प्रधानमंत्री मोदी फाओ की 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 75 रुपये का सिक्का जारी करेंगें जानिए फाओ के बारेमें

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एफएओ के साथ भारत के दीर्घकालिक संबंधों को दर्शाने के के लिए 16 अक्टूबर 2020 को खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर, 75 रुपये मूल्य का स्मारक सिक्का जारी करेंगे। प्रधानमंत्री हाल ही में विकसित 8 फसलों की 17 जैव संवर्धित किस्में भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे।

यह आयोजन कृषि और पोषण को सरकार द्वारा दी गई सर्वोच्च प्राथमिकता का प्रतीक होगा। इसके साथ ही यह सरकार के भूख और कुपोषण को पूरी तरह से समाप्त करने के संकल्प का एक प्रमाण भी है। इस कार्यक्रम को देश भर के आंगनवाड़ियों, कृषि विज्ञान केंद्रों, जैविक और बागवानी मिशनों द्वारा देखा जा सकेगा केंद्रीय कृषि मंत्री, वित्त मंत्री तथा महिला और बाल विकास मंत्री भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगी।

भारत और एफएओ

समाज के कमजोर वर्ग और समूहों को आर्थिक रूप से और पोषाहार के मामले में सशक्त बनाने के लिए एफएओ के अबतक के प्रयास अद्वितीय रहे हैं। भारत का एफएओ के साथ ऐतिहासिक संबंध रहा है। भारतीय सिविल सेवा के अधिकारी डॉ बिनय रंजन सेन 1956-1967 के दौरान एफएओ के महानिदेशक थे। 2020 में नोबेल शांति पुरस्कार जितने वाले विश्व खाद्य कार्यक्रम की स्थापना उनके समय में ही की गई थी। वर्ष 2016 को अंतर्राष्ट्रीय दलहन और 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किए जाने के भारत के प्रस्तावों को भी एफएओ द्वारा समर्थन दिया गया।

कुपोषण की समस्या से निबटने के प्रयास

भारत ने 10 करोड़ से अधिक लोगों को लक्षित करते हुए एक महत्वाकांक्षी पोषण अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य शारीरिक विकास में बाधा, कुपोषण, एनीमिया और जन्म के समय कम वजन जैसी समस्या से निजात पाना है। कुपोषण एक वैश्विक समस्या है जिसके कारण दो अरब लोग मूल पोषक तत्वों की कमी से पीड़ित हैं। बच्चों में लगभग 45 प्रतिशत मौतें कुपोषण से जुड़ी हैं। ऐसे में यह अभियान सही मायने में संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्यों में से एक है।

अंतर्राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरुप सूक्ष्म पोषक तत्वों लौह, जस्ता, कैल्शियम, सकल प्रोटीन, लाइसिन और ट्रिप्टोफैन की अधिकता वाले गुणवत्ता युक्त प्रोटीन, एन्थोकायनिन, प्रोविटामिन ए और ओलिक एसिड से भरे पोषक तत्वों की समृद्ध किस्मों के विकास को सरकार द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के नेतृत्व में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली के तहत पिछले पांच वर्षों के दौरान फसलों की 53 ऐसी किस्मों का विकास किया गया। वर्ष2014 से पहले केवल एक बायोफॉर्टिफाइड किस्म विकसित की गई थी।