राहुल गाँधी का पीएम मोदी पर तंज बोले JEE-NEET के परीक्षार्थी ‘परीक्षा पर चर्चा’ चर्चा चाहते थे लेकिन पीएम ने ‘खिलौने पर चर्चा’ की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात की जिसमे आज उन्होंने खिलौनों की चर्चा की। इस पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तंज तंज कसते हुए कहा कि JEE-NEET के परीक्षार्थी चाहते थे कि प्रधानमंत्री परीक्षा पर चर्चा करें, लेकिन उन्होंने खिलौनों पर चर्चा की।

राहुल गांधी ने मन की बात कार्यक्रम समाप्त होते ही तुरंत ट्वीट किया, ‘JEE-NEET के परीक्षार्थी ‘परीक्षा पर चर्चा’ चर्चा चाहते थे, लेकिन पीएम ने ‘खिलौने पर चर्चा’ की

राहुल गांधी लगातार JEE-NEET परीक्षाओं के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि कोरोना महामारी के बीच परीक्षा कराने से छात्रों को कोरोना होने का खतरा बढ़ेगा। परीक्षा टालने के लिए कांग्रेस पार्टी ने पुरे देश में धरना दिया था। इसके अलावां कांग्रेस समेत कई बिपक्षी पार्टियां कोरोना के कारण अभी परीक्षा के विरोध में हैं।विपक्षी दलों द्वारा शासित 6 राज्य सरकारें अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच कर अपने फैसले पर फिर से विचार करने की गुहार लगाने के लिए पहुंच गई हैं।

होने वाली NEET और JEE प्रवेश परीक्षाओं पर रोक लगाने के लिए छत्तीसगढ़, पंजाब और महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड, राजस्थान, सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। इन सरकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले पर पुनर्विचार करे जिससे देश में होने वाली परीक्षा अभी ताली जा सके। इन सरकारों का कहना है कि कोरोना की वजह से अभी परीक्षा करवाना ठीक नहीं है। इससे छात्रों को कोरोना हो सकता है।

बतादें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी के बीच NEET और JEE प्रवेश परीक्षाओं को स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कहा गया था कि “छात्रों का कीमती शैक्षणिक वर्ष” बर्बाद नहीं किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में आज खिलौनों को लेकर कहा था कि हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने | हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए Toys कैसे मिलें, भारत, Toy Production का बहुत बड़ा hub कैसे बने | वैसे मैं ‘मन की बात’ सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा माँगता हूँ, क्योंकि हो सकता है, उन्हें, अब, ये ‘मन की बात’ सुनने के बाद खिलौनों की नयी-नयी demand सुनने का शायद एक नया काम सामने आ जाएगा |

पीएम मोदी ने आगे कहा कि खिलौने जहां activity को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं | खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ते भी हैं | मैंने कहीं पढ़ा, कि, खिलौनों के सम्बन्ध में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि best Toy वो होता है जो Incomplete हो | ऐसा खिलौना, जो अधूरा हो, और, बच्चे मिलकर खेल-खेल में उसे पूरा करें | गुरुदेव टैगोर ने कहा था कि जब वो छोटे थे तो खुद की कल्पना से, घर में मिलने वाले सामानों से ही, अपने दोस्तों के साथ, अपने खिलौने और खेल बनाया करते थे | लेकिन, एक दिन बचपन के उन मौज-मस्ती भरे पलों में बड़ों का दखल हो गया | हुआ ये था कि उनका एक साथी, एक बड़ा और सुंदर सा, विदेशी खिलौना लेकर आ गया | खिलौने को लेकर इतराते हुए अब सब साथी का ध्यान खेल से ज्यादा खिलौने पर रह गया | हर किसी के आकर्षण का केंद्र खेल नहीं रहा, खिलौना बन गया | जो बच्चा कल तक सबके साथ खेलता था, सबके साथ रहता था, घुलमिल जाता था, खेल में डूब जाता था, वो अब दूर रहने लगा |

पीएम मोदी ने आगे कहा कि एक तरह से बाकी बच्चों से भेद का भाव उसके मन में बैठ गया | महंगे खिलौने में बनाने के लिये भी कुछ नहीं था, सीखने के लिये भी कुछ नहीं था | यानी कि, एक आकर्षक खिलौने ने एक उत्कृष्ठ बच्चे को कहीं दबा दिया, छिपा दिया, मुरझा दिया | इस खिलौने ने धन का, सम्पत्ति का, जरा बड़प्पन का प्रदर्शन कर लिया लेकिन उस बच्चे की Creative Spirit को बढ़ने और संवरने से रोक दिया | खिलौना तो आ गया, पर खेल ख़त्म हो गया और बच्चे का खिलना भी खो गया | इसलिए, गुरुदेव कहते थे, कि, खिलौने ऐसे होने चाहिए जो बच्चे के बचपन को बाहर लाये, उसकी creativity को सामने लाए | बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलू पर खिलौनों का जो प्रभाव है, इस पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है | खेल-खेल में सीखना, खिलौने बनाना सीखना, खिलौने जहां बनते हैं वहाँ की visit करना, इन सबको curriculum का हिस्सा बनाया गया है |

पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमारे देश में Local खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है | कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं | भारत के कुछ क्षेत्र Toy Clusters यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं | जैसे, कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी, उत्तर प्रदेश का वाराणसी – कई ऐसे स्थान हैं, कई नाम गिना सकते हैं | आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि Global Toy Industry, 7 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की है | 7 लाख करोड़ रुपयों का इतना बड़ा कारोबार, लेकिन, भारत का हिस्सा उसमें बहुत कम है |

पीएम मोदी ने आगे कहा कि अब आप सोचिए कि जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परम्परा हो, विविधता हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी, हमें, अच्छा लगेगा क्या? जी नहीं, ये सुनने के बाद आपको भी अच्छा नहीं लगेगा | देखिये साथियो, Toy Industry बहुत व्यापक है | गृह उद्योग हो, छोटे और लघु उद्योग हो, MSMEs हों, इसके साथ-साथ बड़े उद्योग और निजी उद्यमी भी इसके दायरे में आते हैं | इसे आगे बढ़ाने के लिए देश को मिलकर मेहनत करनी होगी | अब जैसे आन्ध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में श्रीमान सी.वी. राजू हैं | उनके गांव के एति-कोप्पका Toys एक समय में बहुत प्रचलित थे | इनकी खासियत ये थी कि ये खिलौने लकड़ी से बनते थे, और दूसरी बात ये कि इन खिलौनों में आपको कहीं कोई angle या कोण नहीं मिलता था | ये खिलौने हर तरफ से round होते थे, इसलिए, बच्चों को चोट की भी गुंजाइश नहीं होती थी |

पीएम मोदी ने आगे कहा कि सी.वी. राजू ने एति-कोप्पका toys के लिये, अब, अपने गाँव के कारीगरों के साथ मिलकर एक तरह से नया movement शुरू कर दिया है | बेहतरीन quality के एति-कोप्पका Toys बनाकर सी.वी. राजू ने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस ला दिया है | खिलौनों के साथ हम दो चीजें कर सकते हैं – अपने गौरवशाली अतीत को अपने जीवन में फिर से उतार सकते हैं और अपने स्वर्णिम भविष्य को भी सँवार सकते हैं | मैं अपने start-up मित्रों को, हमारे नए उद्यमियों से कहता हूँ – Team up for toys… आइए मिलकर खिलौने बनाएं | अब सभी के लिये Local खिलौनों के लिये Vocal होने का समय है | आइए, हम अपने युवाओं के लिये कुछ नए प्रकार के, अच्छी quality वाले, खिलौने बनाते हैं | खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी | हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों |