रंगभूमि और आज का यथार्थ
कालजयी साहित्य पुरुष कथाकार प्रेमचंद जी का वह साहित्य जिसने अपने समय में हर पढ़ने वालों में स्वतत्रता की आग पैदा कर दी थी। जिसे समझकर हर व्यक्ति के मन में उन परिस्थियों से लड़ने का भाव पैदा हो गया था। आज उन्ही में से ‘रंग भूमि’ उपन्यास विवादों में है। जिसको पढ़ कर आज के तथा कथित मार्डन लोग यह कहते हैं कि इसमें तो दुःख ही दुःख है , तथा इसके द्वारा प्रेमचंद…
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