हमें नेता नहीं सृजेता चाहिए

हमें नेता नहीं  सृजेता चाहिए

देश एवं समाज को उन्नत बनाने के लिए तथा उसे श्रेष्ठ और समुन्नत मार्ग पर बढ़ाने के लिए विशिष्ट व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, यह गुरुतर भार सामान्य व्यक्ति नहीं संभाल सकता, इसके लिए प्रतिभाशाली नेतृत्व गुण संपन्न महामानव चाहिए वही समाज को अच्छी दिशा दे सकने में समर्थ हो सकता है। “प्रभावशाली नेता केवल मंच संभालने मात्र से कोई नहीं बन जाता उन्हें कुछ कर्तव्य करने होते हैं और कुछ दायित्व भी निभाने होते…

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कार्य की समृद्ध फसल (कर्म)

कार्य की समृद्ध फसल (कर्म)

मानव जीवन एक ऐसा क्षेत्र है, जहां कर्म बोए जाते हैं और उनके अच्छे या बुरे फल काटे जाते हैं। जो अच्छे कर्म करता है, उसे अच्छा फल मिलता है। बुरे कर्म करने वाले को बुरे फल मिलते हैं। यह कहा जाता है। “जो आम बोएगा, वह आम खाएगा, जो बबूल बोएगा, उसे काँटे मिलेंगे।” जिस प्रकार बबूल की बुवाई से आम प्राप्त करना प्रकृति में संभव नहीं है, उसी प्रकार बुराइयों के बीज बोने…

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राष्ट्र कुण्डलिनी

राष्ट्र कुण्डलिनी

सृजन ही प्रकृति की नियति है और नित नया रूप देखना मानव का स्वभाव। समय की गति के साथ हर एक पदार्थ का रूपांतरण होकर नए कलेवर के रूप में बदलता रहता है यदि यंहा पर किसी का अवसान दीखता है तो वह भी नए रूप में प्रस्तुत होने के लिए। भारतीय दर्शन के अनुसार परमात्मा ने सबसे पहले प्राण शक्ति स्वरुप ॐ को प्रकट किया। उससे प्रकाश-ज्ञान का सृजन हुआ। उसी से सृष्टि में…

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रंगभूमि और आज का यथार्थ

रंगभूमि और आज का यथार्थ

कालजयी साहित्य पुरुष कथाकार प्रेमचंद जी का वह साहित्य जिसने अपने समय में हर पढ़ने वालों में स्वतत्रता की आग पैदा कर दी थी। जिसे समझकर हर व्यक्ति के मन में उन परिस्थियों से लड़ने का भाव पैदा हो गया था। आज उन्ही में से ‘रंग भूमि’ उपन्यास विवादों में है। जिसको पढ़ कर आज के तथा कथित मार्डन लोग यह कहते हैं कि इसमें तो दुःख ही दुःख है , तथा इसके द्वारा प्रेमचंद…

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आज हिंदी दिवस है जाने हिंदी दिवस की दिलचस्प बातें

आज हिंदी दिवस है जाने हिंदी दिवस की दिलचस्प बातें

1947 में जब भारत देश अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ तो हमारी राष्ट्र भाषा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हुआ क्यों की हमारे देश में अनेक भाषाएँ बोली जाती थीं। काफी सोंच विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को राष्ट्र की भाषा चुना गया. लेकिन बाद में 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया. जिसके बाद पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया। और तभी से 14 सितंबर को…

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आज हिंदी दिवस है जाने हिंदी दिवस की दिलचस्प बातें

आज हिंदी दिवस है जाने हिंदी दिवस की दिलचस्प बातें

1947 में जब भारत देश अंग्रेजी हुकूमत से आजाद हुआ तो हमारी राष्ट्र भाषा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हुआ क्यों की हमारे देश में अनेक भाषाएँ बोली जाती थीं। काफी सोंच विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को राष्ट्र की भाषा चुना गया. लेकिन बाद में 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया. जिसके बाद पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया। और तभी से 14 सितंबर को…

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विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

 जब तुम्हारा मन टूटने लगे, तब भी यह आशा रखो कि प्रकाश की कोई किरण कहीं न कहीं से उदय होगी और तुम डूबने न पाओगे, पार लगोगे। चरित्र मानव- जीवन की सर्वश्रेष्ठ सम्पदा है। यही वह धुरी है, जिस पर मनुष्य का जीवन सुख- शान्ति और मान- सम्मान की अनुकूल दिशा अथवा दुःख- दारिद्र्य तथा अशांति, असन्तोष की प्रतिकूल दिशा में गतिमान होता है। जिसने अपने चरित्र का निर्माण आदर्श रूप में कर लिया उसने…

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सद्विचारों का निर्माण सत् अध्ययन- सत्संग से

सद्विचारों का निर्माण सत् अध्ययन- सत्संग से

कोई सद्विचार तभी तक सद्विचार हैं जब तक उसका आधार सदाशयता है, अन्यथा वह असद्विचारों के साथ ही गिना जायेगा। चूँकि मनुष्य के जीवन में हर प्रकार और हर कोटि के असद्विचार विष की तरह ही त्याज्य हैं, उन्हें त्याग देने में ही कुशल, क्षेम, कल्याण तथा मंगल है। वे सारे विचार जिनके पीछे दूसरों और अपनी आत्मा का हित सन्निहित हो सद्विचार ही होते हैं। सेवा एक सद्विचार है। जीवमात्र की निःस्वार्थ सेवा करने…

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