हस्त रेखा कैसे देंखे

हस्त रेखा कैसे देंखे

यदि आप अपने रास्ते पर कहीं जा रहे हों और रास्ते के बारे में कोई जानकारी न हो अँधेरा रास्ता हो तथा आपको उस रास्ते के अलावां और कोई रास्ता न हो तो आप क्या करोगे ? हमारा ऐसा सोचना है कि उस समय आप किसी जानकर व्यक्ति को तलाश करेंगे तथा रास्ते के बारे में जानकारी करके साथ में प्रकाश लेकर जाना चाहेंगे। हमारा जीवन भी अँधेरा रास्ता है। हमें उस रास्ते पर ही…

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हस्त रेखा विज्ञान

हस्त रेखा विज्ञान

भविष्य को जानने के लिए समस्त विद्याओं में में हस्त रेखा विज्ञान अति सरल एवं स्वाभाविक है। इसको समझना व्यक्ति के लिए बहुत ही आसान है। चाहे पढ़ा लिखा हो या अनपढ़ कोई भी व्यक्ति अपने या किसी के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। वैसे तो आज बहुत सारे हस्त रेखा विशेसज्ञ दिखाई पड़ते हैं। परन्तु उनमे भ्रम फ़ैलाने के अलावां और कोई विशेषज्ञता नही पाई जाती क्योंकि जबतक हाथ के गूढ़ रहस्यों…

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आपका भाग्य आप की मुठ्ठी में

आपका भाग्य आप की मुठ्ठी में

आपका भाग्य आप की मुठ्ठी में है यह कहावत अक्षरशः सत्य है कि मनुष्य का भाग्य उसके हाथों में होता है। इसका एक कारण तो यह है कि मनुष्य अपने हाथों द्वारा कर्म करके अपने भाग्य का निर्माण करता है। आज हम जो कुछ प्रारब्ध सुख दुःख के रूप में भोग रहे हैं। वह भी हमारे पूर्व जन्मो में किये गए कार्यों के परिणाम हैं। दूसरा कारण यह है कि पूर्व कृत प्रारब्ध का जो…

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कर्म का फल

कर्म का फल

अगर किसी के कर्म का फल तुरंत नहीं मिलता, तो इससे यह नहीं समझना चाहिए कि उसके भले-बुरे परिणाम से वह हरदम के लिए बच गया। कर्मफल एक ऐसा अमिट तथ्य है, जो आज नहीं तो कल भुगतना ही पड़ेगा। कभी-कभी इन परिणामों में देर इसलिए होता है कि ईश्वर मानवीय बुद्धि की परीक्षा करना चाहता है कि व्यक्ति अपने कत्र्तव्य धर्म समझ सकने और निष्ठापूर्वक पालन करने लायक विवेक बुद्धि संचय कर सका या…

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मनुष्य जीवन का अमूल्य यात्रा-पथ

मनुष्य जीवन का अमूल्य यात्रा-पथ

मनुष्य परमात्मा की अलौकिक कृति है । वह विश्वम्भर परमात्म देव की महान रचना है । जीवात्मा अपनी यात्रा का अधिकांश भाग मनुष्य शरीर में ही पूरा करता है । अन्य योनियों से इसमें उसे सुविधाएं भी अधिक मिली हुई होती हैं । यह जीवन अत्यंत सुविधाजनक है । सारी सुविधाएं और अनन्त शक्तियां यहां आकर केन्द्रित हो गई हैं ताकि मनुष्य को यह शिकायत न रहे कि परमात्माने उसे किसी प्रकार की सुविधा और…

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मानवी दुर्बुद्धि से ही उपजी हैं आज की समस्याएं..

मानवी दुर्बुद्धि से ही उपजी हैं आज की समस्याएं..

विचार पद्धति में विकृति आने से ही अध:पतन के अगणित आधार उत्पन्न हुए हैं।अभाव,दारिद्र्य, शोक, संताप,विग्रह विद्वेष की विभीषिकायें विकटतम होती चली जा रही हैं। उनका मूल कारण विचारणा का स्तर गिर जाना भर है। आज हम व्यक्ति को अनेक व्यथा वेदनाओं में डूबा हुआ और समाज को अनेक समस्याओं में उलझा हुआ पाते हैं। सर्वत्र अशांति आशंका और असंतोष का जो वातावरण देखते हैं उसके पीछे एक ही कारण है, मानवीय दुर्बुद्धि का बढ़…

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प्रकृति के नियंत्रक भी थे पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रकृति के नियंत्रक भी थे पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

युगावतार वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा का इस धरती पर अवतरण इस संसार की बिगड़ती हुई व्यवस्था का संतुलन बनाने के लिए हुआ था। प्रकृति के नियंत्रक भी थे पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य . परन्तु की वस्तु को व्यक्ति ठीक तभी कर सकता है जब वह उसके जर्रे जर्रे से परिचित हो वंहा से उसका तदात्म्य हो चूका हो और फिर आज की व्यवस्था का संतुलन बनाना जंहा पूरा…

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विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

 जब तुम्हारा मन टूटने लगे, तब भी यह आशा रखो कि प्रकाश की कोई किरण कहीं न कहीं से उदय होगी और तुम डूबने न पाओगे, पार लगोगे। चरित्र मानव- जीवन की सर्वश्रेष्ठ सम्पदा है। यही वह धुरी है, जिस पर मनुष्य का जीवन सुख- शान्ति और मान- सम्मान की अनुकूल दिशा अथवा दुःख- दारिद्र्य तथा अशांति, असन्तोष की प्रतिकूल दिशा में गतिमान होता है। जिसने अपने चरित्र का निर्माण आदर्श रूप में कर लिया उसने…

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सद्विचारों का निर्माण सत् अध्ययन- सत्संग से

सद्विचारों का निर्माण सत् अध्ययन- सत्संग से

कोई सद्विचार तभी तक सद्विचार हैं जब तक उसका आधार सदाशयता है, अन्यथा वह असद्विचारों के साथ ही गिना जायेगा। चूँकि मनुष्य के जीवन में हर प्रकार और हर कोटि के असद्विचार विष की तरह ही त्याज्य हैं, उन्हें त्याग देने में ही कुशल, क्षेम, कल्याण तथा मंगल है। वे सारे विचार जिनके पीछे दूसरों और अपनी आत्मा का हित सन्निहित हो सद्विचार ही होते हैं। सेवा एक सद्विचार है। जीवमात्र की निःस्वार्थ सेवा करने…

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विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

विचार ही चरित्र निर्माण करते हैं

 जब तुम्हारा मन टूटने लगे, तब भी यह आशा रखो कि प्रकाश की कोई किरण कहीं न कहीं से उदय होगी और तुम डूबने न पाओगे, पार लगोगे। चरित्र मानव- जीवन की सर्वश्रेष्ठ सम्पदा है। यही वह धुरी है, जिस पर मनुष्य का जीवन सुख- शान्ति और मान- सम्मान की अनुकूल दिशा अथवा दुःख- दारिद्र्य तथा अशांति, असन्तोष की प्रतिकूल दिशा में गतिमान होता है। जिसने अपने चरित्र का निर्माण आदर्श रूप में कर लिया उसने…

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