सावन शिव और सोमवार पर विशेष

सावन शिव और सोमवार पर विशेष

साल के बारह महीनों में सावन का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस महीने में धरती हरी भरी हरियाली से सज धज बिरह एवं मिलन की प्रतीक बन जाती है।यही कारण है कि यह महीना भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है और मान्यता है कि वह पूरे महीने धरती पर विराजमान रहकर भक्तों का कल्याण करते हैं।सावन महीने और उसके चारों सोमवारों के बारे तमाम तरह के प्रसंग प्रचलित हैं। सावन शिव और…

Read More

अवध क्षेत्र को आध्यात्मिक क्षेत्र बनाने हेतु

अवध क्षेत्र को आध्यात्मिक क्षेत्र बनाने हेतु

सतयुग के प्रारम्भ में वैदिक मन्त्र द्रष्टा ऋषियों ने जिस भूमी पर तप करके वैदिक ऋचाओं  का दर्शन किया था। वह हमारा अवध क्षेत्र ही है। इसलिए सतयुग की पुनर्स्थापना के लिए भगवान श्री राम ने इस अवध क्षेत्र (अयोध्या ) में ही जन्म लेकर त्रेता युग में सतयुग की स्थापना की थी। क्योकि सतयुग की स्थापना के लिए उपयुक्त भूमि और और सतयुग के बीज इसी क्षेत्र में सुप्तावस्था में पड़े थे। “सब नर…

Read More

कलयुग का कल्पवृक्ष श्री हनुमान चालीसा

कलयुग का कल्पवृक्ष श्री हनुमान चालीसा

कहा जाता है कि देवराज इंद्र के यंहा कोई वृक्ष है जिसके नीचे बैठकर जो भी कल्पनाएं करते हैं वे उन लोगों को तुरंत उपलब्ध हो जाती हैं। कल्पवृक्ष यह नहीं देखता कि यह कल्पना करने वाला छोटा, बड़ा, अमीर, गरीब, पवित्र, अपवित्र कैसा है। कल्पना करते ही वह साकार होने लगती है। ठीक इसी प्रकार श्री हनुमान चालीसा के पाठ की साधना करने वाला जिस किसी कामना को लेकर चालीसा का पाठ करने लगता…

Read More

श्री हनुमान चालीसा

श्री हनुमान चालीसा

॥ श्री हनुमान चालीसा ॥ श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार । बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥ जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥ कंचन बरन बिराज सुबेसा…

Read More

हनुमान चालीसा घोर तांत्रिक

हनुमान चालीसा घोर तांत्रिक

हनुमान चालीसा घोर तांत्रिक किन्तु तंत्र के प्रतिबंधों से मुक्त है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री हनुमान चालीसा की रचना उस समय की जिस समय वे अकबर के कारगर में बंद थे। उस समय पूजा करना या कोई उपचार संभव नहीं था। कोई बड़ी रचना भी नही लिखी जा सकती थी। जो भी उपचार करें उसका ही अनुशरण करके आगे सभी लोग लाभान्वित हों इसके लिए कम साधन समय में कोई उपचार हो ऐसा उपाय…

Read More

हनुमान चालीसा में संकट मिटने का मूल सिद्धांत

हनुमान चालीसा में संकट मिटने का मूल सिद्धांत

हनुमान चालीसा में संकट मिटने का मूल सिद्धांत है . मनुष्य के ऊपर संकट आने का मूल कारण उसके द्वारा किये गए पूर्व जन्म अथवा इस जन्म के पाप हैं। उनका समन या तो संकट भोगकर अथवा उसके अनुरूप तप करके ही मिटाया जा सकता है। श्री हनुमान जी भी संकट से उसे ही मुक्त करते हैं जो उस सिद्धांत का पालन करता है। “संकट तै हनुमान छुडावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै”…

Read More

सदबुद्धि की कथा है हनुमान चालीसा

सदबुद्धि की कथा है हनुमान चालीसा

कारगार में पड़े पड़े तुलसीदास जी सोचने लगे कि संकट में मनुष्य का साथी कौन होता है। तब हनुमान जी ने उन्हें सुझाया कि संकट में मनुष्य की सदबुद्धि ही मनुष्य की साथी होती है। क्योंकि यदि सदबुद्धि नहीं होगी तो मनुष्य में दुर्बुद्धि होगी और “जंहा कुमति तंहा विपत्ति निधाना” . कुमति आने से भगवान का भजन छूट जाता है। भगवान का चिंतन भजन छूटना बड़ी विपत्ति को आमंत्रित करता है। “कह हनुमंत विपत्ति…

Read More

कार्य की समृद्ध फसल (कर्म)

कार्य की समृद्ध फसल (कर्म)

मानव जीवन एक ऐसा क्षेत्र है, जहां कर्म बोए जाते हैं और उनके अच्छे या बुरे फल काटे जाते हैं। जो अच्छे कर्म करता है, उसे अच्छा फल मिलता है। बुरे कर्म करने वाले को बुरे फल मिलते हैं। यह कहा जाता है। “जो आम बोएगा, वह आम खाएगा, जो बबूल बोएगा, उसे काँटे मिलेंगे।” जिस प्रकार बबूल की बुवाई से आम प्राप्त करना प्रकृति में संभव नहीं है, उसी प्रकार बुराइयों के बीज बोने…

Read More

आज है सावन शिवरात्री मुख्यमंत्री योगी और सतीश शर्मा ने दी बधाई

आज है सावन शिवरात्री मुख्यमंत्री योगी और सतीश शर्मा ने दी बधाई

आज के दिन सावन माह की शिवरात्रि पूरे देश में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। हिन्दू धर्म के विद्वानों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन शिव जी का प्राकट्य हुआ था। कुछ मान्यताओं के अनुसार इस दिन शिव जी देवी पार्वती के साथ विवाह के बंधन में बंधे थे। वैसे तो हर माह मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन सावन की शिवरात्रि का विशेष महत्व। है क्योंकि सावन और शिवरात्रि…

Read More

पहले दो तब मिलेगा

पहले दो तब मिलेगा

संसार का यह अचल नियम कितना सत्य है कि “पहले दो तब मिलेगा” पेट में पहले भोजन पहुँचाया जाता है तब वह हमें रक्त जैसी अमूल्य वस्तु प्रदान करता है, घड़ी में पहले चाबी दी जाती है तब वह हमें ठीक समय देती है, कुंए में पहले बर्तन डालते हैं तब उसमें पानी आता है, दान देने वाले पहले देते हैं तब यश और कीर्ति के भागी बनते हैं, ब्याज खाने वाले पहले रकम देते…

Read More
1 2 3 4 5 6 7