सावन शिव और सोमवार पर विशेष

साल के बारह महीनों में सावन का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस महीने में धरती हरी भरी हरियाली से सज धज बिरह एवं मिलन की प्रतीक बन जाती है।यही कारण है कि यह महीना भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है और मान्यता है कि वह पूरे महीने धरती पर विराजमान रहकर भक्तों का कल्याण करते हैं।सावन महीने और उसके चारों सोमवारों के बारे तमाम तरह के प्रसंग प्रचलित हैं। सावन शिव और सोमवार पर विशेष .

कहते हैं कि एक समय में अमरपुर नामक नगर में एक धनी व्यापारी रहता था जिसका कारोबार दूर-दूराज तक फैला हुआ था और नगरवासी उस व्यापारी का मान-सम्मान करते थे। इसके बावजूद सबकुछ होने पर भी वह व्यापारी अंतरमन से बहुत दुखी रहता था क्योंकि उसे कोई पुत्र नहीं था।दिन-रात उसे एक ही चिंता सताती रहती थी कि उसकी मृत्यु के बाद उसके इतने बड़े व्यापार और धन-संपत्ति को कौन संभालेगा।पुत्र पाने की इच्छा से वह व्यापारी प्रति सोमवार भगवान शिव की व्रत-पूजा किया करता और सायंकाल शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव के सामने घी का दीपक जलाया करता था।उसकी भक्ति देखकर एक दिन पार्वतीजी ने भगवान शिव से कहा- ‘हे प्राणनाथ, यह व्यापारी आपका सच्चा भक्त है और कितने दिनों से यह सोमवार का व्रत और पूजा नियमित कर रहा है।

उन्होंने कहा कि भगवन् आप इस व्यापारी की मनोकामना अवश्य पूर्ण करें।भगवान शिव ने माता पार्वती जी की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा- ‘हे पार्वती! इस संसार में सबको उसके कर्म के अनुसार फल की प्राप्ति होती है। प्राणी जैसा कर्म करते हैं उन्हें वैसा ही फल प्राप्त होता है।इसके बावजूद पार्वती जी नहीं मानीं और आग्रह करते हुए कहा- ‘नहीं प्राणनाथ! आपको इस भक्त की इच्छा अवश्य पूरी करनी पड़ेगी क्योंकि यह आपका अनन्य भक्त है और हर सोमवार आपका विधिवत व्रत रखता है और पूजा-अर्चना के बाद आपको भोग लगाकर एक समय भोजन ग्रहण करता है।

आपको इसे पुत्र-प्राप्ति का वरदान देना ही होगा।’ पार्वती जी का इतना आग्रह देखकर भगवान शिव ने कहा- ‘तुम्हारे आग्रह पर मैं इस व्यापारी को पुत्र-प्राप्ति का वरदान देता हूं लेकिन इसका पुत्र मात्र 16 वर्ष से अधिक जीवित नहीं रहेगा।’ उसी रात भगवान शिव ने स्वप्न में उस व्यापारी को दर्शन देकर उसे पुत्र-प्राप्ति का वरदान दिया और उसके पुत्र के 16 वर्ष तक जीवित रहने की बात भी बताई।भगवान के वरदान से व्यापारी को खुशी तो हुई, लेकिन पुत्र की अल्पायु की चिंता ने उसकी खुशी को मुखरित नहीं होने दिया। इसके बावजूद वह पहले की तरह सोमवार का विधिवत व्रत करता रहा। कुछ महीने पश्चात उसके घर एक अति सुंदर पुत्र उत्पन्न हुआ। पुत्र जन्म से व्यापारी के घर एवं नगर में खुशियां भर गईं और बहुत धूमधाम से पुत्र-जन्म समारोह का आयोजन किया गया।

व्यापारी को पुत्र-जन्म की अधिक खुशी नहीं हुई, क्योंकि उसे पुत्र की अल्प आयु के रहस्य का पता था। यह रहस्य घर में किसी को नहीं मालूम था। विद्वान ब्राह्मणों ने उस पुत्र का नामकरण ‘अमर’ रखा और जब वह 12 वर्ष का हुआ तो उसे शिक्षा के लिए उसे वाराणसी भेजने का निश्चय हुआ। व्यापारी ने अमर के मामा दीपचंद को बुलाया और अमर को शिक्षा प्राप्त करने के लिए वाराणसी छोड़ आने के लिए कहा। अमर अपने मामा के साथ शिक्षा प्राप्त करने के लिए चल दिया।

लंबी यात्रा के बाद अमर और दीपचंद एक नगर में पहुंचे जहां पर उस नगर के राजा की कन्या के विवाह की खुशी में पूरे नगर को सजाया गया था। कन्या की शादी जिस युवक के साथ तय हुई थी उसकी एक आंख खराब थी जिसे लेकर वर का पिता बहुत चिंतित था। उसे इस बात का भय सता रहा था कि राजा को इस बात का पता चलने पर कहीं वह विवाह से इंकार न कर दें क्योंकि इससे उसकी बदनामी होगी।

वर के पिता ने अमर को देखा तो उसके मस्तिष्क में एक विचार आया और उसने सोचा कि क्यों न इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी से विवाह करा दूं? विवाह के बाद इसको धन देकर विदा कर दूंगा और राजकुमारी को पुत्रवधू बनाकर अपने नगर में ले जाऊंगा। यह सोचकर उसने वर के पिता ने युवक के मामा से बात की। मामा दीपचंद धन मिलने के लालच में आकर उनकी बात स्वीकार कर ली और अमर को दूल्हे के वस्त्र पहनाकर राजकुमारी चंद्रिका से विवाह करा दिया गया। शादी सम्पन्न होने के बाद अमर जब लौटने लगा तो सच नहीं छिपा सका और उसने राजकुमारी की ओढ़नी पर लिख दिया- ‘राजकुमारी चंद्रिका, तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ था लेकिन मैं तो वाराणसी में शिक्षा प्राप्त करने जा रहा हूं। अब तुम्हें जिस नवयुवक की पत्नी बनना पड़ेगा, वह काना है।’

जब राजकुमारी ने अपनी ओढ़नी पर लिखा हुआ पढ़ा तो उसने राजा के काने लड़के के साथ जाने से इंकार कर दिया। राजा को भी जब असलियत का पता चला तो उसने बारातियों के साथ अपनी पुत्री की विदाई करने से इन्कार कर दिया। उधर अमर अपने मामा दीपचंद के साथ वाराणसी पहुंचकर गुरुकुल में पढ़ना शुरू कर दिया।जब अमर की आयु 16 वर्ष पूरी हुई तो उसने एक यज्ञ किया। यज्ञ की समाप्ति पर ब्राह्मणों को भोजन कराया और खूब अन्न-वस्त्र दान किए। रात को अमर अपने शयनकक्ष में सो गया। शिव के वरदान के अनुसार शयनावस्था में ही अमर की मौत हो गई। सूर्योदय पर जब इसकी जानकारी को हुई तो भांजे को मृत देखकर रोने- पीटने लगा जिसे सुनकर आसपास के लोग भी एकत्र होकर दुःख व्यक्त करने लगे।

कहते हैं कि उसी समय शिव पार्वती के साथ उधर से गुजर रहे थे और उन्होंने जब मामा के रोने की आवाज सुनी तो पार्वतीजी ने भगवान से कहा- प्रभु! मुझे इस व्यक्ति का रोना बर्दाश्त नहीं हो रहा है, आप इस व्यक्ति के कष्ट अवश्य दूर करें। यह सुनकर भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि- ‘पार्वती! यह तो उसी व्यापारी का पुत्र है जिसे मैंने तुम्हारे अनुरोध पर ब्रह्मा जी के विधान के विपरीत भक्त व्यापारी को पुत्र का तथा उस पुत्र को 16 वर्ष की आयु का वरदान दिया था। इसकी आयु तो पूरी हो गई। शिव जी की बात सुनकर पार्वती जी ने कहा कि प्रभु पुनः लड़के को जीवित करें अन्यथा इसके भक्त माता-पिता पुत्र की मृत्यु के कारण रो-रोकर अपने प्राणों का त्याग कर देगें।

पार्वती जी के आग्रह करने पर भगवान शिव ने उस लड़के को पुनः जीवित होने का वरदान दे दिया और वह कुछ ही पल में वह जीवित होकर उठ बैठा। इसके बाद वह शिक्षा समाप्त करके मामा के साथ अपने नगर की ओर चल दिया। दोनों चलते हुए उसी नगर में पहुंचे जहां अमर का विवाह हुआ था।वापस लौटते समय अमर ने पुनः उस नगर में यज्ञ का आयोजन किया। जब इसकी जानकारी राजा को हुई तो उसने अमर को तुरंत पहचान लिया और यज्ञ समाप्त होने पर राजा अमर और उसके मामा को महल में बुला ले गया। कुछ दिन उन्हें महल में रखने के बाद बहुत-सा धन-वस्त्र देकर राजकुमारी को उसके साथ विदा कर दिया।

विदाई के समय राजा ने रास्ते में सुरक्षा की दृष्टि से उसके साथ बहुत से सैनिकों को भी भेज दिया। दीपचंद ने नगर में पहुंचते ही एक दूत को घर भेजकर अपने आगमन की सूचना भेजी तो अपने बेटे के जीवित वापस लौटने की सूचना से व्यापारी बहुत खुश हो गया और प्राण त्यागने का संकल्प समाप्त कर दिया और उसका स्वागत करने अपनी पत्नी और मित्रों के साथ नगर के द्वार पर पहुंच गया। अपने बेटे के विवाह का समाचार सुनकर एवं पुत्रवधू राजकुमारी चंद्रिका को देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उसी रात भगवान शिव ने व्यापारी के स्वप्न में आकर कहा- ‘हे श्रेष्ठी! मैंने तेरे सोमवार के व्रत करने और व्रतकथा सुनने से प्रसन्न होकर तेरे पुत्र को लंबी आयु प्रदान की है।सोमवार का व्रत करने से व्यापारी के घर में खुशियां लौट आईं। शास्त्रों में लिखा है कि जो स्त्री-पुरुष सावन के सोमवार का विधिवत व्रत करते और व्रतकथा सुनते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

पुराणों के अनुसार इस महीने में श्रवण नक्षत्र वाली पूर्णिमा आती है जिसके नाम पर इस महीने का नाम ‘श्रावण’ पड़ा। हिन्दू पंचांग या हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार वर्ष का पांचवा महीना सावन का महीना होता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना हिन्दुओं का सबसे पवित्र महीना होता है। इस महीने से हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं और आस्था जुड़ी होती हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह महीना प्रत्येक वर्ष जुलाई से अगस्त के बीच में पड़ता है।सामान्य बोलचाल की भाषा में इसे ‘सावन’ के नाम से जाना जाता है। हिन्दुओं की धार्मिक मान्यता है कि यह महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है अतः इस महीने में हिन्दू भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं। इसे भगवान शंकर का महीना भी कहते हैं। यह पूरा महीना भक्तिमय गीतों और धार्मिक माहौल का होता है। हिन्दू देवी-देवताओं के मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती है। इस माह के ख़ास दिनों पर हिन्दू उपवास रखते हैं और पूरे महीने शुद्ध व शाकाहारी भोजन करते हैं।

सावन महीने के त्यौहार

सावन का महीना केवल भक्ति के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है बल्कि इस महीने में कई महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहार भी पड़ते हैं। यह भी एक कारण है जिसके लिए हिन्दू धर्म में सावन महीने की मान्यता इतनी अधिक है। श्रावण महीने में मनाये जाने वाले मुख्य हिन्दू त्यौहारों में रक्षाबंधन, नाग पंचमी और हरियाली तीज है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महोत्सव सावन महीने की पूर्णिमा के 7 दिन के बाद अष्टमी के दिन मनाया जाता है।सावन महीने का महत्व सावन का महीना लोगों को ईश्वर से जुड़ने का और भगवान की भक्ति के लिए सबसे उत्तम है। हर तरफ मंदिरों में लोगों की भीड़, भजन-कीर्तन की आवाज, मंत्रोच्चारण और बड़े-बड़े मेलों का आयोजन इस माह की महत्वता को और भी बढ़ा देता है। सावन के माह में महिलाएं उपवास रखती हैं और अपने परिवार के स्वस्थ रहने की कामना करती हैं। भक्तों की सबसे ज्यादा भीड़ सावन के महीने में ही लगती है। भारत में प्रसिद्ध भगवन शिव के भक्तों द्वारा किए जाने वाला कांवड़ यात्रा भी सावन के महीने में ही किया जाता है।

सावन का महीना किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी समय किसान कई प्रकार के अनाज, सब्जी और फूल आदि की बुआई करते हैं। धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, सूरजमुखी और कई प्रकार की सब्जी आदि की बुआई सावन के महीने में किया जाता है।
कहने को सावन का महीना एक हिन्दू भक्ति महीना होता है परन्तु सावन का यह महीना सभी के लिए राहत का महीना होता है। अप्रैल से जून तक की भीषण गर्मी से मनुष्य और जीव दोनों त्रस्त हो जाते है, पेड़-पौधे, नदी, नहर, तालाब और कुएं आदि सुख जाते हैं और कई स्थानों पर तो सूखे जैसे हालात बन जाते है जो लोगों को बदहाल कर देता है। सावन के महीने में होने वाली तेज़ बारिश पृथ्वी के इस बदहाल वातावरण में नई जान देता है और हर तरफ खुशी की एक नई लहर दिखने लगती है।

सावन में शिव पूजा का विशेष महत्व है इस मास में शिव पूजा के पीछे कई धार्मिक कहानिया भी है जो इस प्रकार है- कहा जाता है जब देवता और दानव मिलकर समुंद्र मंथन किये थे तो उसी समुंद्र मंथन से हलाहल विष निकला था जिसे सृष्टि की रक्षा के लिए विष को वातावरण में मिलने से बचाने के लिए भगवान शिव सबसे आगे आये और उन्होंने इस विष को पी लिया था और इस विष को अपने कंठ के नीचे धारण कर लिया था यानि इस विष की नीचे जाने ही नही दिया था जिस कारण से विष के प्रभाव से भगवान भोले का कंठ नीला पड़ गया था जिस कारण से उनका एक नाम नीलकंठ भी पड़ गया था।

इसके बाद विष का प्रभाव का ताप शिव जी के ऊपर बढ़ने लगा जिस कारण यह घटना इसी सावन मास में घटा था जिस कारण से शिव जी के ऊपर से विष का प्रभाव कम करने के लिए पूरे महीने घनघोर वर्षा करते रहे, जिस कारण से शिव जी के ऊपर से विष का प्रभाव कुछ कम हुआ लेकिन अत्यधिक वर्षा से सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने अपने मस्तक पर चन्द्र धारण किया। धन्यवाद।। भूल चूक गलती माफ।। सुप्रभात / वंदेमातरम् / गुडमार्निग /नमस्कार/ शुभकामनाएँ ।। ऊँ भूर्भवः स्वः——/ ऊँ नमः शिवाय।।।

भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार / समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी ।

हम इसतरह के लेख राष्ट्र कुण्डलिनी समाचार के माध्यम से आप के लिए लाते रहेंगे। हम क्रमशः आने वाले लेखों के इसका पूरा विवरण देंगे। आप सभी लेखों को पढ़ते रहिये। इसके साथ ही यह लेख अगर आप को पसंद आया हो तो आप इसे अपने और परिचितों तक भी पहुचायें। यह आप को कैसा लगा कमेंट कर बताएं। आप हमारे राष्ट्र कुण्डलिनी समाचार के ट्विटर हैंडल को फॉलो कर ले जिससे लेख आने पर आपको जानकारी मिल जाएगी