मनुष्य जीवन में भक्ति का महत्व

मनुष्य जीवन में भक्ति का महत्व . मनुष्य जीवन में जब भक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।मनुष्य मे जब भक्ति प्रवेश करती है तो उसका दिल गंगाजल की तरह पावन पवित्र हो जाता है । भक्ति ईश्वर की एक ऐसी शक्ति जिससे मनुष्य को अपार उर्जा प्रदान होती है।जब मनुष्य पर भक्ति सवार होती है तो सारा जीवन ईश्वरमय हो जाता है और जब भक्ति दैनिक दिनचर्या में आ जाती है तो हर कार्य में प्रभु के दीदार होने लगते हैं ।

भक्ति जब भोजन में प्रवेश करती है तो वह भोजन खाना न रहकर प्रसाद बन जाता है ।भक्ति जब मनुष्य में आती है तो वह भक्त बन जाता है और भक्त ईश्वर को बहुत प्रिय होता है।भक्ति जब जल में प्रवेश करती हो तो वह गंगाजल बन जाता है ।भक्ति जब नारी में प्रवेश करती है तो वह सती अनुसुइया मीरा और सेवरी मीरा बन जाती है और हर नारी देवी स्वरूपा दिखने लगती है।

मनुष्य का ईश्वर के प्रति समर्पण ही भक्ति होती है और जब भक्ति आती है तो सारा संसार ईश्वरमय दिखाई देने लगता है। भगवान हमेशा भक्ति और भक्त के वश में रहते हैं और भक्त और भक्ति के लिये अपने नियम तक बदल देते हैं।भक्ति जब आती है तो हर मनुष्य ही नहीं बल्कि हर जीव में ब्रह्म दिखाई देने लगता है। भक्ति से ही नारद जी को हर पल हर क्षण हर जगह भगवान के दर्शन होते थे और “नाम” सुनाई पड़ता था और सभी उनका सम्मान करते थे।किसान को हर समय ईश्वर की याद आती रहती है इसीलिए किसान को भगवान भी कहा जाता है ।

भक्ति जब प्रहलाद व ध्रुव पर सवार हुयी तो उन्हें हर जगह हर कार्य में भगवान नजर आते थे परिणाम यह हुआ कि लाख कोशिशों के बावजूद कोई उनका बाल बांका तक नहीं कर सका ।भगवान राम व भगवान भोलेनाथ एक दूसरे के भक्त है और दोनों को हर पल हर क्षण एक दूसरे के दर्शन होते रहते हैं ।भक्ति जब पुत्र पर सवार होती है तो उसे अपने माता पिता व गुरु में ईश्वर स्वरूप दिखने लगते हैं ।पुत्र को जब माता पिता में भगवान दिखने लगते तो वह श्रवण कुमार बन जाता है ।भक्ति ही मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य व लक्ष्य होती है और बिना भक्ति के मनुष्य जीवन पशुवत बन जाता है । मनुष्य जीवन में भक्ति का महत्व .

भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी।

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