प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शिंजो आबे जी के निधन से जापान और विश्व ने एक महान विजनरी व्यक्तित्व को खो दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को अपना घनिष्ठ मित्र और भारत का ‘‘विश्वसनीय दोस्त” बताया और कहा कि उनके कार्यकाल में भारत-जापान के राजनीतिक संबंधों को नयी ऊंचाई मिली। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शिंजो आबे जी के निधन से जापान और विश्व ने एक महान विजनरी व्यक्तित्व को खो दिया है। मैंने भी अपना एक बहुत करीबी दोस्त खोया है। अपने दोस्त शिंजो आबे जी को मेरी भावभीनी श्रद्धांजलि। पीएम मोदी ने आगे कहा कि 2007 में शिंजो आबे जी के साथ मेरी पहली मुलाकात के बाद से ही हम दोनों के बीच एक अद्भुत मित्रवत भाव बन गया था। उनके साथ हुई हर मुलाकात, मेरे लिए अनमोल है। शिंजो आबे जी ने भारत-जापान रिश्तों को नई ऊंचाई दी। उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि नए भारत के निर्माण में जापान हमारा एक विश्वसनीय साथी बने। उनके निधन से आज हर भारतवासी दुखी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शिंजो आबे न सिर्फ जापान की एक महान विभूति थे, बल्कि विशाल व्यक्तित्व के धनी एक वैश्विक राजनेता थे। भारत-जापान की मित्रता के वे बहुत बड़े हिमायती थे। बहुत दुखद है कि अब वे हमारे बीच नहीं हैं। उनके असमय चले जाने से जहां जापान के साथ पूरी दुनिया ने एक बहुत बड़ा विजनरी लीडर खो दिया है, तो वहीं मैंने अपना एक प्रिय दोस्त…।

पीएम मोदी ने कहा कि शिंजो आबे और मेरे बीच सिर्फ औपचारिक रिश्ता नहीं था। 2007 और 2012 के बीच और फिर 2020 के बाद, जब वे प्रधानमंत्री नहीं थे, तब भी हमारा व्यक्तिगत जुड़ाव हमेशा की तरह उतना ही मजबूत बना रहा। आबे सान से मिलना हमेशा ही मेरे लिए बहुत ज्ञानवर्धक, बहुत ही उत्साहित करने वाला होता था। उनके पास हमेशा नए आइडियाज का भंडार होता था। इसका दायरा गवर्नेंस और इकॉनॉमी से लेकर कल्चर और विदेश नीति तक बहुत ही व्यापक था। वे इन सभी मुद्दों की गहरी समझ रखते थे।

पहले जहां दोनों देशों के आपसी रिश्ते केवल आर्थिक संबंध तक सीमित थे, वहीं आबे सान इसे व्यापक विस्तार देने के लिए आगे बढ़े। इससे दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय महत्त्व के मुद्दों पर न केवल तालमेल बढ़ा, बल्कि पूरे क्षेत्र की सुरक्षा को भी नया बल मिला। वे मानते थे कि भारत और जापान के आपसी रिश्तों की मजबूती, न सिर्फ दोनों देशों के लोगों, बल्कि पूरी दुनिया के हित में है। वे भारत के साथ सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट के लिए दृढ़ थे, जबकि उनके देश के लिए ये काफी मुश्किल काम था। भारत में हाई स्पीड रेल के लिए हुए समझौते को बेहद उदार रखने में भी उन्होंने निर्णायक भूमिका निभाई।

न्यू इंडिया तेजी से विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, तो उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि जापान कंधे से कंधा मिलाकर हर कदम पर भारत के साथ खड़ा रहेगा। भारत की आजादी के बाद इस सबसे महत्वपूर्ण कालखंड में उनका यह योगदान बेहद अहम है। भारत -जापान संबंधों को मजबूती देने में उन्होंने ऐतिहासिक योगदान दिया, जिसके लिए वर्ष 2021 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

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