मनुष्य जीवन में उपासना का महत्व

मनुष्य जीवन में “उपासना” का बहुत महत्व होता है ।पूजा पाठ अर्चना और उपासना में बहुत फर्क होता है ।उपासना से अपेक्षाओं व इच्छाओं की पूर्ति नहीं होती है ।उपासना वासना से रहित प्रेम से परिपूर्ण व सराबोर होती है ।बिना उपासना के आनंद की अनुभूति नहीं होती है और न ही इन्द्रियो को सुख ही मिलता है।उपासना से आत्मा को आनंद मिलता है और मन नियन्त्रित होता है।मन बेलगाम घोड़े की तरह स्वच्छद विचरने व मनचाही वस्तु भोगने का आदी होता है।चचंल मन की नाक में उपासना ही अकेली ऐसी होती है जो नकेल डालकर चचंलता से स्थात्यित्व दिला सकती है।

मनुष्य जीवन में उपासना का महत्व

उपासना से संसारिक नहीं बल्कि ईश्वरीय कार्य होते हैं ।मनुष्य को अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है और उसमें पूजा उपासना कुछ नहीं कर पाती है।उपासना मोक्ष की प्राप्ति के लिये की जाती है ताकि आवागमन से जीव को मुक्ति मिल जाय।उपासना मनुष्य को कष्टो दुखो मुसीबतो को ईश्वर का अनुग्रह मानकर सहने की शक्ति प्रदान करती है।उपासना श्रद्धा की दिव्य अनुभूति होती है ।

श्रद्धा जब बलवती होती है तब जाकर उपासना लाइन पर आकर सिद्धि देने लायक होती है । श्रद्धा के बिना कुछ भी होने वाला नहीं है।उपासना में न कोई माँग होती है और न ही कोई शिकवा या शिकायत होती है ।उपासना का मतलब श्रद्धा आस्था का अपने चरम पर जाकर समपर्ण होना होता है ।समर्पण ईश्वर प्राप्ति का सुगम मार्ग होता है ।श्रद्धा से पैदा उपासना मनुष्य के जीवन को धन्य बनाया देती है।श्रद्धा आस्था उपासना ईश्वर के सन्निकट पहुँचने के सुगम मार्ग होते हैं ।

भोलानाथ मिश्र वरिष्ठ पत्रकार/ समाजसेवी
रामसनेहीघाट बाराबंकी यूपी ।

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