राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय खेल दिवस पर खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय खेल दिवस पर खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं उन्होंने कहा कि सभी पुरस्कार विजेताओं को मेरी हार्दिक बधाई! मेजर ध्यानचंद, खिलाड़ियों के साथ-साथ अन्य सभी देशवासियों के लिए भी एक आदर्श हैं। साधारण परिवेश तथा सुविधाओं के बीच उन्होंने अपनी निष्ठा व कौशल से हॉकी के मैदान में असाधारण उपलब्धियां हासिल कीं। मेजर ध्यानचंद से लेकर आज के पुरस्कार विजेताओं और प्रशिक्षकों के विषय में एक बात समान रूप से कही जा सकती है। आप सबके प्रयासों के बल पर विश्व पटल पर भारत का गौरव बढ़ता रहा है। आप सबने अपने प्रदर्शन से, सभी भारतवासियों को, सामूहिक सफलता के अहसास के अविस्मरणीय क्षण प्रदान किए हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में रहने वाले खिलाड़ी के विजय का जश्न केरल और लक्षद्वीप तक मनाया जाता है। जब तमिलनाडु का खिलाड़ी पदक जीतता है तो लद्दाख तक सभी देशवासियों में खुशी की लहर दौड़ जाती है। खेल और खिलाड़ी हमारे देशवासियों में एकजुटता की भावना को मजबूत बनाते हैं। आप सभी खिलाड़ियों के पुरस्कार पाने के विषय में और आपकी सफलता के बारे में बहुत से लोग जान जाते हैं। लेकिन, बहुत कम लोग उस परिश्रम, संघर्ष तथा आशा-निराशा के अच्छे-बुरे अनुभवों को समझ पाते हैं जिनसे गुजरते हुए आप सबने, आपके प्रशिक्षकों, परिवार-जनों और शुभचिंतकों ने अपनी मंजिल पाई है

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि आप सबने यह सिद्ध किया है कि इच्छा, लगन और मेहनत के बल पर सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता है। यही खेल-कूद की सबसे बड़ी विशेषता है, यही अच्छे खिलाड़ी का आदर्श है। आज का यह पुरस्कार समारोह, कड़ी मेहनत और समर्पण से प्राप्त की गई आप सबकी सफलता का उत्सव है। यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि खेल-रत्न पुरस्कार पाने वाले पांच खिलाड़ियों में तीन बेटियां – मनिका बत्रा, विनेश और रानी तथा एक पैरा-एथलीट शामिल हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हमारे पारंपरिक खेलों – कबड्डी, खो-खो और मल्लखंब की बढ़ती लोकप्रियता जन-सामान्य को खेलों से जोड़ने में सहायक होगी। आज क्रिकेट और फुटबॉल के अलावा वॉलीबॉल और कबड्डी जैसे खेलों के लीग टूर्नामेंट लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं। यह एक सुखद बदलाव है। हमें यह भी ध्यान रखना है कि खेलों में उत्कृष्टता और उपलब्धियां केवल सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है। हर वर्ग तथा क्षेत्र के लोगों की भागीदारी से ही खेल की संस्कृति को बढ़ावा मिल सकता है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह अच्छी बात है कि स्पोर्ट्स और फिटनेस अब युवाओं की सोच और दिनचर्या का हिस्सा बन रहे हैं। साथ ही, माता-पिता-अभिभावक तथा शिक्षक भी खेल-कूद के प्रति अपना नजरिया बदल रहे हैं। अब वे खेल-कूद को व्यक्तित्व और प्रतिभा के विकास में सहायक मानने लगे हैं। खेल-कूद के मैदान में जीवन का प्रतिबिंब दिखाई देता है। प्रतियोगिता, टीम-वर्क, जीत-हार, संघर्ष व संकल्प, ये सभी जीवन के ही आयाम हैं। खेल-कूद से न केवल शरीर और चरित्र का निर्माण होता है, बल्कि जीवन में विकास के मार्ग प्रशस्त होते हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि कोविड-19 के कारण खेल जगत पर भी बहुत अधिक असर पड़ा है। पहली बार ओलम्पिक खेल स्थगित किए गए हैं। हमारे देश में भी खेल-कूद की सभी गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। अभ्यास तथा प्रतियोगिताओं के रुकने से खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों का हौसला कम हो सकता है। आप सबने वर्षों की मेहनत, लगन और साहस के बल पर अपनी खास पहचान बनाई है। कोविड का यह दौर आप सबके तथा अन्य खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों के साहस और धीरज के इम्तिहान की घड़ी है। मुझे विश्वास है कि खेल जगत के लोग और भी अधिक मानसिक शक्ति के साथ इस परीक्षा से बाहर आएंगे और उपलब्धियों के नए इतिहास रचेंगे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मुझे विश्वास है कि सबकी भागीदारी के बल पर किए गए सामूहिक प्रयासों से भारत एक खेल महाशक्ति के रूप में उभरेगा। 2028 के ओलंपिक खेलों में Top Ten Podium Finisher Countries में रहने का हमारा लक्ष्य है। हम इस लक्ष्य को अवश्य प्राप्त करेंगे।