जाति धर्म मायामोह में फंसता मनुष्य

जाति धर्म मायामोह में फंसता मनुष्य

जाति धर्म मायामोह में फंसता मनुष्य . ईश्वर जीव को मनुष्य बनाकर इस धराधाम पर भेजता है वह जीव को हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई बनाकर नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ इंसान बनाकर इस धराधाम पर भेजता है। हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई आदि तो पैदा होने के बाद जीव को बनाया जाता है।जीव जब माँ के उदर से बाहर आता है तो ईश्वर के समान निर्विकार होता है इसीलिए जब बच्चा मुस्कारता है तो कहा जाता…

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मनुष्य जीवन में प्रकाश रूपी ज्ञान

मनुष्य जीवन में प्रकाश रूपी ज्ञान

मनुष्य जीवन में प्रकाश रूपी ज्ञान . मनुष्य जीवन प्रकाशमय होना जरूरी होता है क्योंकि मानव जीवन में अन्धेरा मानव जीवन की सबसे बड़ी विफलता होती है।जिस तरह अंधेरा दूर करने के लिए रोशनी जरूरी है उसी तरह मनुष्य जीवन को प्रकाशवान बनाने के लिये ज्ञान के प्रकाश की आवश्यकता होती है।ज्ञान की प्राप्ति के लिये अच्छे ज्ञानवान संत महात्माओ व सुसंस्कारित लोगों के साथ बैठकर उनसे शिक्षा दीक्षा लेना आवश्यक होता है। ज्ञान का…

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गुरू आश्रय

गुरू आश्रय

दीक्षा की प्रार्थना लेकर जब दिलीप राय उन सन्त के पास पहुँचे। तो वह इस पर बहुत हँसे और कहने लगे- “तो तुम हमें श्री अरविन्द से बड़ा योगी समझते हो। अरे वह तुम पर शक्तिपात नहीं कर रहे, यह भी उनकी कृपा है।” दिलीप को आश्चर्य हुआ- ये सन्त इन सब बातों को किस तरह से जानते हैं। पर वे महापुरुष कहे जा रहे थे, “तुम्हारे पेट में भयानक फोड़ा है। अचानक शक्तिपात से…

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मनुष्य जीवन में निरोगी काया का महत्व

मनुष्य जीवन में निरोगी काया का महत्व

मनुष्य जीवन में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो जीवन को धन्य बना देती है और उनके अभाव में जीवन नर्क जैसा बन जाता है। मनुष्य का सबसे बड़ा कीमती तोहफा स्वास्थ्य यानी सेहत होता है क्योंकि निरोगी काया ईश्वर की बहुत बड़ी नियामत होती है जो सौभाग्यशाली को ही मिलती है।रोगी जीवन नर्क जैसी कष्टदायक एवं निरोगी काया स्वर्ग जैसी सुखदायक होती है। इसी तरह मानव जीवन में संतोष सबसे बड़ा धन होता है…

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मनुष्य जीवन में भाग्य की भूमिका एवं महत्व पर विशेष

मनुष्य जीवन में भाग्य की भूमिका एवं महत्व पर विशेष

इस धराधाम पर आने वाले प्रत्येक मनुष्य की भाग्य एक जैसी नहीं होती है बल्कि हर एक मनुष्य की भाग्य अलग- अलग होती है। मनुष्य को अपनी भाग्य के अनुरूप फल मिलता है।भाग्य अनुसार कोई राजसी जीवन तो कोई भीखमंगा जीवन व्यतीत करता है।वैसे तो पत्थर जड़ होता है और इधर उधर पड़ा रहता है।लेकिन वहीं पत्थर जब भाग्य से किसी मंदिर में मूर्ति बनकर पहुँच जाता है तो वह भगवान बन जाता है और…

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आज के दिन मनाया जा रहा नागपंचमी का त्यौहार

आज के दिन मनाया जा रहा नागपंचमी का त्यौहार

नागपंचमी का त्यौहार पूरे देश में आज यानी 2 अगस्त को धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। नाग पंचमी का त्यौहार श्रावण माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताविक नागपंचमी को नागों की पूजा करने पर व्यक्ति की कुंडली से कालसर्प दोष खत्म हो जाता है। इसके अलावां हिन्दू धर्म ग्रंथो में नाग पूजा का बहुत…

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नकारात्मक चिंतन से बचिए

नकारात्मक चिंतन से बचिए

दैविक प्रकोप, आकस्मिक दुर्घटनाएँ, मृत्यु, शारीरिक कष्ट, आक्रांताओं के अत्याचार, जीवन की अनिवार्य आवश्यकताओं की पूर्ति न होना आदि ऐसे कारण हो सकते हैं, जो हमारी सीमा से बाहर हैं । जिनमें साधारण मनुष्य का वश नहीं चलता । *किंतु ये कारण ऐसे नहीं हैं, जो हमेशा ही जीवन में बने रहें ।* कभी-कभार ही ऐसे दुःख भरे कारण उपस्थित होते हैं । किंतु सामान्यतः तो व्यक्ति अपनी विचार करने की *”Negative”* नकारात्मक शैली के…

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सावन शिव और सोमवार पर विशेष

सावन शिव और सोमवार पर विशेष

साल के बारह महीनों में सावन का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस महीने में धरती हरी भरी हरियाली से सज धज बिरह एवं मिलन की प्रतीक बन जाती है।यही कारण है कि यह महीना भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है और मान्यता है कि वह पूरे महीने धरती पर विराजमान रहकर भक्तों का कल्याण करते हैं।सावन महीने और उसके चारों सोमवारों के बारे तमाम तरह के प्रसंग प्रचलित हैं। सावन शिव और…

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अवध क्षेत्र को आध्यात्मिक क्षेत्र बनाने हेतु

अवध क्षेत्र को आध्यात्मिक क्षेत्र बनाने हेतु

सतयुग के प्रारम्भ में वैदिक मन्त्र द्रष्टा ऋषियों ने जिस भूमी पर तप करके वैदिक ऋचाओं  का दर्शन किया था। वह हमारा अवध क्षेत्र ही है। इसलिए सतयुग की पुनर्स्थापना के लिए भगवान श्री राम ने इस अवध क्षेत्र (अयोध्या ) में ही जन्म लेकर त्रेता युग में सतयुग की स्थापना की थी। क्योकि सतयुग की स्थापना के लिए उपयुक्त भूमि और और सतयुग के बीज इसी क्षेत्र में सुप्तावस्था में पड़े थे। “सब नर…

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कलयुग का कल्पवृक्ष श्री हनुमान चालीसा

कलयुग का कल्पवृक्ष श्री हनुमान चालीसा

कहा जाता है कि देवराज इंद्र के यंहा कोई वृक्ष है जिसके नीचे बैठकर जो भी कल्पनाएं करते हैं वे उन लोगों को तुरंत उपलब्ध हो जाती हैं। कल्पवृक्ष यह नहीं देखता कि यह कल्पना करने वाला छोटा, बड़ा, अमीर, गरीब, पवित्र, अपवित्र कैसा है। कल्पना करते ही वह साकार होने लगती है। ठीक इसी प्रकार श्री हनुमान चालीसा के पाठ की साधना करने वाला जिस किसी कामना को लेकर चालीसा का पाठ करने लगता…

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