उत्तम कर्म करने से मन दुःखी नहीं होता

उत्तम कर्म करने से मन दुःखी नहीं होता

मनुष्य जब तक जीवित रहता है, सर्वदा कार्य में संलग्न रहता है, चाहे कार्य शुभ हो या अशुभ। वह कुछ न कुछ कार्य करता ही रहता है और अपने कर्मों के फलस्वरूप दुःख सुख पाता रहता है। बुरे कर्मों से दुःख एवं शुभ कर्मों से सुख।जब हम ईश्वर की आज्ञानुसार कर्म करते हैं, तो हमें किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है, क्योंकि वे कार्य शुभ होते हैं, परन्तु जब हम उनकी आज्ञा के विरुद्ध…

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मन को सदा सद्विचारों में संलग्न रखें

मन को सदा सद्विचारों में संलग्न रखें

मनुष्य जब तक जीवित रहता है सर्वदा कार्य में संलग्न रहता है, चाहे कार्य शुभ हो या अशुभ।* कुछ न कुछ कार्य करता ही रहता है और अपने कर्मों के फलस्वरूप दुःख सुख पाता रहता है, *बुरे कर्मों से दुःख एवं शुभ कर्मों से सुख। जब हम ईश्वर की आज्ञानुसार कर्म करते हैं तो हमें किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है क्योंकि वे कार्य शुभ होते हैं परन्तु जब हम उनकी आज्ञा के विरुद्ध…

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प्रतिभा

प्रतिभा

प्रतिभा एक दैवी स्तर की विधुत चेतना है। जो व्यक्ति के व्यक्तित्व और कर्तुत्व में असाधारण स्तर की उत्कृष्टता भर देती है। उसी के आधार पर अतिरिक्त सफलताएं आश्चर्यजनक मात्रा में उपलब्ध की जाती हैं। साथ ही इतना और जुड़ता है कि अपने लिए असाधारण श्रेय, सम्मान और दूसरों के लिए अभ्युदय के मार्ग पर घसीट ले चलने वाला मार्गदर्शन वह कर सके मांझी की तरह अपनी नाव को खेकर स्वयं पार उतरे और उसपर…

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हस्त रेखा कैसे देंखे

हस्त रेखा कैसे देंखे

यदि आप अपने रास्ते पर कहीं जा रहे हों और रास्ते के बारे में कोई जानकारी न हो अँधेरा रास्ता हो तथा आपको उस रास्ते के अलावां और कोई रास्ता न हो तो आप क्या करोगे ? हमारा ऐसा सोचना है कि उस समय आप किसी जानकर व्यक्ति को तलाश करेंगे तथा रास्ते के बारे में जानकारी करके साथ में प्रकाश लेकर जाना चाहेंगे। हमारा जीवन भी अँधेरा रास्ता है। हमें उस रास्ते पर ही…

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हस्त रेखा विज्ञान

हस्त रेखा विज्ञान

भविष्य को जानने के लिए समस्त विद्याओं में में हस्त रेखा विज्ञान अति सरल एवं स्वाभाविक है। इसको समझना व्यक्ति के लिए बहुत ही आसान है। चाहे पढ़ा लिखा हो या अनपढ़ कोई भी व्यक्ति अपने या किसी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। वैसे तो आज बहुत सारे हस्त रेखा विशेसज्ञ दिखाई पड़ते हैं। परन्तु उनमे भ्रम फ़ैलाने के अलावां और कोई विशेषज्ञता नही पाई जाती क्योंकि जबतक हाथ के गूढ़ रहस्यों…

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आपका भाग्य आप की मुठ्ठी में

आपका भाग्य आप की मुठ्ठी में

आपका भाग्य आप की मुठ्ठी में है यह कहावत अक्षरशः सत्य है कि मनुष्य का भाग्य उसके हाथों में होता है। इसका एक कारण तो यह है कि मनुष्य अपने हाथों द्वारा कर्म करके अपने भाग्य का निर्माण करता है। आज हम जो कुछ प्रारब्ध सुख दुःख के रूप में भोग रहे हैं। वह भी हमारे पूर्व जन्मो में किये गए कार्यों के परिणाम हैं। दूसरा कारण यह है कि पूर्व कृत प्रारब्ध का जो…

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पीएम मोदी सीएम योगी समेत कई नेताओं ने दी गुरु पूर्णिमा पर लोगों को बधाई

पीएम मोदी सीएम योगी समेत कई नेताओं ने दी गुरु पूर्णिमा पर लोगों को बधाई

आज गुरु पूर्णिमा का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है। सभी देशवासी अपने अपने गुरुओं को याद कर रहे हैं। लोग अपने गुरुजनों की फोटोज को सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं ने गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर देशवासियों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि “गुरु पूर्णिमा की बधाई। यह उन सभी आदर्श गुरुओं के…

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कर्म का फल

कर्म का फल

अगर किसी के कर्म का फल तुरंत नहीं मिलता, तो इससे यह नहीं समझना चाहिए कि उसके भले-बुरे परिणाम से वह हरदम के लिए बच गया। कर्मफल एक ऐसा अमिट तथ्य है, जो आज नहीं तो कल भुगतना ही पड़ेगा। कभी-कभी इन परिणामों में देर इसलिए होता है कि ईश्वर मानवीय बुद्धि की परीक्षा करना चाहता है कि व्यक्ति अपने कत्र्तव्य धर्म समझ सकने और निष्ठापूर्वक पालन करने लायक विवेक बुद्धि संचय कर सका या…

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जानिए पं श्रीराम शर्मा आचार्य और माता भगवती देवी शर्मा के बारे में 

जानिए पं श्रीराम शर्मा आचार्य और माता भगवती देवी शर्मा के बारे में 

परम पूज्य गुरुदेव पं श्रीराम शर्मा आचार्य – इतिहास में कभी- कभी ऐसा होता है कि अवतारी सत्ता एक साथ बहुआयामी रूपों में प्रकट होती है एवं करोड़ों ही नहीं, पूरी वसुधा के उद्धार- चेतनात्मक धरातल पर सबके मनों का नये सिरे से निर्माण करने आती है ।। परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य को एक ऐसी ही सत्ता के रूप में देखा जा सकता है, जो युगों- युगों में गुरु एवं अवतारी सत्ता…

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मनुष्य जीवन का अमूल्य यात्रा-पथ

मनुष्य जीवन का अमूल्य यात्रा-पथ

मनुष्य परमात्मा की अलौकिक कृति है । वह विश्वम्भर परमात्म देव की महान रचना है । जीवात्मा अपनी यात्रा का अधिकांश भाग मनुष्य शरीर में ही पूरा करता है । अन्य योनियों से इसमें उसे सुविधाएं भी अधिक मिली हुई होती हैं । यह जीवन अत्यंत सुविधाजनक है । सारी सुविधाएं और अनन्त शक्तियां यहां आकर केन्द्रित हो गई हैं ताकि मनुष्य को यह शिकायत न रहे कि परमात्माने उसे किसी प्रकार की सुविधा और…

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