यह बिल संविधान की मूल भावना पर हमला है: आनंद शर्मा, कांग्रेस

कांग्रेस की ओर से आनंद शर्मा ने कहा कि पहले और अब के बिल में काफी अंतर है, सबसे बात करने का जो दावा किया जा रहा है उससे मैं सहमत नहीं हूं. इतिहास इसको कैसे देखेगा, उसे वक्त बताएगा. कांग्रेस नेता बोले कि इस बिल को लेकर जल्दबाजी क्यों हो रही है, संसदीय कमेटी के पास इसे भेजा जाता और तब लाया जाता.आनंद शर्मा ने कहा कि 72 साल में ऐसा पहली बार हुआ है, ये विरोध के लायक ही है. ये बिल संवैधानिक, नैतिक आधार पर गलत है, ये बिल प्रस्तावना के खिलाफ है. ये बिल लोगों को बांटने वाला है. हिंदुस्तान की आजादी के बाद देश का बंटवारा हुआ था, तब संविधान सभा ने नागरिकता पर व्यापक चर्चा हुई थी. बंटवारे की पीड़ा पूरे देश को थी, जिन्होंने इसपर चर्चा की उन्हें इसके बारे में पता था. आनंद शर्मा बोले कि ये बिल संविधान निर्माताओं पर सवाल उठाता है, क्या उन्हें इसके बारे में समझ नहीं थी. भारत के संविधान में किसी के साथ भेदभाव नहीं हुआ, बंटवारे के बाद जो लोग यहां पर आए उन्हें सम्मान मिला है. पाकिस्तान से आए दो नेता प्रधानमंत्री भी बने हैं. यह बिल संविधान की मूल भावना पर हमला है। यह लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ है। यह बिल विभाजनकारी बिल। इस वजह से मैं इसका विरोध करता हूं. इतिहास को बदला नहीं जा सकता। कई लोगों ने यह कोशिश की, लेकिन वे बदल नहीं पाए। कभी न कभी जब परिवर्तन होते हैं, तो सच्चाई और इतिहास प्रचंड रूप में खुद को प्रकट करता है। टू नेशन थिअरी जो बंटवारे की है, वह कांग्रेस नहीं लाई. वह 1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा ने प्रस्ताव पारित किया था। उसकी अध्यक्षता सावरकर जी ने की थी। उसके एक साल बाद 1938 में मुस्लिम लीग का अधिवेशन हुआ, इसमें पार्टिशन ऑफ इंडिया प्रस्ताव पेश किया गया. 1955 में आया सिटिजनशिप ऐक्ट आया। उसके बाद 9 बार इसमें बदलाव किए गए, लेकिन संविधान से इसका कोई टकराव नहीं हुआ. आनंद शर्मा ने कहा कि असम में आज बच्चे सड़क पर क्यों हैं, जो डिटेंशन सेंटर बनाया गया है तो वहां पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को भेजना चाहिए. किसी राजनीतिक दल का घोषणापत्र देश का संविधान नहीं हो सकता है. असम में आज लोग जल रहे हैं, उनके मन में असुरक्षा है. आप पूरे देश में NRC लाने की बात कह रहे हैं. आनंद शर्मा ने बोले कि गांधी-पटेल का नाम लेने से कुछ नहीं होगा, अगर सरदार पटेल पीएम मोदी से मिलते तो बहुत नाराज होते..गांधी का चश्मा सिर्फ विज्ञापन के लिए नहीं है.