजस्थान से रिपोर्ट्स हैं कि वहां पर तेल मिलों ने किसानों को सीधे 20 से 30 प्रतिशत ज्यादा देकर सरसों की खरीद की है। मध्य प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में दालें बहुत होती हैं। इन राज्यों में पिछले साल की तुलना में 15 से 25 प्रतिशत तक ज्यादा दाम सीधे किसानों को मिले हैं। दाल मिलों ने वहां भी सीधे किसानों से खरीद की है, सीधे उन्हें ही भुगतान किया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब देश अंदाजा लगा सकता है कि अचानक कुछ लोगों को जो दिक्कत होनी शुरू हुई है, वो क्यों हो रही है। कई जगह ये भी सवाल उठाया जा रहा है कि अब कृषि मंडियों का क्या होगा? क्या कृषि मंडियां बंद हो जाएंगी, क्या वहां पर खरीद बंद हो जाएगी? जी नहीं, ऐसा कतई नहीं होगा। और मैं यहां स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि ये कानून, ये बदलाव कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही अब भी होगा। बल्कि ये हमारी ही एनडीए सरकार है जिसने देश की कृषि मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए निरंतर काम किया है। कृषि मंडियों के कार्यालयों को ठीक करने के लिए, वहां का कंप्यूटराइजेशन कराने के लिए, पिछले 5-6 साल से देश में बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। इसलिए जो ये कहता है कि नए कृषि सुधारों के बाद कृषि मंडियां समाप्त हो जाएंगी, तो वो किसानों से सरासर झूठ बोल रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बहुत पुरानी कहावत है कि संगठन में शक्ति होती है। कृषि सुधार से जुड़ा दूसरा कानून, इसी से प्रेरित है। आज हमारे यहां 85 प्रतिशत से ज्यादा किसान ऐसे हैं जो बहुत थोड़ी सी जमीन उनके पास है, किसी के पास एक एकड़, किसी के पास दो एकड़, किसी के पास एक हेक्‍टेयर, किसी के पास दो हेक्‍टेयर, सब छोटे किसान हैं। छोटी सी जमीन पर खेती कर अपना गुजारा करता है। इस वजह से इनका खर्च भी बढ़ जाता है और उन्हें अपनी थोड़ी सी उपज बेचने पर सही कीमत भी नहीं मिलती है। लेकिन जब किसी क्षेत्र के ऐसे किसान अगर एक संगठन बनाकर यही काम करते हैं, तो उनका खर्च भी कम होता है और सही कीमत भी सुनिश्चित होती है। बाहर से आए खरीदार इन संगठनों से बाकायदा समझौता करके सीधे उनकी उपज खरीद सकते हैं। ऐसे में किसानों के हितों की रक्षा के लिए ही दूसरा कानून बनाया गया है। ये एक ऐसा अनोखा कानून है जहां किसान के ऊपर कोई बंधन नहीं होगा। किसान के खेत की सुरक्षा, उसके जमीन की मालिकी की सुरक्षा, किसान को अच्‍छे बीज, किसानों को अच्छी खाद, सभी की जिम्मेदारी जा किसान के साथ कांट्रेक्‍ट करेगा उस खरीदार की होगी, किसान से जो समझौता करेगा, उस समझौता करने वाले की होगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इन सुधारों से कृषि में निवेश बढ़ेगा, किसानों को आधुनिक टेक्नोलॉजी मिलेगी, किसानों के उत्पाद और आसानी से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंचेंगे। मुझे बताया गया है कि यहां बिहार में हाल ही में 5 कृषि उत्पादक संघों ने मिलकर, चावल बेचने वाली एक बहुत मशहूर कंपनी के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते के तहत 4 हजार टन धान, वो कंपनी, बिहार के इन FPO’s से खरीदेगी। अब इन FPO’s से जुड़े किसानों को मंडी नहीं जाना पड़ेगा। उनकी उपज अब सीधे नेशनल और इंटरनेशनल मार्केट में पहुंचेगी। साफ है कि इन सुधारों के बाद, खेती से जुड़े बहुत सारे छोटे-बड़े उद्योगों के लिए बहुत बड़ा मार्ग खुलेगा, ग्रामीण उद्योगों की ओर देश आगे बढ़ेगा। मैं आपको एक और उदाहरण देता हूं। मान लीजिए, कोई नौजवान एग्रीकल्चर सेक्टर में कोई स्टार्ट-अप शुरू करना चाहता है। वो चिप्स की फैक्ट्री ही खोलना चाहता है। अभी तक ज्यादातर जगह होता ये था कि पहले उसे मंडी में जाकर आलू खरीदने होते थे, फिर वो अपना काम शुरू कर पाता था। लेकिन अब वो नौजवान, जो नए-नए सपने लेकर आया है वो सीधे गांव के किसान के पास जाकर उससे आलू के लिए समझौता कर सकेगा। वो किसान को बताएगा कि मुझे इस क्लालिटी का आलू चाहिए, इतना आलू चाहिए। वो किसान को अच्छी क्वालिटी के आलू पैदा करने में हर तरह की तकनीकी सहायता भी करेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस तरह के समझौतों का एक और पहलू है। आपने ये देखा होगा कि जहां डेयरी होती हैं, वहां आसपास के पशुपालकों को दूध बेचने में आसानी तो होती है, डेयरियां भी पशुपालकों का, उनके पशुओं का ध्यान रखती हैं। पशुओं का सही समय पर टीकाकरण हो, उनके लिए सही तरह के शेड बनें, पशुओं को अच्‍छा आहार मिले, पशु बीमार हो जाएं तो उनका डॉक्‍टर पहुंच जाए और मैं तो गुजरात में रहा हूं। मैंने देखा है, डेयरी कैसे पशुओं को संभालती है। बड़ी डेयरी दुग्‍ध उत्‍पादक उन तक जाकर के किसानों की मदद करती है। और इन सबके बाद भी यह महत्‍वपूर्ण बात है, यह जो दूध खरीदने का काम है, यह तो डेयरी कर लेती है लेकिन पशु का मालिक, पशुपालक या किसान ही रहता है। पशु का मालिक कोई और नहीं बनता है। वैसे ही जमीन का मालिक किसान ही रहेगा। ऐसे ही बदलाव अब खेती में भी होने का मार्ग खुल गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये भी जगजाहिर रहा है कि कृषि व्यापार करने वाले हमारे साथियों के सामने एसेन्शियल कमोडिटी एक्ट के कुछ प्रावधान, हमेशा आड़े आते रहे हैं। बदलते हुए समय में इसमें भी बदलाव किया है। दालें, आलू, खाद्य तेल, प्याज जैसी चीजें अब इस एक्ट के दायरे से बाहर कर दी गई हैं। अब देश के किसान, बड़े-बड़े स्टोरहाउस में, कोल्ड स्टोरेज में इनका आसानी से भंडारण कर पाएंगे। जब भंडारण से जुड़ी कानूनी दिक्कतें दूर होंगी तो हमारे देश में कोल्ड स्टोरेज का भी नेटवर्क और विकसित होगा, उसका और विस्तार होगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कृषि क्षेत्र में इन ऐतिहासिक बदलावों के बाद, इतने बड़े व्यवस्था परिवर्तन के बाद कुछ लोगों को अपने हाथ से नियंत्रण जाता हुआ दिखाई दे रहा है। इसलिए अब ये लोग MSP पर किसानों को गुमराह करने में जुटे हैं। ये वही लोग हैं, जो बरसों तक MSP पर स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को अपने पैरों की नीचे दबाकर बैठे रहे। मैं देश के प्रत्येक किसान को इस बात का भरोसा देता हूं कि MSP की व्यवस्था जैसे पहले चली आ रही थी, वैसे ही चलती रहेगी। इसी तरह हर सीजन में सरकारी खरीद के लिए जिस तरह अभियान चलाया जाता है, वो भी पहले की तरह चलते रहेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसानों को MSP देने और सरकारी खरीद के लिए जितना काम हमारी सरकार ने किया है, वो पहले कभी नहीं किया गया। बीते 5 साल में जितनी सरकारी खरीद हुई है और 2014 से पहले के 5 साल में जितनी सरकारी खरीद हुई है, उसके आंकड़े देखेंगे तो कौन सच बोल रहा है, कौन किसानों के लिए काम कर रहा है, कौन किसानों की भलाई के लिए काम कर रहा है इसकी गवाही वहीं से मिल जाएगी। मैं अगर दलहन और तिलहन की ही बात करूं तो पहले की तुलना में, दलहन और तिलहन की सरकारी खरीद करीब-करीब 24 गुणा अधिक की गई है। इस साल कोरोना संक्रमण के दौरान भी रबी सीज़न में किसानों से गेहूं की रिकॉर्ड खरीद की गई है। इस साल रबी में गेहूं, धान, दलहन और तिलहन को मिलाकर, किसानों को 1 लाख 13 हजार करोड़ रुपए MSP पर दिया गया है। ये राशि भी पिछले साल के मुकाबले 30 प्रतिशत से ज्यादा है। यानि कोरोना काल में न सिर्फ रिकॉर्ड सरकारी खरीद हुई बल्कि किसानों को रिकॉर्ड भुगतान भी किया गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के भारत का ये दायित्व है कि वो देश के किसानों के लिए आधुनिक सोच के साथ, नई व्यवस्थाओं का निर्माण करे। देश के किसान को, देश की खेती को, आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारे प्रयास निरंतर जारी रहेंगे। और इसमें निश्चित तौर पर कनेक्टिविटी की बड़ी भूमिका तो है ही। अंत में, एक बार फिर कनेक्टिविटी के तमाम प्रोजेक्ट्स के लिए बिहार को, देश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और मैं फिर एक बार वही आग्रह करूंगा कि हमें कोरोना से लड़ाई लड़ते रहना है। हमें कोरोना को पराजित करके रहना है। हमें हमारे परिवार के सदस्‍य को कोरोना से बचाना है और इसके लिए जो भी नियम तय किए गए हैं, उनका हम सबने पालन करना है। कोई एक उसमें छूट जाता है तो फिर मामला गड़बड़ हो जाता है, हम सबने पालन करना है। मैं फिर एक बार मेरे बिहार के प्‍यारे भाइयो-बहनो को बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं।