संकट मोचक हनुमान जी की सर्वोच्च मूर्ति की स्थापना के लिए अपील

भारत वर्ष में निवास करने वाले सभी भारत वासियों भगवत भक्तों, हनुमत भक्तों से श्री संकट मोचक हनुमान जी की सर्वोच्च मूर्ति की स्थापना के लिए अपील:

श्री संकटमोचक हनुमान जी की बहुत बड़ी विकराल मूर्ति के ध्यान का लाभ गोस्वामी तुलसीदास जी के शब्दों में हनुमान बाहुक

सिंधु-तरन, सिय-सोच-हरन, रबि-बाल-बरन तनु ।
भुज बिसाल, मूरति कराल कालहुको काल जनु ।।

गहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव ।
जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवनसुव ।।
कह तुलसिदास सेवत सुलभ सेवक हित सन्तत निकट ।
गुन-गनत, नमत, सुमिरत, जपत समन सकल-संकट-विकट ।।१।।

स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रबि-तरुन-तेज-घन ।
उर बिसाल भुज-दंड चंड नख-बज्र बज्र-तन ।।
पिंग नयन, भृकुटी कराल रसना दसनानन ।
कपिस केस, करकस लँगूर, खल-दल बल भानन ।।
कह तुलसिदास बस जासु उर मारुतसुत मूरति बिकट ।
संताप पाप तेहि पुरुष पहिं सपनेहुँ नहिं आवत निकट ।।२।।

इस प्रकार की सर्वोच्च मूर्ति की स्थापना का संकल्प “विश्वकुंडलिनी जागरण संस्थान” अवध क्षेत्र गोमती तट ने लिया है। यदि नेताओं की मूर्तियां स्थापित की जा सकती हैं। तो श्री हनुमान जी की मूर्ति क्यों नहीं स्थापित की जा सकती। जिनकी मूर्ति को बराक ओबामा लाकेट में पहन कर अमेरिका के राष्ट्रपति बन सकते हैं तो भारत के नेता हनुमान जी को अपना राजनैतिक , नैतिक आदर्श बनाकर इसका समर्थन क्यों नहीं कर सकते हैं। समस्त भारतीय नारिकों भगवत भक्तों, हनुमत भक्तों से अपील है की इस मूर्ति स्थापना में अपना समर्थन सुझाव एवं सहयोग देने की कृपा करें।

निवेदक :
रामशंकर मिश्र
अध्यक्ष विश्वकुंडलिनी जागरण संस्थान
सिल्हौर घाट, गोमती नदी तट अवध क्षेत्र
सिल्हौर , बाराबंकी उत्तर प्रदेश

8172941808