मनुष्य जीवन में प्रकाश रूपी ज्ञान

मनुष्य जीवन में प्रकाश रूपी ज्ञान . मनुष्य जीवन प्रकाशमय होना जरूरी होता है क्योंकि मानव जीवन में अन्धेरा मानव जीवन की सबसे बड़ी विफलता होती है।जिस तरह अंधेरा दूर करने के लिए रोशनी जरूरी है उसी तरह मनुष्य जीवन को प्रकाशवान बनाने के लिये ज्ञान के प्रकाश की आवश्यकता होती है।ज्ञान की प्राप्ति के लिये अच्छे ज्ञानवान संत महात्माओ व सुसंस्कारित लोगों के साथ बैठकर उनसे शिक्षा दीक्षा लेना आवश्यक होता है।

ज्ञान का प्रकाश मनुष्य को मानव जीवन के मूल लक्ष्य की ओर अग्रसर करता है। अज्ञानता ही घनघोर अंधेरा तथा ज्ञान ही प्रकाश है।प्रकाश ही ईश्वर है और प्रकाश ही लक्ष्मी है। अंधेरा डरावना होता है जबकि रोशनी से आनन्द मिलता है और अंधेरा दूर भाग जाता है। अज्ञानता अंधेरा और रोशनी ज्ञानवान होने की प्रतीक मानी गई है। लक्ष्मी उसी के पास रहती है जो उसकी इज्जत मान सम्मान व सदपयोग करता है।

लक्ष्मी पाकर इतराना अभिमान नहीं करना चाहिए बल्कि उसका उपयोग सद्कार्यो में करने से उसमें वृद्धि होती है। मनुष्य को सदा मानवता का परिचय देते हुए अमानवीय कृत्यो से बचना चाहिए क्योंकि कुकृत्य ही अज्ञानता की परिचायक होते हैं। सत्संग मनुष्य को ज्ञानवान कर महान एवं प्रभु के निकट पहुँचा देता है।

भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार / समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी ।

मनुष्य जीवन में प्रकाश रूपी ज्ञान

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