मनुष्य जीवन में परिवार का महत्व

मानव जीवन में परिवार से बड़ा दूसरा कोई धन नही होता है ।इसी तरह पिता से बड़ा दूसरा शुभचिन्तक व सलाहकार नही होता है । जितना सुख माता के गोद में उसके आँचल की छाँव में मिलता है उतना अलग नही मिलता है । भाई से बड़ा दूसरा कोई सहोदर और बहन से बड़ा कोई दूसरा शुभचिन्तक नही हो सकता है।धर्मपत्नी से बड़ा जीवन में कोई दोस्त नही होता है इसलिए परिवार के बिना जीवन बेकार नीरस हो जाता है।

परिवार में नियम कायदे नही अनुशासन चलता है और परिवार में अर्पण नही बल्कि समर्पण होता है। परिवार टूटने पर दिल टूट जाते हैं इसलिए कोशिश करनी चाहिए कि जहां तक संभव हो परिवार खंडित न होने पाये।अगर महाप्रतापी महा पंडित काल को अपने वश में रखने वाले रावण का परिवार खंडित नहीं होता तो शायद उसकी मौत और लंका का सर्वनाश नहीं होता।

भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार / समाजसेवी
लेखक समीक्षक विचारक

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