रामसनेहीघाट गायत्री शक्तिपीठ पर मनाया गया गुरु पूर्णिमा पर्व

बाराबंकी (भोलानाथ मिश्र) रामसनेहीघाट गायत्री शक्तिपीठ पर मनाया गया गुरु पूर्णिमा पर्व गायत्री शक्तिपीठ रामसनेहीघाट में गुरु पूर्णिमा का पर्व अनुशासन पर्व के रूप में मनाया गया तथा परिजनों से गुरु का अनुशासन मानने की अपील की गई। इसी के साथ पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन भी किया गया जिसका संचालन अंजलि त्रिपाठी, रामबाबू मिश्र एवं रानावीर सिंह ने संयुक्त रूप से किया।

रामसनेहीघाट गायत्री शक्तिपीठ पर मनाया गया गुरु पूर्णिमा पर्व । इस पावन अवसर पर उपस्थित परिजनों को संबोधित करते हुए संचालकों ने कहा कि गुरू व्यक्ति के रूप में पहचाना जा सकता है पर व्यक्ति की परिधि में सीमित नहीं होता। जो शरीर तक सीमित है चेतना रूप में स्वयं को विकसित नहीं कर सका वह अपना अंश शिष्य को नहीं दे सकता।जो इस विद्या का मर्म नहीं जानता वह गुरु नहीं और जो शिष्य गुरु को शरीर से परे शक्ति सिद्धांत रूप में पहचान स्वीकार नहीं कर सका वह शिष्य नहीं। गुरु शिष्य पर अनुशासन की दृष्टि रखता है और शिष्य गुरु से निरंतर निर्देश पाता तथा उसे मानता व अपनाता रहता है। यह चिंतन स्तर पर वाणी द्वारा एवं लिखने पढ़ने के स्तरों पर संभव है जिनके बीच इस प्रकार के सूत्र स्थापित नहीं है उनका संबंध चिन्ह पूजा मात्र कहा जाने योग्य है और गुरु शिष्य का अंध बधिर का जोड़ा बन कर रह जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य का संबंध दाता भिखारी जैसा नहीं बल्कि सहयोगी और साझेदारी स्तर का बनाया जाता है गुरु शिष्य को अपनी दिव्य संपदा की कमाई का एक अंश देता रहता है जो अनुशासन पूर्वक प्रयुक्त किया जाकर शिष्य के व्यक्तित्व को ऊंचा उठाता है।

यज्ञ का संचालन करते हुए अंजलि त्रिपाठी ने यज्ञ की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि यज्ञ हमें देने की विधा सिखाता है साथ ही यज्ञ से न केवल परिसर पवित्र होता है बल्कि पर्यावरण भी सुधरता है। उन्होंने हर घर में यज्ञ कराए जाने की गायत्री परिवार के संकल्प को पूर्ण कराने के लिए गायत्री परिजनों से अनुरोध किया और कहा कि गायत्री परिवार द्वारा वर्तमान समय में चलाए जा रहे ग्रह ग्रह गायत्री यज्ञ को सफल बनाने के लिए पूरी तन्मयता के साथ जुट जाएं। इस मौके पर वरिष्ठ गायत्री परिजन राजेंद्र प्रसाद पांडेय, रमाकांत त्रिपाठी, बृजेश श्रीवास्तव, प्रमोद सिंह, अशोक सराफ,राकेश सिंह सहित तमाम परिजन मौजूद रहे, जिन्होंने इस यज्ञ अनुष्ठान में अपनी आहुतियां समर्पित की।