अपने तो अपने होते हैं

मनुष्य को जीवन में खुशी , राहत एवं चाहत अपनों से मिलती है। अपने तो अपने होते हैं चाहे वह घर परिवार के हो चाहे न हो।जो आपसे अपनत्व रखे वहीं अपने होते है इसलिए जीवन में इन अपनो से कभी रूठना नही चाहिए क्योंकि जीवन में मुस्कराहट भी अपनों से ही मिलती है। अपने हंसाते भी है और रूलाते भी हैं। जीवन में कोशिश करें कि किसी को आपसे कोई कष्ट न हो और प्यार मोहब्बत अपनत्व बरकरार रहे। दूसरे की मुसीबत में काम आना मानव धर्म एवं मानवता की पहचान होता है।

ईश्वर उससे बहुत प्यार दुलार करता है जो इन्सान के काम आता है और दुख में दुखी एवं सुख में आनन्दित होता है। अपने पराये की पहचान मुसीबत में होती है और दुख में गैर हो जाय उसे अपना नहीं कहा जा सकता है। कहते हैं कि जो अपनों के दुख में दुखी नहीं होते हैं उनका मुंह देखना पाप होता है। कहा भी गया है कि ” जो न मित्र दुख होय दुखारी तिन्है बिलोकत पातक भारी तथा आपातकाल परखिए चारी धीरज धर्म मित्र औ नारी”।

भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार / समाजसेवी

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