हस्त रेखा कैसे देंखे

यदि आप अपने रास्ते पर कहीं जा रहे हों और रास्ते के बारे में कोई जानकारी न हो अँधेरा रास्ता हो तथा आपको उस रास्ते के अलावां और कोई रास्ता न हो तो आप क्या करोगे ? हमारा ऐसा सोचना है कि उस समय आप किसी जानकर व्यक्ति को तलाश करेंगे तथा रास्ते के बारे में जानकारी करके साथ में प्रकाश लेकर जाना चाहेंगे। हमारा जीवन भी अँधेरा रास्ता है। हमें उस रास्ते पर ही जाना है यंहा प्रकाश की कोई व्यवस्था अर्थात भविष्य के बारे में कोई जानकारी नहीं है। यदि हमको भविष्य की जानकारी हो जाय तो ऐसे समय में जब हमारे जीवन में उतार चढ़ाव होते हैं उसकी जानकारी मिल जाय तब जीवन में आगे बढ़ पाना आसान हो जायेगा। सामान्यतयः हस्त रेखा विज्ञान हमें यही जानकारी देता है। जिससे आने वाले भविष्य के प्रति हम सावधान होकर वर्तमान का पूरा कर लेते हैं। आइये जानते है हस्त रेखा कैसे देंखे ?

हस्त रेखाओं को देखने से पहले यह देखना चाहिए कि ये रेखाएं कैसे व्यक्ति में (शरीर में ) किस तरह के हाथ में है। हाथों के अनुसार उसकी रेखाओं का प्रभाव होता है। हाथों को भुजा से जोड़ने वाला भाग (कलाई) को मणिबंध कहते हैं। मणिबंध से लेकर उंगलियों के अग्रभाग को हाथ कहते हैं। इसकी पूरी लम्बाई चौड़ाई को देखना होता है। (हाथों को) इन्हे पांच भागों में वर्गीकृत किया गया है। १. बहुत छोटा हाथ, २. छोटा हाथ, ३. सामान्य हाथ, ४. लम्बा हाथ, ५. बहुत लम्बा हाथ (कलाई से अँगुलियों तक) .

हस्त रेखा कैसे देंखे

1. बहुत छोटा हाथ – बहुत छोटे हाथ वाला व्यक्ति संकीर्ण विचारों वाले व्यक्ति की पहचान है। स्वार्थी, संवेदनशील तथा छोटे छोटे स्वार्थ के लिए विवाद करने वाला। सामाजिक दृष्टि से ऐसे लोग किसी काम के नहीं होते चालाकी और औसरवादिता इनके गुण हैं। दूसरों को गिराना, बुराई करना तथा दुश्मनी मोल लेना इनकी सहज प्रकृति है। ऐसे लोग कोई ऊँचा जीवन नहीं जी सकते।

2 . छोटा हाथ – ऐसे व्यक्ति तीव्र मस्तिष्क वाले किन्तु आलसी होते हैं। चारपाई पर पड़े पड़े योजनाएं बनाते हैं परन्तु उसे क्रियान्वित नहीं कर पाते। बढ़ चढ़ कर बातें करना तथा आडम्बरपूर्ण बातें बनाकर खुद को तथा अन्यों को भर्मित करना इनका स्वाभाव रहता है। इसलिए जीवन में आने वाले सुखद समय का सदुपयोग नहीं कर पाते हैं। यही इनकी असफलता का कारण है।

3 . सामान्य हाथ – जीवन में संघर्षशील किन्तु अपने ही बलबूते पूर्ण सफल व्यक्ति इस श्रेणी में आते हैं। ऐसे लोग पूर्ण व्यवहार कुशल तथा समाज में सम्माननीय स्थान प्राप्त करते हैं। जीवन की परिस्थितियों के साथ तालमेल बनाना तथा सोंच विचार कर काम करना और उसके अनुसार अपने आप को बना लेना इनके जीवन की शैली होती है। ऐसे लोगों के जीवन में पूरी सफलता की संभावनाएं होती हैं।

4 . लम्बा हाथ – मेधावी एवं व्यवहारकुशल इनके जीवन की पहचान है सामने वाले व्यक्ति तथा परिस्थितियों के बारे में पूर्ण जानकर एवं सावधानी इनकी विशेषता है। इसलिए न खुश न पसन्न समरस जीवन। ये अपने लिए तथा समाज के लिए भी जीवन में उपयोगी बने रहते हैं।

5. बहुत लम्बा हाथ – कल्पना की दुनिया में विचरण करने वाले तथा जीवन संघर्ष से पलायन इनकी विशेषता है। भावुकता और भुजाओं को गढ़ना उसी में मस्त रहना तथा फांकों पर गुजारा कर लेना ऐसे लोग आसानी से पसंद करते हैं।

इस तरह हाथों की जानकारी करके पुनः हाथों को नरम, कड़े, खुरदुरे आदि देखें। उसी के साथ उसके उगलियनों का नुकीलापन चपटापन तीखापन आदि संज्ञान में लावें। क्योकि वैसे तो मध्यमा उंगुली सबसे लम्बी होती है। परन्तु और भी अंगुलियां भी लम्बी हो सकती हैं। उनका जीवन पर प्रभाव होता है। देखा गया कनिष्टका अंगुली लम्बी होती है। वह अत्यधिक भाग्यशाली होता है। तथा अपने ही द्वारा सफलता के चरम सोपान पर चढ़ता है। जिसकी मध्यमा और तर्जनी बराबर होती है उसकी मृत्यु स्वाभाविक न होकर किसी दुर्घटना या आत्महत्या द्वारा होती है। साथ ही इन अँगुलियों का झुकाव जैसे यदि अनामिका का झुकाव मध्यमा की ओर होगा तो गृहस्त जीवन सुखी होगा परन्तु इसके विपरीत होने पर जीवन संदिग्ध ही बना रहेगा।

अंगूठा शांति सदभाव का प्रतीक है। तर्जनी को वृहस्पति की अंगुली कहते हैं। मध्यमा को शानि अनामिका को सूर्य तथा कनिष्ठा को बुध की अंगुली कहते हैं। इन सभी के अँगुलियों के नीचे अर्थात में हाथ में जंहा से आगे बढ़ती हैं गदेली के उसी स्थान में उनके साथ उन ग्रहों से सम्बंधित पर्वत होते हैं। जिनका हाथों में महत्वपूर्ण स्थान होता है। जिनके बारे में आगे स्पष्ट किया जायेगा।

मनुष्य का जीवन असीम संभावनाओं से भरा होता है इसमें किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है संसार में जंहा जो भी कुछ है उसे प्राप्त करना प्रत्येक मानव के लिए संभव है। केवल दृढ संकल्प एवं उनके अनुरूप प्रयास चाहिए लेकिन जो व्यक्ति यह मानते हैं कि मानव सभी कुछ पा सकता है। तथा उसे पाने के लिए योजनाएं भी बनाते हैं। परन्तु संघर्ष झेलने को तैयार नहीं होते हैं वे वंहा तक कैसे पहुंच पाएंगे। ज्योतिष के द्वारा अपना भविष्य समझना तथा अपनी कमजोरियों को पकड़कर वंहा सावधान हो जाना यही उद्देश्य है ज्योतिष का। यही उद्देश्य है मानव विवेक का।

अबतक जितने भी महापुरुष हुए हैं वे सभी संघर्षों को झेलकर हुए हैं। समय को पहचान कर अपनी कमजोरियों को निकाला तथा जीवन को म्हणता के लिए इस्तेमाल किया तब वे महान बने। दूसरी तरफ देखा गया है कि बहुत अच्छी परिस्थितियां पाने के बाद भी न जाने कितने राजे महाराजे सेठ साहूकार काल के गर्त में समां गए। उन्हें आज कोई जनता भी नहीं क्योकि उन्होंने अपने जीवन व्यक्तिगत जीवन तक ही लगाए रखा। उस सुख समृद्धि में दूसरों को भागीदार नहीं बनाया। समाज के लिए कुछ नहीं किया। तो उन्हें जानेगा कौन ? राजा भागीरथ, राणाप्रताप, भामाशाह, गाँधी, विनोवा आदि महामानव सामान्य परिस्थितियों में रहते हुए भी लोक मंगल के लिए समर्पित होने के कारण अमर हो गए। इन्हे ही सच्चे अर्थों में भाग्यशाली कहा जा सकता है। ऐसी सम्भावना हर मानव में केवल उन्हें खोजना बहार निकलना तथा उसका पूरा उपयोग करना है। इसी को भाग्य निर्माण कहते हैं।

हम इस राष्ट्र कुण्डलिनी समाचार के माध्यम से आप को हस्त रेखा विज्ञान के बारे में पूरी जानकारी देंगे जिससे आप अपना और किसी और का भी भाग्य भविष्य बतलाकर आने वाले भविष्य से सावधान कर सकते हैं। हम क्रमशः आने वाले लेखों के इसका पूरा विवरण देंगे। आप सभी लेखों को पढ़ते रहिये यह इतना बड़ा विज्ञान है कि इसके बारे में एक लेख में बताना संभव नहीं है। इसलिए आप हमारे राष्ट्र कुण्डलिनी समाचार के ट्विटर हैंडल को फॉलो कर ले जिससे लेख आने पर आपको जानकारी मिल जाएगी