मनुष्य जीवन में दोस्तों का महत्व

मनुष्य जीवन में दोस्तों का महत्व

मनुष्य के जीवन में अनेको साथी शुभचिन्तक मिलते हैं लेकिन उनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं जो आपकी की देखभाल या खैर ख्वाह अधिक होते है।ऐसे लोगों को नजरअंदाज करना उचित नही होता है क्योंकि उन्हीं में हीरा जैसे अनमोल भी शामिल होते हैं। उन्हें खोने के बाद एक दिन ऐसा आता है जब तुम्हें अहसास होगा कि तुमने हीरा जैसा दोस्त शुभचिन्तक अनजाने में खो दिया हैं ।आज के बदलते परिवेश में मतलबी…

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मनुष्य जीवन में परिवार का महत्व

मनुष्य जीवन में परिवार का महत्व

मानव जीवन में परिवार से बड़ा दूसरा कोई धन नही होता है ।इसी तरह पिता से बड़ा दूसरा शुभचिन्तक व सलाहकार नही होता है । जितना सुख माता के गोद में उसके आँचल की छाँव में मिलता है उतना अलग नही मिलता है । भाई से बड़ा दूसरा कोई सहोदर और बहन से बड़ा कोई दूसरा शुभचिन्तक नही हो सकता है।धर्मपत्नी से बड़ा जीवन में कोई दोस्त नही होता है इसलिए परिवार के बिना जीवन…

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मनुष्य और मनुष्यता

मनुष्य और मनुष्यता

मनुष्य का मनुष्य के काम आना ही उसके मनुष्य होने का प्रमाण होता है जो मनुष्य होकर भी मनुष्य के काम न आवे उसे मनुष्य कहा ही नहीं जा सकता है। किसी कवि ने कहा भी है कि – “– मनुष्य वहीं है जो कि मनुष्य के लिये मरे”।आजकल मनुष्य के लिये मनुष्य का मरना तो दूर ढंग से उससे बात करने तक के लिये तैयार नहीं है।मनुष्य होने की पहचान मानी जाने वाली मनुष्यता…

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76वें स्वतंत्रता दिवस पर फहराया तिरंगा

76वें स्वतंत्रता दिवस पर फहराया तिरंगा

15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ था। और हम आजाद हो गए थे। इसीलिए 15 अगस्त हम हर साल आजादी का पर्व मानते हैं। इस बार हमारी हमारी आजादी के 75 साल पूरे हो गए और हम ७६वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। इस लिए यह बहुत खास है। इस बार स्वतंत्रता दिवस को बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जा रहा है। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने…

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राष्ट्र कुण्डलिनी

राष्ट्र कुण्डलिनी

सृजन ही प्रकृति की नियति है और नित नया रूप देखना मानव का स्वभाव। समय की गति के साथ हर एक पदार्थ का रूपांतरण होकर नए कलेवर के रूप में बदलता रहता है यदि यंहा पर किसी का अवसान दीखता है तो वह भी नए रूप में प्रस्तुत होने के लिए। भारतीय दर्शन के अनुसार परमात्मा ने सबसे पहले प्राण शक्ति स्वरुप ॐ को प्रकट किया। उससे प्रकाश-ज्ञान का सृजन हुआ। उसी से सृष्टि में…

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रंगभूमि और आज का यथार्थ

रंगभूमि और आज का यथार्थ

कालजयी साहित्य पुरुष कथाकार प्रेमचंद जी का वह साहित्य जिसने अपने समय में हर पढ़ने वालों में स्वतत्रता की आग पैदा कर दी थी। जिसे समझकर हर व्यक्ति के मन में उन परिस्थियों से लड़ने का भाव पैदा हो गया था। आज उन्ही में से ‘रंग भूमि’ उपन्यास विवादों में है। जिसको पढ़ कर आज के तथा कथित मार्डन लोग यह कहते हैं कि इसमें तो दुःख ही दुःख है , तथा इसके द्वारा प्रेमचंद…

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विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

 जब तुम्हारा मन टूटने लगे, तब भी यह आशा रखो कि प्रकाश की कोई किरण कहीं न कहीं से उदय होगी और तुम डूबने न पाओगे, पार लगोगे। चरित्र मानव- जीवन की सर्वश्रेष्ठ सम्पदा है। यही वह धुरी है, जिस पर मनुष्य का जीवन सुख- शान्ति और मान- सम्मान की अनुकूल दिशा अथवा दुःख- दारिद्र्य तथा अशांति, असन्तोष की प्रतिकूल दिशा में गतिमान होता है। जिसने अपने चरित्र का निर्माण आदर्श रूप में कर लिया उसने…

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सद्विचारों का निर्माण सत् अध्ययन- सत्संग से

सद्विचारों का निर्माण सत् अध्ययन- सत्संग से

कोई सद्विचार तभी तक सद्विचार हैं जब तक उसका आधार सदाशयता है, अन्यथा वह असद्विचारों के साथ ही गिना जायेगा। चूँकि मनुष्य के जीवन में हर प्रकार और हर कोटि के असद्विचार विष की तरह ही त्याज्य हैं, उन्हें त्याग देने में ही कुशल, क्षेम, कल्याण तथा मंगल है। वे सारे विचार जिनके पीछे दूसरों और अपनी आत्मा का हित सन्निहित हो सद्विचार ही होते हैं। सेवा एक सद्विचार है। जीवमात्र की निःस्वार्थ सेवा करने…

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विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

 जब तुम्हारा मन टूटने लगे, तब भी यह आशा रखो कि प्रकाश की कोई किरण कहीं न कहीं से उदय होगी और तुम डूबने न पाओगे, पार लगोगे। चरित्र मानव- जीवन की सर्वश्रेष्ठ सम्पदा है। यही वह धुरी है, जिस पर मनुष्य का जीवन सुख- शान्ति और मान- सम्मान की अनुकूल दिशा अथवा दुःख- दारिद्र्य तथा अशांति, असन्तोष की प्रतिकूल दिशा में गतिमान होता है। जिसने अपने चरित्र का निर्माण आदर्श रूप में कर लिया उसने…

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ऐसे करेंआत्मसमीक्षा

ऐसे करेंआत्मसमीक्षा

आत्म-समीक्षा (आत्मसमीक्षा ) के चार मानक हैं: – अंगों (इन्द्रियसंयम) के आत्म-संयम। समय के आत्म-संयम। पैसे की आत्म-संयम। विचारों का आत्म-संयम। यह जांच की जानी चाहिए है कि वहाँ इन मजबूरी.जीभ से किसी के संबंध में कोई उल्लंघन नहीं मना सामग्री खाने के लिए और असभ्य भाषा लैंगिकता बात करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, कामुकता को टाला जा सकता है। अंगों के आत्म संयम शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए…

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