हमें नेता नहीं सृजेता चाहिए

हमें नेता नहीं  सृजेता चाहिए

देश एवं समाज को उन्नत बनाने के लिए तथा उसे श्रेष्ठ और समुन्नत मार्ग पर बढ़ाने के लिए विशिष्ट व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, यह गुरुतर भार सामान्य व्यक्ति नहीं संभाल सकता, इसके लिए प्रतिभाशाली नेतृत्व गुण संपन्न महामानव चाहिए वही समाज को अच्छी दिशा दे सकने में समर्थ हो सकता है। “प्रभावशाली नेता केवल मंच संभालने मात्र से कोई नहीं बन जाता उन्हें कुछ कर्तव्य करने होते हैं और कुछ दायित्व भी निभाने होते…

Read More

सावन शिव और सोमवार पर विशेष

सावन शिव और सोमवार पर विशेष

साल के बारह महीनों में सावन का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस महीने में धरती हरी भरी हरियाली से सज धज बिरह एवं मिलन की प्रतीक बन जाती है।यही कारण है कि यह महीना भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है और मान्यता है कि वह पूरे महीने धरती पर विराजमान रहकर भक्तों का कल्याण करते हैं।सावन महीने और उसके चारों सोमवारों के बारे तमाम तरह के प्रसंग प्रचलित हैं। सावन शिव और…

Read More

राष्ट्र कुण्डलिनी

राष्ट्र कुण्डलिनी

सृजन ही प्रकृति की नियति है और नित नया रूप देखना मानव का स्वभाव। समय की गति के साथ हर एक पदार्थ का रूपांतरण होकर नए कलेवर के रूप में बदलता रहता है यदि यंहा पर किसी का अवसान दीखता है तो वह भी नए रूप में प्रस्तुत होने के लिए। भारतीय दर्शन के अनुसार परमात्मा ने सबसे पहले प्राण शक्ति स्वरुप ॐ को प्रकट किया। उससे प्रकाश-ज्ञान का सृजन हुआ। उसी से सृष्टि में…

Read More

प्रकृति के नियंत्रक भी थे पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकृति के नियंत्रक भी थे पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

युगावतार वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा का इस धरती पर अवतरण इस संसार की बिगड़ती हुई व्यवस्था का संतुलन बनाने के लिए हुआ था। प्रकृति के नियंत्रक भी थे पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य . परन्तु की वस्तु को व्यक्ति ठीक तभी कर सकता है जब वह उसके जर्रे जर्रे से परिचित हो वंहा से उसका तदात्म्य हो चूका हो और फिर आज की व्यवस्था का संतुलन बनाना जंहा पूरा…

Read More

रंगभूमि और आज का यथार्थ

रंगभूमि और आज का यथार्थ

कालजयी साहित्य पुरुष कथाकार प्रेमचंद जी का वह साहित्य जिसने अपने समय में हर पढ़ने वालों में स्वतत्रता की आग पैदा कर दी थी। जिसे समझकर हर व्यक्ति के मन में उन परिस्थियों से लड़ने का भाव पैदा हो गया था। आज उन्ही में से ‘रंग भूमि’ उपन्यास विवादों में है। जिसको पढ़ कर आज के तथा कथित मार्डन लोग यह कहते हैं कि इसमें तो दुःख ही दुःख है , तथा इसके द्वारा प्रेमचंद…

Read More

राजनीतिक नाटक प्रजातंत्र के लिए घातक

राजनीतिक नाटक प्रजातंत्र के लिए घातक

एक समय था जब राजनीती से जुड़े लोग जनांदोलनों का वास्तविक नेतृत्व करते थे। आज स्थितियाँ बदल गई हैं। आज जनांदोलनों का नेतृत्व कम और नाटक ज्यादा होता है। आंदोलन में भाग लेने वाले कार्यकर्त्ता तथा जनता पुलिस लाठियां खाते हैं. आंसू गैस झेलते है और आंदोलन का नेतृत्व कर रहे नेता जी मुस्कराते हुए टीवी न्यूज चैनलों की ओर हाथ हिलाते हुए ससम्मान एक आरामदेह लग्जरी कार जो गिरफ़्तारी के नाटक अनुसार पहले से…

Read More

भारत की महान विभूतियों जागो “इतिहास ही नहीं भूगोल भी बदलेगा “

भारत की महान विभूतियों जागो “इतिहास ही नहीं भूगोल भी बदलेगा “

अभी हाल के दिनों में धारा 370 परिवर्तन एवं श्री रामजन्म भूमि का फैसला एक ऐतिहासिक कार्य था. इसके पहले इस कार्य की भारत में कल्पना करना अपनी शामत बुलाना था, लेकिन वह हो गया क्योंकि उसे होना था युगदृष्टा वेदमूर्ति तपोनिष्ट महान स्वतंत्रता सैनानी पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी “जिन्हे अन्य स्वंत्रता सैनानी “श्री राम मत्त ” के नाम से पुकारते थे , उन्होंने अपनी भविष्य वाणियों में कहा है की युग बदल…

Read More

सद्विचारों का निर्माण सत् अध्ययन- सत्संग से

सद्विचारों का निर्माण सत् अध्ययन- सत्संग से

कोई सद्विचार तभी तक सद्विचार हैं जब तक उसका आधार सदाशयता है, अन्यथा वह असद्विचारों के साथ ही गिना जायेगा। चूँकि मनुष्य के जीवन में हर प्रकार और हर कोटि के असद्विचार विष की तरह ही त्याज्य हैं, उन्हें त्याग देने में ही कुशल, क्षेम, कल्याण तथा मंगल है। वे सारे विचार जिनके पीछे दूसरों और अपनी आत्मा का हित सन्निहित हो सद्विचार ही होते हैं। सेवा एक सद्विचार है। जीवमात्र की निःस्वार्थ सेवा करने…

Read More
1 2