विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

 जब तुम्हारा मन टूटने लगे, तब भी यह आशा रखो कि प्रकाश की कोई किरण कहीं न कहीं से उदय होगी और तुम डूबने न पाओगे, पार लगोगे। चरित्र मानव- जीवन की सर्वश्रेष्ठ सम्पदा है। यही वह धुरी है, जिस पर मनुष्य का जीवन सुख- शान्ति और मान- सम्मान की अनुकूल दिशा अथवा दुःख- दारिद्र्य तथा अशांति, असन्तोष की प्रतिकूल दिशा में गतिमान होता है। जिसने अपने चरित्र का निर्माण आदर्श रूप में कर लिया उसने…

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विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

 जब तुम्हारा मन टूटने लगे, तब भी यह आशा रखो कि प्रकाश की कोई किरण कहीं न कहीं से उदय होगी और तुम डूबने न पाओगे, पार लगोगे। चरित्र मानव- जीवन की सर्वश्रेष्ठ सम्पदा है। यही वह धुरी है, जिस पर मनुष्य का जीवन सुख- शान्ति और मान- सम्मान की अनुकूल दिशा अथवा दुःख- दारिद्र्य तथा अशांति, असन्तोष की प्रतिकूल दिशा में गतिमान होता है। जिसने अपने चरित्र का निर्माण आदर्श रूप में कर लिया उसने…

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सकारात्मक विचार

सकारात्मक विचार

सकारात्मक विचार जीवन का आधारभूत मर्म है। इस मर्म में अनेक तथ्य सन्निहित हैं, जिनके प्रकटीकरण से जीवन सुरभित, सुगंधित एवं सौंदर्य से अभिमंडित हो जाता है। सकारात्मक विचार सौंदर्य का प्रतीक एवं पर्याय बन जाता है। यह जीवन को ऊर्जा से भर देता है। ऊर्जा से भरा हुआ जीवन अपने चरम पर विकसित होता है, अनेकों अनेक गुप्त एवं सुप्त आयाम खुलते हैं, जिनके कारण जीवन आशा, उत्साह, उमंग एवं उपलब्धियों से भर जाता…

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योग क्या है ?

योग क्या है ?

गीता में योग की परिभाषा योगःकर्मसु कौशलम् (2-50) की गयी है । दूसरी परिभाषा समत्वं योग उच्यते(2-48) है । कर्म की कुशलता और समता को इन परिभाषाओं में योग बताया गया है । पातंजलि योग दर्शन में योगश्चिय वृत्ति निरोधः (1-1) चित्त की वृत्तियों के निरोध को योग कहा गया है । इन परिभाषाओं पर विचार करने से योग कोई ऐसी रहस्यमय या अतिवादी वस्तु नही रह जाती कि जिसका उपयोग सवर्साधारण द्वारा न हो…

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कौन हो युवाओं का आदर्श ?

कौन हो युवाओं का आदर्श ?

युवा आदर्श कौन? इस सवाल के सबके अपने- अपने जवाब हैं। फिर भी सही जवाब गायब है। यूँ कहने को तो युवक- युवतियों ने किसी न किसी फिल्मी सितारे, क्रिकेटर, फुटबाल या किसी टेनिस खिलाड़ी को अपना आदर्श बना रखा है। इनमें से किसी की वेश- भूषा उनके दिलों को छूती है, तो किसी की चाल- ढाल या हाव- भाव उन्हें भाते हैं। किसी के रन बनाने अथवा फिर किसी की फुटबाल के साथ कलाबाजी…

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व्यक्तित्व का विकास

व्यक्तित्व का विकास

(१) प्रात: उठने से लेकर सोने तक की व्यस्त दिनचर्या निर्धारित करें। उसमें उसार्जन, विश्राम, नित्य कर्म, अन्यान्य काम- काजों के अतिरिक्त आदर्शवादी परमार्थ प्रयोजनों के लिए एक भाग निश्चित करें। साधारणतया आठ घण्टा कमाने, सात घण्टा सोने, पाँच घण्टा नित्य कर्म एवं लोक व्यवहार के लिए निर्धारित रखने के उपरान्त चार घण्टे परमार्थ प्रयोजनों के लिए निकालना चाहिए। इसमें भी कटौती करनी हो, तो न्यूनतम दो घण्टे तो होने ही चाहिये। इससे कम में…

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ध्यान की चिकित्सीय लाभ

ध्यान की चिकित्सीय लाभ

ध्यान शब्द की व्युत्पत्ति ‘ध्य” धातु से भाव में “लट” प्रत्यय लगाकर की जाती है। इसका अर्थ चिंतन अथवा इन्द्रियों की अंतः वृत्ति प्रवाह के रूप में किया जाता है। पतंजलि महाभाष्य की उक्ति के अनुसार, ध्यान को एकाग्रता से जोड़ा जाता है। ध्यान वह भाव दशा है . जिसमें एक ही वास्तु का ज्ञान होता है। ध्यान की दशा में ध्येय और ध्यान का भिन्न -भिन्न ज्ञान होता है, यह विशुद्ध रूप से एक…

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वैज्ञानिक अध्यात्म

वैज्ञानिक अध्यात्म

वैज्ञानिक अध्यात्म में वैज्ञानिक जीवन दृष्टिं एवं आध्यात्मिक जीवन मूल्यों का सुखद समन्वय है। वैज्ञानिक जीवन दृष्टिं में पूर्वाग्रहों, मूढ़ताओं एवं भ्रामक मान्यताओं का कोई स्थान नहीं है। यहाँ तो तर्क संगत, औचित्य निष्ठ, उद्देश्यपूर्ण व सत्यान्वेषी जिज्ञासु भाव ही सम्मानित होते हैं। इसमें रूढिय़ाँ नहीं प्रायोगिक प्रक्रियाओं के परिणाम ही प्रामाणिक माने जाते हैं। सूत्र वाक्य में कहें तो वैज्ञानिक जीवन दृष्टिं में परम्पराओं की तुलना में विवेक को महत्त्व मिलता है। वेदों के…

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