श्री हनुमान चालीसा का अनुष्ठान श्री हनुमत साधना का सबसे चमत्कारी तांत्रिक प्रयोग

श्री हनुमान चालीसा का अनुष्ठान श्री हनुमत साधना का सबसे चमत्कारी तांत्रिक प्रयोग है। श्री रामचरित मानस की रचना अकबर के समय में हुई। इस महाग्रंथ की प्रसंशा जब सम्राट अकबर ने सुनी तो उसने गोस्वामी तुलसीदास जी को बुलवाया। गोस्वामी जी से कहा कि आप इसी प्रकार का ग्रन्थ मेरे बारे में लिखें। इस पर वे सहमत नहीं हुए। बहुत कहने पर भी नहीं माने तो उसने उन्हें कैद कर लिया। अब वे सोचने लगे कि इस प्रकार आगे अच्छे लोगों के द्वारा झूठे और गलत काम न करने पर उन्हें दंड मिलने लगेगा। मुझे तो वह दंड मिल ही रहा है। इसका कोई सरल और तुरंत प्रभावी उपचार मिलना चाहिए। गोस्वामी तुलसीदास जी की सिद्धी और प्रशिद्धि के पीछे हनुमंतलाल जी का ही मार्गदर्शन था। उन्होंने सोंचा कि भगवान की कथा कल्पवृक्ष है। जिसकी मैंने रचना कर दिया है। परन्तु संकट के समय में इतनी विशाल कथा कहने और सुनने का मौका कहा मिलता है। और मै रामकथा के अलावां और कुछ लिख भी नहीं सकता।

इसीलिए उन्होंने श्री हनुमान जी जी की प्रेरणा से रामचरित मानस के अयोध्या काण्ड के दूसरे दोहे को लेकर श्री राम जी की वह कथा लिखना शुरू किया जो श्री हनुमान जी के बारे थी। क्योंकि बिना हनुमान जी की कथा के श्री राम जी की कथा पूरी नही होती। वही कथा श्री हनुमान चालीसा नाम से प्रसिद्ध हुई। श्री हनुमान चालीसा पूरा होते होते बंदरो ने इतना उत्पात मचाया कि अकबर को तुलसीदास जी को छोड़ना पड़ा।

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