जाति धर्म मायामोह में फंसता मनुष्य

जाति धर्म मायामोह में फंसता मनुष्य . ईश्वर जीव को मनुष्य बनाकर इस धराधाम पर भेजता है वह जीव को हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई बनाकर नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ इंसान बनाकर इस धराधाम पर भेजता है। हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई आदि तो पैदा होने के बाद जीव को बनाया जाता है।जीव जब माँ के उदर से बाहर आता है तो ईश्वर के समान निर्विकार होता है इसीलिए जब बच्चा मुस्कारता है तो कहा जाता है कि भगवान आये हैं ।बच्चा ज्यों ज्यों बड़ा होता वह संसारिक विकारो मायामोह में फंसता जाता है और अपने को मजहबी बना लेता है।

जीव जब माँ के पेट में रहता है तो उसे बहुत तकलीफ होती है क्योंकि वह माँ के उदर में हाथ पैर समेटे ऊकणू बना गंदे पानी के थैले में उल्टा लटका रहता है। वह निर्जीव नहीं होता है बल्कि गर्भ में ही उसे जान आ जाती है ।गर्भ में जान आने के बाद जीव बहुत परेशान होता है और ईश्वर से बहुत प्रार्थना आराधना करता तथा कष्ट से छुटकारा दिलाने के बदले वह तमाम वायदे ईश्वर से करता है।वह उसके बताये सदमार्ग पर चलने तथा सद्कर्म करने की कसमे खाता बड़ी अनुनय विनय चिरौरी करता है। जब ईश्वर उस पर रहम करके उसकी बात मानकर उसे कष्ट से छुटकारा दिला देता है तो वह बाहर निकलते ही संसारिक मायामोह में फंसकर चिल्लाने लगता है कि -“कहां कहां “। इसके बाद उसे पूरी तरह से मायामोह जकड़ लेता है और वह धीरे-धीरे माँ के पेट में किये गये वायदो को भूलने लगता है ।

वह माता पिता भाई बन्धु परिजनों पुरजनो की माया में बंधकर ईश्वर को तेजी से भुलाना शुरू कर देता है। युवा होते ही अधिकांश मनुष्य ईश्वर से किये वायदो ही नहीं बल्कि ईश्वर को ही नहीं भुला देता है और ईश्वर के वजूद को न मानकर मनमानी करने लगते है । ऐसे ही मानव रूपी जीव को देखकर ईश्वर को पछतावा होने लगता है और सोचने लगता है कि इसे तो हमने निर्विकार भेजा था यह इतना बड़ा विकारहीन कैसे हो गया ।ध्यान रहें कि ईश्वर ने हमें वह शरीर प्रदान किया है जिसके लिये देवता लोग भी हमेशा लालायित रहते हैं ।

मनुष्य जीवन को मोक्ष का धाम भी कहा गया है क्योंकि एक मात्र मानव शरीर से ही मनुष्य ईश्वर का प्रिय व उनके निकट पहुँच सकता है। कहा गया है कि -” बड़ी भाग्य मानुष तन पावा सुर दुर्लभ सदग्रथंन गावा “।हम सभी मनुष्य आपस में सबसे पहले भाई भाई हैं और एक ईश्वर की संतान हैं ।किसी फिल्म में भी एक गाना आया है कि-“न हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा इंसान की औलाद है इंसान बनेगा। जाति धर्म मायामोह में फंसता मनुष्य

भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार /समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी ।

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