बाराबंकी ने हमेशा किया मुलायम सिंह यादव को सपोर्ट

बाराबंकी। रामसनेहीघाट (भोलानाथ मिश्र) बाराबंकी ने हमेशा किया मुलायम सिंह यादव को सपोर्ट . धरतीपुत्र नेताजी मुलायम सिंह यादव का बाराबंकी और रामसनेही घाट क्षेत्र से पुराना राजनैतिक रिश्ता रहा है और उनके हर संघर्ष में यह क्षेत्र सदा उनके साथ रहा है। नेताजी की राजनीति में सोशलिस्ट पार्टी के नेता जी रामसेवक यादव उनके राजनैतिक पथप्रदर्शकों में रहे और उनकी पत्नी व भाई प्रदीप कुमार यादव को सम्मान दिया। इतना ही नहीं बल्कि प्रदीप कुमार जी को अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर जिले का गौरव बढ़ाया।

जब मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी की नींव डाली तो अपने सगे बड़े भाई जैसा सम्मान देने वाले बेनी बाबू को एक महत्वपूर्ण पिलर बनाया। जितना विकास नेताजी ने अपनी जन्मस्थली सैफई का किया उतना ही उन्होंने बेनी बाबू की भी जन्मभूमि को दिया और सैफई की तरह सिरौली गौसपुर भी गांव से ब्लाक तहसील बन गया और चहुंमुखी प्रगति हुई। बेनी बाबू बीच में पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और हल्की फुल्की टिप्पणियां भी की लेकिन नेताजी एक शब्द भी बेनी बाबू के बारे नहीं बोले अन्ततः बेनी बाबू को अपनी भूल का अहसास हुआ और पुनः उनके बुढ़ापे की लाठी बन गये और उनके पुत्र को विधायक बनाकर मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बना दिया। नेताजी और बेनी बाबू के सानिध्य में शिक्षक से राजनीति में निहायत गरीब मजदूर पेशा परिवार से जुड़े नसीपुर में अवधेश प्रसाद शर्मा की राजनैतिक नर्सरी से निकले रामसेवक यादव के शिष्य रामसागर रावत ने पदार्पण किया और चार बार विधायक और चार बार सांसद बने।

इतना ही नहीं नेताजी ने ही स्थापना के बाद से लगातार कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले रामसागर के भी पुत्र को विधायक प्रमुख डीडीसी बनाया। नेताजी के साथ कदमताल करने वाले पूर्व सांसद रामसागर रावत ही नहीं कल्याणी नदी के रामसनेही घाट के ऐतिहासिक तट पर स्थित डाक बंगला भी आज भी उनकी यादों को अपने दामन में संजोए बैठा है। नेताजी जब समाजवादी पार्टी की स्थापना की तो बेनी बाबू और रामसागर रावत उनके साथ उनके सहयोगियों में हर कदम पर उनके वफादार हम सफर बने रहे। इतना ही नहीं एक बार तो वह मुलायम सिंह यादव के आशीर्वाद से अकेले मुलायम सिंह का झंडा बुलंद करने वाले सांसद थे।

मुलायम सिंह यादव की ही कृपा से राजा हड़ाहा विधायक एवं मंत्री परिषद में शामिल हुए। मुलायम सिंह यादव राम जन्मभूमि विवाद के समय कई बार आंदोलन के दौरान जिले की अंतिम सीमा पर स्थित रामसनेही घाट डाक बंगले पर गिरफ्तार किए गए और पूरे दिन यहां पर क्षेत्रीय लोगों के साथ रहकर प्रधान जी रामनाथ मोढ़े के घर की घी चुपड़ी बेसन की रोटी चटनी खाकर गुजारी थी। बाराबंकी के प्रति नेताजी का विश्वास ही था कि जब अखिलेश यादव राजनीति में सक्रिय हुए और समाजवादी चेतना यात्रा की शुरुआत करने की बात आई तो उन्होंने उन्हें रामसनेही घाट की सरजमीं को चुना और अखिलेश ने भिटरिया से आंदोलन का शुभारंभ किया।

आज नेताजी के निधन से कोई एक धर्म सम्प्रदाय जाति ही नहीं बल्कि सर्वहारा समाज दुःखी होकर उनकी यादों में खोया हुआ है तथा रक्षामंत्री मुख्यमंत्री के साथ सभी दलों वर्गों के लोग शोकाकुल हो शोक संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं।1962 में इटावा जिले के सैफई से साइकिल से निकला राजनैतिक सफर साइकिल के साथ ही समाप्त हो गया।धन्य है मुलायम की जन्मस्थली जिसने उपवास रखकर मास्टर एवं पहलवान हनुमान भक्त मुलायम को मुख्यमंत्री ही नहीं देश का ऐतिहासिक रक्षामंत्री बना दिया।धन्य है वह माता जिसने ऐसे होनहार समाजसेवी युग निर्माता को जन्म दिया।हम आज उन्हें अंतिम विदाई देते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।

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