मनुष्य और मनुष्यता

मनुष्य और मनुष्यता

मनुष्य का मनुष्य के काम आना ही उसके मनुष्य होने का प्रमाण होता है जो मनुष्य होकर भी मनुष्य के काम न आवे उसे मनुष्य कहा ही नहीं जा सकता है। किसी कवि ने कहा भी है कि – “– मनुष्य वहीं है जो कि मनुष्य के लिये मरे”।आजकल मनुष्य के लिये मनुष्य का मरना तो दूर ढंग से उससे बात करने तक के लिये तैयार नहीं है।मनुष्य होने की पहचान मानी जाने वाली मनुष्यता…

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